तो मैं समझूँ तुम खुदा हो. - मनोज कुमार , उत्तर प्रदेश
अगर किसी को हँसा रहे हो दो फूल होंठों पे उगा रहे हो तो मैं समझूँ तुम खुदा हो... अगर छीन रहे हो, गम दिलों से....
तो मैं समझूँ तुम खुदा हो
अगर किसी को हँसा रहे हो
दो फूल होंठों पे उगा रहे हो
तो मैं समझूँ तुम खुदा हो...
अगर छीन रहे हो, गम दिलों से
दे रहे हो मुस्कान कई,
हां अगर ये सब करते हो,
तो मैं समझूँ तुम खुदा हो
कोई भी गलती हो, हजारों दफा
तुम माफ़ करते हो सभी
भटकता है कोई दर बदर
उसे तुम राह दिखाते हो
यूं ही तुम गले लगाते हो
तो मैं समझूँ तुम खुदा हो
अगर कोई गिर जाए
यूं ठोकर लग जाए
कोई अकेले मंज़िल तक भटकता फिरे
तो पकड़कर उंगली साथ चलते हो
ज़िंदगी हो अंधेरे में,
तो उजाला भरते हो
उसके बागों में,
यूं हरे भरे ख्वाबों में
हां अगर ऐसा करते हो
तो मैं समझूँ तुम खुदा हो
-मनोज कुमार ,गोण्डा, उत्तर प्रदेश
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