Seraikela Liquor Raid: सरायकेला में अवैध शराब का काला कारोबार, जंगल और नदी किनारे मिली बड़ी भट्ठी, दो आरोपी चिन्हित!

सरायकेला जिले में जंगल और नदी किनारे चल रही अवैध शराब फैक्ट्री पर प्रशासन का बड़ा एक्शन, 700 किलो जावा महुआ और 50 लीटर शराब ज़ब्त, जानें पूरी खबर।

Feb 17, 2025 - 15:49
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Seraikela Liquor Raid: सरायकेला में अवैध शराब का काला कारोबार, जंगल और नदी किनारे मिली बड़ी भट्ठी, दो आरोपी चिन्हित!
Seraikela Liquor Raid: सरायकेला में अवैध शराब का काला कारोबार, जंगल और नदी किनारे मिली बड़ी भट्ठी, दो आरोपी चिन्हित!

झारखंड के सरायकेला जिले में अवैध शराब के धंधे पर प्रशासन ने कड़ा एक्शन लिया है। उपायुक्त के निर्देश पर उत्पाद अधीक्षक की अगुवाई में एक विशेष छापेमारी अभियान चलाया गया, जिसमें आरआईटी थाना क्षेत्र के भुआ जंगल और पार्वतीपुर के नदी किनारे संचालित अवैध शराब भट्ठी का पर्दाफाश हुआ।

कैसे हुआ खुलासा?

प्रशासन को गुप्त सूचना मिली थी कि जंगल और नदी किनारे बड़े पैमाने पर अवैध महुआ शराब का निर्माण हो रहा है। सूचना मिलते ही प्रशासन ने छापेमारी अभियान चलाया और मौके पर भारी मात्रा में शराब बरामद की। जब टीम ने छानबीन शुरू की, तो 700 किलो जावा महुआ और 50 लीटर तैयार महुआ शराब ज़ब्त किया गया।

अवैध भट्ठी को मौके पर ही ध्वस्त कर दिया गया और दो लोगों की पहचान कर उनके खिलाफ उत्पाद अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया

अवैध शराब का इतिहास: कब से चल रहा है गोरखधंधा?

झारखंड, बिहार और बंगाल के सीमावर्ती इलाकों में अवैध शराब का कारोबार लंबे समय से चलता आ रहा है। महुआ शराब खासतौर पर इन इलाकों में बनाई जाती है, जो देसी तरीके से तैयार की जाती है।

इतिहास में देखा जाए तो ब्रिटिश शासन के दौरान भी महुआ शराब पर कई बार रोक लगाने की कोशिश की गई थी। लेकिन ग्रामीण इलाकों में इसकी खपत इतनी अधिक थी कि इसे पूरी तरह से बंद नहीं किया जा सका। आज भी कई आदिवासी और ग्रामीण इलाकों में महुआ शराब बनाने का काला धंधा तेजी से फैल रहा है

कैसे बनती है महुआ शराब और क्यों है इतनी लोकप्रिय?

महुआ शराब को बनाने के लिए महुआ के फूलों को किण्वित (ferment) किया जाता है, जिससे यह एक देसी शराब का रूप ले लेती है। यह शराब ग्रामीणों में खासा लोकप्रिय है क्योंकि यह सस्ती और आसानी से उपलब्ध होती है।

लेकिन सरकार के लिए यह एक बड़ा सिरदर्द बन चुका है, क्योंकि अवैध शराब से न केवल राजस्व की हानि होती है, बल्कि इससे कई बार जहरीली शराब के मामले भी सामने आते हैं

सरायकेला में बड़े पैमाने पर चल रहा था कारोबार

भुआ जंगल और पार्वतीपुर के नदी किनारे बड़ी मात्रा में अवैध शराब बनाई जा रही थी। इन जगहों को इसलिए चुना गया क्योंकि जंगलों में प्रशासन की नजर कम पड़ती है और नदी के पास शराब तैयार करने के लिए भरपूर पानी उपलब्ध होता है

प्रशासन ने मौके पर पहुंचते ही शराब की भट्ठी को पूरी तरह ध्वस्त कर दिया ताकि इसे फिर से शुरू न किया जा सके।

पुलिस ने किन लोगों को किया चिन्हित?

छापेमारी में पुलिस ने दो मुख्य आरोपियों को चिन्हित किया है, जिन पर अवैध शराब बनाने और बेचने का आरोप है। उनके खिलाफ उत्पाद अधिनियम के तहत केस दर्ज किया गया है और जल्द ही उन्हें गिरफ्तार किया जा सकता है।

सरकार की सख्ती: आगे क्या होगा?

झारखंड सरकार अवैध शराब के खिलाफ लगातार सख्त कदम उठा रही है। प्रशासन अब उन इलाकों पर खास नजर रखेगा, जहां अवैध शराब का निर्माण और बिक्री होती है

अगर भविष्य में कोई अवैध शराब के धंधे में लिप्त पाया जाता है, तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी और संपत्ति भी ज़ब्त की जा सकती है

सरायकेला में हुई इस छापेमारी ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि अवैध शराब का धंधा ग्रामीण इलाकों में कितनी तेजी से फल-फूल रहा है। हालांकि प्रशासन लगातार इस पर कार्रवाई कर रहा है, लेकिन जब तक जनता जागरूक नहीं होगी, तब तक इस गोरखधंधे को पूरी तरह से खत्म करना मुश्किल होगा।

सरायकेला में प्रशासन की यह सख्त कार्रवाई अवैध शराब कारोबारियों के लिए एक बड़ी चेतावनी है। अब देखना होगा कि प्रशासन आगे कितनी सख्ती बरतता है और इस अवैध कारोबार को जड़ से खत्म कर पाता है या नहीं!

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Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।