टाटानगर रेल कर्मचारियों के क्वार्टर जर्जर, जान जोखिम में डालकर रहने को मजबूर

टाटानगर के रेल कर्मचारियों के लिए बने क्वार्टर अब जर्जर हो चुके हैं। मरम्मत की कमी से कर्मचारियों को खतरे में रहना पड़ रहा है।

Jul 18, 2024 - 12:41
Jul 18, 2024 - 12:49
 0
टाटानगर रेल कर्मचारियों के क्वार्टर जर्जर, जान जोखिम में डालकर रहने को मजबूर
टाटानगर रेल कर्मचारियों के क्वार्टर जर्जर, जान जोखिम में डालकर रहने को मजबूर

टाटानगर में रेलवे कर्मचारियों के रहने के लिए बने कुल 2100 क्वार्टर अब पूरी तरह से जर्जर हो चुके हैं। लगभग 50 साल पहले इनका निर्माण हुआ था और तब से अब तक इनकी देखरेख और मरम्मत की कोई खास पहल नहीं की गई है।

दीवारों से झड़ रहा प्लास्टर

क्वार्टरों की हालत इतनी खराब है कि दीवारों का प्लास्टर झड़ने लगा है। कई जगह तो छत का प्लास्टर पूरी तरह से गिर चुका है और दीवार की छड़े साफ नजर आ रही हैं। इससे कर्मचारियों की जान को हमेशा खतरा बना रहता है।

बाहर की दीवारों पर उगे बड़े पौधे

क्वार्टरों की बाहरी दीवारों पर बड़े-बड़े पौधे उग आए हैं। इनकी न तो कटाई की जाती है और न ही सफाई। इससे दीवारों की मजबूती और भी कम हो गई है और वे किसी भी समय गिर सकती हैं।

मरम्मत के लिए की गई शिकायतें बेअसर

कई कर्मचारियों ने मरम्मत के लिए वरीय अधिकारियों से शिकायत की है, लेकिन अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। इससे कर्मचारियों में नाराजगी बढ़ती जा रही है।

कर्मचारियों की परेशानी

रेल कर्मचारियों का कहना है कि वे अपनी जान जोखिम में डालकर यहां रहने को मजबूर हैं। उनके पास और कोई विकल्प नहीं है, क्योंकि नए क्वार्टरों का निर्माण नहीं हो रहा है और पुराने क्वार्टरों की हालत दिन-ब-दिन खराब होती जा रही है।

टाटानगर रेलवे क्वार्टरों की जर्जर हालत को देखते हुए प्रशासन को तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए। कर्मचारियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इन क्वार्टरों की मरम्मत और देखरेख की जानी चाहिए ताकि वे सुरक्षित और बिना किसी चिंता के वहां रह सकें।

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow

Chandna Keshri चंदना केशरी, जो गणित-विज्ञान में इंटरमीडिएट हैं, स्थानीय खबरों और सामाजिक गतिविधियों में निपुण हैं।