Bagbera Protest: पानी के लिए उबल पड़ा पूरा पंचायत क्षेत्र, जानिए क्या है जल संकट का असली कारण?
बागबेड़ा कीताडीह जिला परिषद क्षेत्र के आठ पंचायतों में पानी की भारी किल्लत से लोग परेशान हैं। अगर 19 अप्रैल तक समाधान नहीं हुआ, तो पंचायत प्रतिनिधि उपायुक्त कार्यालय का करेंगे घेराव। पढ़िए पूरी खबर।

बागबेड़ा (झारखंड): झारखंड के बागबेड़ा कीताडीह क्षेत्र में पानी की ऐसी किल्लत हुई है कि आठों पंचायतों में हाहाकार मच गया है। लोग सुबह से शाम तक एक बाल्टी पानी के लिए तरस रहे हैं, और यह हालात कोई अचानक नहीं बने हैं। हर साल फरवरी आते ही इस इलाके का भूजल स्तर इतना नीचे चला जाता है कि हैंडपंप और कुएं भी जवाब दे देते हैं।
पानी की इसी गंभीर समस्या को लेकर आज जिला परिषद सदस्य डॉ कविता परमार के आवासीय कार्यालय में एक आपात बैठक बुलाई गई। इस बैठक में सभी पंचायतों के मुखिया, उपमुखिया, पंचायत समिति सदस्य और वार्ड सदस्य उपस्थित थे।
बैठक में इस बात पर रोष व्यक्त किया गया कि फरवरी महीने में ही उपायुक्त से पानी आपूर्ति के लिए अनुरोध किया गया था, और मार्च में जुस्को और तारापुर को पानी सप्लाई का आदेश भी मिला था। लेकिन अब तक क्षेत्र में मात्र 2500 लीटर के एक टैंकर से एक ही ट्रिप पानी भेजा जा रहा है, जो इस सूखे इलाके के लिए ऊंट के मुंह में जीरा साबित हो रहा है।
इतिहास भी गवाह है — बागबेड़ा वर्षों से ‘ड्राई ज़ोन’ में
बागबेड़ा क्षेत्र को झारखंड सरकार ने वर्षों पहले ही "ड्राई ज़ोन" घोषित किया था। यहां हर साल गर्मी शुरू होते ही जलस्तर खतरनाक रूप से गिर जाता है। स्थिति इतनी विकट हो जाती है कि कई गांवों में दिन-भर की मशक्कत के बाद भी पानी नहीं मिल पाता। वर्ष 2016 और 2019 में भी ऐसे ही जल संकट के कारण लोगों को विरोध प्रदर्शन का सहारा लेना पड़ा था।
19 अप्रैल तक नहीं मिला पानी तो होगा विरोध प्रदर्शन
आज की बैठक में एकजुट होकर निर्णय लिया गया कि अगर शनिवार 19 अप्रैल तक सभी पानी प्वाइंट्स पर समुचित पानी आपूर्ति नहीं की जाती है, तो सोमवार 21 अप्रैल को सभी पंचायत प्रतिनिधि कामकाज रोककर उपायुक्त कार्यालय पर धरना देंगे। इस विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व खुद डॉ कविता परमार करेंगी।
बैठक में मौजूद रहे जन प्रतिनिधि और समाजसेवी
बैठक में जिन लोगों ने भाग लिया उनमें शामिल थे:
मुखिया उमा मुंडा, धनमुनी मार्डी, मायावती टुडू, राजकुमार गौड़, मनोज मुर्मू, समिति सदस्य राजू सिंह, झरना मिश्रा, गीतिका प्रसाद, उपमुखिया सुरेश निषाद, पूर्व उपमुखिया कुमोद यादव, वार्ड सदस्य अभिषेक कुमार, समाजसेवी नीरज चौधरी, के डी मुंडा और नागेश प्रसाद।
सिर्फ एक टैंकर, हजारों की प्यास
आज की सबसे बड़ी चिंता की बात यह रही कि इतने बड़े क्षेत्र को सिर्फ एक टैंकर से राहत दी जा रही है। जब क्षेत्र की आबादी हजारों में हो और जलस्रोत पूरी तरह सूख चुके हों, तब सिर्फ 2500 लीटर पानी किसी एक मुहल्ले तक भी नहीं पहुंच पाता।
अब जनता की निगाहें उपायुक्त पर
पंचायत प्रतिनिधियों के अनुसार, अगर प्रशासन ने इस बार भी आंख मूंद ली, तो बागबेड़ा में बड़ा जन आंदोलन खड़ा हो सकता है। पानी सिर्फ एक संसाधन नहीं, बल्कि जीवन की बुनियादी जरूरत है, और इसे नजरअंदाज करना अब असंभव होता जा रहा है।
क्या उपायुक्त सुनेंगे इस बार जनता की पुकार?
क्या सरकार अब कोई स्थायी समाधान निकालेगी या फिर हर साल गर्मी में यही हाहाकार दोहराया जाएगा?
अब देखना यह है कि 19 अप्रैल तक प्रशासन क्या कदम उठाता है।
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