परिंदा पिंजरे का - सुनीता अग्रवाल पिंकी

परिंदा पिंजरे का - सुनीता अग्रवाल पिंकी , राँची (झारखंड)

Jul 25, 2024 - 10:42
 0
परिंदा पिंजरे का - सुनीता अग्रवाल पिंकी
परिंदा पिंजरे का - सुनीता अग्रवाल पिंकी

परिंदा पिंजरे का

ये जीवन है
जो है एक 
जंजाल की भाँति।

जिसमें हम उलझते
फँसते,ठगते
ठगाते रहते सदा।

न जाने क्या पाना होता
न जाने क्या टूटने
लूटने का डर सताता।

जो हम मान ले रे बंधु
जो हम ले जान
कुछ नहीं निरर्थक सब।

व्यर्थ है दिल लगाना
नहीं रहना सदा यहाँ
परिंदा को उड़ जाना।

सुनीता अग्रवाल पिंकी
राँची (झारखंड)

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow

Team India मैंने कई कविताएँ और लघु कथाएँ लिखी हैं। मैं पेशे से कंप्यूटर साइंस इंजीनियर हूं और अब संपादक की भूमिका सफलतापूर्वक निभा रहा हूं।