Bhai Dooj 2025 : भाई दूज 2025 में इस 'गोल्डन आवर' में लगाएं तिलक, यमराज से जुड़ा है राज!
जानिए भाई दूज 2025 का सबसे शुभ मुहूर्त, पूजन की सही विधि और वह रोचक पौराणिक कथा जो इस पर्व को यम द्वितीया के नाम से जाने जाने का राज बताती है। अपने भाई की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए जरूर पढ़ें यह खास खबर।
क्या आप जानते हैं कि दिवाली के उल्लास के बाद आने वाला यह आखिरी त्योहार क्यों है सबसे ज्यादा भावुक? और क्यों इस एक तिलक में छुपा है अकाल मृत्यु को टालने का रहस्य? दरअसल, दिवाली और गोवर्धन पूजा के बाद कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाए जाने वाले भाई दूज के पर्व को यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है। इस बार यह पावन पर्व 23 अक्टूबर, गुरुवार को मनाया जाएगा। लेकिन सवाल यह है कि क्या आपने सही समय और सही विधि से अपने भाई का तिलक किया?
तिथि का संकट या स्पष्टता?
हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक शुक्ल द्वितीया तिथि 22 अक्टूबर को रात 08:16 बजे से शुरू होकर 23 अक्टूबर को रात 10:46 बजे तक रहेगी। ऐसे में उदया तिथि के नियम को मानते हुए, 23 अक्टूबर को ही भाई दूज मनाना शुभ फलदायी माना गया है। यही वह दिन है जब बहनों की आरती और तिलक में वह जादू भर जाता है, जो भाई की जिंदगी से मुसीबतों को दूर भगा देता है।
तिलक के लिए जान लें ये 4 'सुपरफास्ट' शुभ मुहूर्त
सिर्फ तिलक लगा देना ही काफी नहीं है, ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सही मुहूर्त में तिलक लगाने से इसका पुण्यफल कई गुना बढ़ जाता है। इसलिए, इन चार शुभ मुहूर्तों में से किसी एक को चुनकर अपने भाई को आशीर्वाद दें:
1. अभिजीत मुहूर्त: यह मुहूर्त बेहद ही शुभ और दिव्य माना जाता है। दोपहर 11:43 बजे से 12:28 बजे तक का यह समय किसी भी शुभ कार्य को शुरू करने के लिए उत्तम है।
2. विजय मुहूर्त: क्या आप चाहते हैं कि आपका भाई हर मुकाम पर विजयी रहे? तो दोपहर 01:58 बजे से 02:43 बजे तक के इस मुहूर्त में तिलक जरूर लगाएं।
3. श्रेष्ठ मुहूर्त: जैसा कि नाम से ही जाहिर है, यह समय दोपहर 01:13 बजे से 03:28 बजे तक है, जो समृद्धि और उन्नति दिलाने वाला माना जाता है।
4. गोधूली मुहूर्त: संध्या का यह पल बेहद खास है। शाम 05:43 बजे से 06:09 बजे तक के इस सुनहरे समय में तिलक लगाने से भाई की लंबी उम्र होती है।
क्या है भाई दूज की असली पूजन विधि?
कहते हैं विधि-विधान से की गई पूजा ही फलदायी होती है। तो आइए जानते हैं स्टेप बाय स्टेप पूजन विधि:
- सबसे पहले भाई सुबह जल्दी उठकर चंद्रमा का दर्शन करें और फिर यमुना के जल का स्मरण करते हुए स्नान करें।
- इसके बाद साफ वस्त्र धारण करके भाई को अपनी बहन के घर जाना चाहिए।
- बहन एक थाली सजाए, जिसमें एक दीपक, अक्षत, रोली, फूल, सुपारी, नारियल, कलावा, एक सिक्का और मिठाई जरूर हो।
- पूजा शुरू करने से पहले भगवान गणेश की वंदना करें।
- एक चौकी उत्तर-पूर्व दिशा (ईशान कोण) में रखें और भाई को उस पर बिठाएं।
- अब बहन सबसे पहले भाई की कलाई पर कलावा बांधे, फिर माथे पर रोली और चावल से तिलक लगाए।
- तिलक के बाद भाई को फूलों की माला पहनाएं और मिठाई खिलाएं।
- अंत में, भाई को नारियल देकर उसके लंबे जीवन और सुखी रहने की कामना करें। भाई भी बहन को उपहार और आशीर्वाद देकर इस रिश्ते की अहमियत को और मजबूत करे।
इतिहास में दफ़्न है भाई दूज का रहस्य
क्या आपको पता है कि यह त्योहार मृत्यु के देवता यमराज से सीधा जुड़ा है? पौराणिक कथा के अनुसार, कार्तिक शुक्ल द्वितीया के दिन ही यमराज अपनी बहन यमुना से मिलने उनके घर गए थे। यमुना ने खुशी-खुशी अपने भाई का स्वागत किया, माथे पर तिलक लगाया और हार्दिक भोजन करवाया।
बहन के स्नेह और आदर से इतने प्रसन्न हुए कि यमराज ने उन्हें वरदान दिया कि आज के दिन जो भी भाई अपनी बहन के घर जाकर तिलक करवाएगा और उसके हाथों का बना भोजन ग्रहण करेगा, उसे कभी अकाल मृत्यु का भय नहीं रहेगा और उसके जीवन में सुख-शांति बनी रहेगी। मान्यता है कि तभी से यम द्वितीया यानी भाई दूज का यह पर्व मनाने की शुरुआत हुई।
तो इस बार, सिर्फ रस्म अदायगी नहीं, बल्कि पूरे विश्वास और प्यार के साथ इस पर्व को मनाएं। क्योंकि यह सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि एक ऐसा शुभ अवसर है जो आपके भाई की जिंदगी में सुख और सफलता के नए दरवाजे खोल सकता है।
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