Khunti Accident : गुरुवार की सुबह खूंटी में गूंजीं चीखें, 35 मासूमों की जान बाल-बाल बची!
खूंटी में स्कूल बस और हाइवा की जोरदार टक्कर से बच्चों में मची चीख-पुकार, जानिए कैसे बाल-बाल बचे 35 मासूम और कैसा है घायलों का हाल।

झारखंड के खूंटी जिला में गुरुवार सुबह ऐसा मंजर देखने को मिला जिसने पूरे इलाके को दहला दिया। सुबह-सुबह जब स्कूल बस में बैठे बच्चे अपनी किताबों और टिफिन के साथ दिन की शुरुआत कर रहे थे, तब तजना नदी के पास एक गिट्टी लदे हाइवा ने उनकी बस को जबरदस्त टक्कर मार दी। बस में मौजूद 35 स्कूली बच्चे उस हादसे में बाल-बाल बच गए, लेकिन कुछ बच्चे और हाइवा ड्राइवर घायल हो गए।
इस भीषण दुर्घटना के बाद चीख-पुकार मच गई। मासूम बच्चों की डर से भरी चिल्लाहटें सुनकर आसपास के लोग दौड़ पड़े और तुरंत पुलिस व अभिभावकों को सूचना दी गई।
कैसे हुआ हादसा?
जानकारी के मुताबिक, गिट्टी से भरा हाइवा (रजिस्ट्रेशन संख्या JH01DD-4252) हुटार की ओर से खूंटी की तरफ आ रहा था। उसी समय तजना नदी के समीप टेंडर हार्ट स्कूल की बस (JH01AS-2851) बच्चों को लेकर स्कूल जा रही थी। अचानक दोनों वाहनों की आमने-सामने टक्कर हो गई।
टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि हाइवा का ड्राइवर बुधन लाल मुंडा केबिन में बुरी तरह फंस गया। स्थानीय लोगों की मदद से घंटों की मशक्कत के बाद उसे बाहर निकाला गया और सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां पता चला कि उसका एक पैर टूट गया है।
स्कूली बच्चों के बीच दहशत का माहौल
टक्कर होते ही बस में बैठे बच्चों में अफरा-तफरी मच गई। कुछ बच्चों को हल्की चोटें आईं, लेकिन बड़ा हादसा होते-होते टल गया। बच्चे इतना डर गए थे कि कुछ रोने लगे, कुछ चुपचाप सीट पकड़कर बैठ गए। आसपास मौजूद ग्रामीण और राहगीरों ने बच्चों को बाहर निकालकर सुरक्षित किया।
जैसे ही खबर अभिभावकों तक पहुंची, कई परिजन घटनास्थल पर दौड़े चले आए। पुलिस भी तुरंत मौके पर पहुंची और घायलों को नजदीकी निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया।
दूसरी बस से भेजे गए स्कूल
हादसे के बाद शिक्षा विभाग और स्कूल प्रशासन ने तुरंत फैसला लिया कि बच्चों को दूसरी बस से स्कूल भेजा जाएगा। हालांकि, अधिकतर बच्चों की मानसिक स्थिति डरी हुई थी, और कई अभिभावकों ने बच्चों को घर वापस ले जाने का निर्णय लिया।
खूंटी में सड़क हादसों का बढ़ता खतरा
यह पहला मौका नहीं है जब खूंटी-रांची मार्ग पर बड़ा सड़क हादसा हुआ हो। गिट्टी लदे भारी वाहनों की तेज गति और सुरक्षा मानकों की अनदेखी इस मार्ग पर दुर्घटनाओं की बड़ी वजह बनती जा रही है। इससे पहले भी इसी क्षेत्र में कई बार स्कूली बसों और प्राइवेट वाहनों की भिड़ंत हो चुकी है।
सवाल उठते हैं…
क्या स्कूली बच्चों की सुरक्षा सिर्फ किस्मत के भरोसे है?
क्या भारी वाहनों की रफ्तार पर लगाम लगाना अब भी मुमकिन नहीं?
और, क्या हादसों के बाद ही हम जागेंगे?
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