Jaintgarh Accident: बैंक से पैसे निकालने निकली महिला की दर्दनाक मौत, ट्रेलर ने कुचला
जैंतगढ़ एनएच-20 पर बुधवार को एक महिला की ट्रेलर से कुचले जाने से मौके पर ही मौत हो गई। बैंक से पैसे निकालकर लौट रही महिला की यह मौत इलाके में आक्रोश का कारण बन गई है। जानिए कैसे सुरक्षा की अनदेखी फिर ले गई एक ज़िंदगी।

जैंतगढ़, ओडिशा: एनएच-20 पर एक बार फिर लापरवाही और सिस्टम की सुस्ती ने एक मासूम की जान ले ली। चंपुआ थाने के सामने बुधवार की दोपहर एक 22 वर्षीय महिला बैंक से पैसे निकालकर पैदल लौट रही थी, तभी एक तेज रफ्तार ट्रेलर ने उसे कुचल दिया। महिला की मौके पर ही दर्दनाक मौत हो गई।
मृतका की पहचान बैजंती हेसा के रूप में हुई है, जो चंपुआ के कबराघुटू (वार्ड नं. 13) की रहने वाली थी। वह अपने पति मगरू हेसा के साथ रहती थी। पति ने बताया कि बैजंती बैंक ऑफ इंडिया से पैसे निकालने गई थी, लेकिन किसे पता था कि यह उसकी आखिरी यात्रा होगी।
कैसे हुई दर्दनाक घटना?
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, बैजंती बैंक से लौटते समय सड़क पार कर रही थी, तभी तेज गति से आ रहे ट्रेलर (नंबर JH-05AH-7451) ने उसे अपनी चपेट में ले लिया। वाहन का एक पहिया उसके शरीर के ऊपर से गुजर गया, जिससे मौके पर ही अत्यधिक रक्तस्राव के चलते उसकी मौत हो गई।
चंपुआ पुलिस तुरंत घटनास्थल पर पहुँची, शव को अनुमंडल अस्पताल भिजवाया गया और ट्रेलर को ज़ब्त कर लिया गया है। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
पहले भी हो चुकी हैं ऐसी घटनाएं
यह कोई पहला मामला नहीं है जब एनएच-20 पर इस तरह की दर्दनाक दुर्घटना हुई हो। बीते सप्ताह ही निकोल्सन फॉरेस्ट स्कूल के पास एक सरकारी कर्मचारी की भी अज्ञात वाहन से कुचलकर मौत हो गई थी।
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि एनएच-20 पर भारी वाहनों की आवाजाही लगातार बनी रहती है, और चंपुआ क्षेत्र में बायपास की सख्त ज़रूरत है। यहां पैदल चलने वालों के लिए कोई सुरक्षित ज़ेब्रा क्रॉसिंग, सिग्नल या स्पीड ब्रेकर नहीं है।
क्यों बन गया है बायपास निर्माण ज़रूरी?
चंपुआ के लोग वर्षों से मांग कर रहे हैं कि शहर के भीतर से गुजरने वाली इस व्यस्त हाईवे पर ट्रैफिक को डायवर्ट करने के लिए एक बायपास बनाया जाए। हर सप्ताह हो रहे हादसे यह स्पष्ट संकेत दे रहे हैं कि अगर अब भी ध्यान नहीं दिया गया, तो और भी ज़िंदगियाँ सड़कों पर खत्म होती रहेंगी।
प्रशासन ने कुछ समय पहले प्रस्ताव जरूर रखा था, लेकिन आज तक न कोई टेंडर निकला, न कोई निर्माण शुरू हुआ।
सवालों के घेरे में सुरक्षा व्यवस्था
इस हादसे ने एक बार फिर राज्य की सड़क सुरक्षा व्यवस्था को कटघरे में ला खड़ा किया है। ट्रैफिक पुलिस की मौज़ूदगी, सीसीटीवी, स्पीड कंट्रोल और पैदल चलने वालों की सुरक्षा के लिए जरूरी उपायों की कमी साफ झलकती है।
क्या प्रशासन हर हादसे के बाद सिर्फ मुआवज़े और बयान जारी करने तक ही सीमित रहेगा? या अब कोई ठोस कदम उठाया जाएगा?
बैजंती हेसा की मौत सिर्फ एक दुर्घटना नहीं, बल्कि सिस्टम की लापरवाही का नतीजा है। इस घटना ने एक बार फिर दिखा दिया कि जब तक हम सड़कों को सुरक्षित नहीं बनाते, तब तक ऐसी खबरें आम होती रहेंगी।
अब समय आ गया है कि स्थानीय प्रशासन चंपुआ बायपास के निर्माण को प्राथमिकता दे और सड़क सुरक्षा को लेकर सख्त नियम लागू करे, ताकि अगली बैजंती किसी दुर्घटना की शिकार न बने।
What's Your Reaction?






