Jamshedpur Discussion: Constitution पर आरोप-प्रत्यारोप से आहत सरयू राय, एकांगी सोच को ठहराया जिम्मेदार

जमशेदपुर में गणतंत्र दिवस पर विधायक सरयू राय ने संविधान पर चल रही बहस को स्वार्थी तत्वों का नतीजा बताते हुए कहा कि एकांगी सोच राष्ट्रीय एकता के लिए घातक है।

Jan 26, 2025 - 14:12
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Jamshedpur Discussion: Constitution पर आरोप-प्रत्यारोप से आहत सरयू राय, एकांगी सोच को ठहराया जिम्मेदार
Jamshedpur Discussion: Constitution पर आरोप-प्रत्यारोप से आहत सरयू राय, एकांगी सोच को ठहराया जिम्मेदार

जमशेदपुर : संविधान के 75 वर्षों के ऐतिहासिक सफर के बाद भी इसे लेकर देशभर में चल रही आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति ने जमशेदपुर पश्चिमी के विधायक सरयू राय को चिंतित कर दिया है। गणतंत्र दिवस के अवसर पर बिष्टुपुर स्थित अपने कार्यालय में ध्वजारोहण के बाद श्री राय ने संविधान की वर्तमान स्थिति पर तीखी टिप्पणी की। उन्होंने कहा, “संविधान को लेकर जो बहस चल रही है, वह दुखद है। यह देश के लिए चिंताजनक है कि राजनीतिक दल इसे अपनी-अपनी धारणा के मुताबिक व्याख्या कर रहे हैं और आम सहमति की कोशिश नहीं हो रही।”

संविधान की मूल भावना और 42वां संशोधन श्री राय ने कहा कि हमारा संविधान बेहद लचीला है और इसे समय, परिस्थिति और जरूरत के मुताबिक बदला जा सकता है। लेकिन इसकी मूल भावना, जो कि इसकी प्रस्तावना में समाहित है, उसमें बदलाव नहीं किया जा सकता। 1976 में 42वें संशोधन के माध्यम से संविधान में “पंथनिरपेक्ष” और “समाजवाद” जैसे शब्द जोड़े गए, जिसके बाद से ही इस पर अलग-अलग राजनीतिक दलों के बीच बहस छिड़ गई। उन्होंने कहा, “समीक्षा करना एक बात है, लेकिन आज की स्थिति में राजनीतिक दल समीक्षा के बजाय आलोचना करने में ज्यादा रुचि दिखा रहे हैं।”

राजनीतिक दलों की होड़ और आम सहमति का अभाव सरयू राय ने इस बात पर जोर दिया कि संविधान के 75 वर्षों के दौरान 106 से अधिक संशोधन हो चुके हैं। लेकिन, यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इन संशोधनों के प्रभाव और भविष्य में आवश्यक सुधारों को लेकर कोई आम राय नहीं बन पाई। उन्होंने कहा, “यह देश का दुर्भाग्य है कि संविधान जैसे महत्वपूर्ण विषय पर भी राजनीतिक दल अपने-अपने स्वार्थों में उलझे हुए हैं।”

संविधान निर्माण की ऐतिहासिक झलक श्री राय ने संविधान निर्माण के ऐतिहासिक पहलुओं का उल्लेख करते हुए बताया कि जब भारतीय संविधान तैयार किया जा रहा था, तो उस समय देश के प्रसिद्ध कलाकार नंदलाल बोस को इसकी सजावट की जिम्मेदारी दी गई थी। संविधान के पन्नों में रामायण, महाभारत और वेद-पुराण जैसे भारतीय सनातन धर्म के मूल तत्वों को स्थान दिया गया। उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान न केवल कानूनी दस्तावेज है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और परंपरा का प्रतीक भी है।

आज के दौर की चुनौतियां श्री राय ने कहा कि वर्तमान में देश की सीमाओं पर संकट के साथ-साथ आंतरिक समस्याएं भी गंभीर हैं। संविधान को लेकर जिस तरह की बहस चल रही है, वह देश की एकता और अखंडता के लिए खतरनाक है। उन्होंने कहा, “आज की राजनीति स्वार्थी तत्वों से भरी हुई है, जो देश को एकजुट होने से रोक रहे हैं। यह बेहद दुखद है कि राजनीतिक दल संविधान को अपने स्वार्थ के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं।”

भविष्य में क्या जरूरी है? सरयू राय ने सुझाव दिया कि संविधान में भविष्य में क्या और कैसे तथ्य जोड़े जाएं, इस पर आम सहमति बननी चाहिए। उन्होंने कहा, “यह जरूरी है कि संविधान की समीक्षा के नाम पर आरोप-प्रत्यारोप की जगह एक ठोस और सकारात्मक संवाद शुरू हो। हमें यह तय करना होगा कि आने वाले समय में हमारा संविधान और अधिक मजबूत और प्रासंगिक बने।”

संविधान पर बहस के वर्तमान दौर से क्या सीखा जा सकता है? श्री राय ने कहा कि आरोप-प्रत्यारोप का यह दौर हमें यह सीख देता है कि एकांगी सोच को कभी भी राष्ट्रीय सोच नहीं बनाया जा सकता। उन्होंने जोर दिया कि यदि सभी राजनीतिक दल मिलकर संविधान की समीक्षा के लिए एकमत होते, तो आज यह स्थिति नहीं बनती।

 संविधान को लेकर चल रही बहस को एक दिशा देने और इसे सकारात्मक बनाने की जिम्मेदारी हम सभी की है। देश की एकता और अखंडता को बनाए रखने के लिए राजनीतिक दलों को स्वार्थ से ऊपर उठकर काम करना होगा।

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Manish Tamsoy मनीष तामसोय कॉमर्स में मास्टर डिग्री कर रहे हैं और खेलों के प्रति गहरी रुचि रखते हैं। क्रिकेट, फुटबॉल और शतरंज जैसे खेलों में उनकी गहरी समझ और विश्लेषणात्मक क्षमता उन्हें एक कुशल खेल विश्लेषक बनाती है। इसके अलावा, मनीष वीडियो एडिटिंग में भी एक्सपर्ट हैं। उनका क्रिएटिव अप्रोच और टेक्निकल नॉलेज उन्हें खेल विश्लेषण से जुड़े वीडियो कंटेंट को आकर्षक और प्रभावी बनाने में मदद करता है। खेलों की दुनिया में हो रहे नए बदलावों और रोमांचक मुकाबलों पर उनकी गहरी पकड़ उन्हें एक बेहतरीन कंटेंट क्रिएटर और पत्रकार के रूप में स्थापित करती है।