घाटशिला: मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं अक्सर अनदेखी की जाती हैं, लेकिन घाटशिला प्रखंड के डाक बंगला और गोपालपुर फाटक क्षेत्र में रहने वाली दो महिलाओं की स्थिति को देखकर समाज में जागरूकता की आवश्यकता महसूस हुई। मंजू नाथ मुर्मू और झुनकी सोनकर दोनों मानसिक विक्षिप्तता का शिकार हैं। इनकी स्थिति को देखकर घाटशिला जिला परिषद सदस्य कर्ण सिंह ने न केवल मदद का हाथ बढ़ाया, बल्कि पूरी प्रक्रिया को सुगम बनाने के लिए कागजी कार्यवाही पूरी कर रांची भेजा, ताकि इन महिलाओं को चिकित्सा और अन्य जरूरी सहायता मिल सके।
मानसिक स्वास्थ्य को लेकर समाज की जिम्मेदारी
मंच पर अपनी बात रखते हुए कर्ण सिंह ने कहा कि मानसिक विकारों से ग्रसित व्यक्तियों के इलाज में समाज का योगदान जरूरी है। उन्होंने इस पहल को लेकर अपनी बात रखते हुए कहा, "मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। इन दोनों महिलाओं के लिए जिस तरह का समर्थन हमें मिला है, वैसा हर व्यक्ति के लिए होना चाहिए। मानसिक विकार से जूझ रहे व्यक्तियों की मदद करना हम सब की जिम्मेदारी है।"
घाटशिला क्षेत्र में इस पहल को लेकर स्थानीय लोगों में सकारात्मक प्रतिक्रिया देखने को मिली है। कर्ण सिंह का मानना है कि समाज में मानसिक विकारों के प्रति जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता है। यह कदम न सिर्फ इन दो महिलाओं के लिए, बल्कि पूरी समाज के लिए एक उदाहरण पेश करता है कि मानसिक विकारों का इलाज सिर्फ चिकित्सीय प्रक्रिया नहीं है, बल्कि एक सामूहिक प्रयास है।
मानसिक विकारों का इलाज और समाज का सहयोग
भारत में मानसिक विकारों के इलाज को अक्सर कमतर आंका जाता है। समाज में ऐसे व्यक्तियों को प्रायः उपेक्षित किया जाता है। हालांकि, अब इस समस्या पर ध्यान देने की आवश्यकता महसूस हो रही है। कर्ण सिंह की पहल ने यह सिद्ध कर दिया कि मानसिक विकारों से जूझ रहे व्यक्तियों के लिए चिकित्सा के साथ-साथ समाज का सहयोग भी बेहद अहम है।
मंजू और झुनकी की मदद के बाद कर्ण सिंह ने यह संदेश दिया कि मानसिक विकारों से पीड़ित लोगों को तहे दिल से मदद की आवश्यकता है। उनका कहना था कि सरकार और समाज को मिलकर इन समस्याओं के समाधान के लिए काम करना चाहिए।
समाज में जागरूकता का प्रयास
इस कदम से यह भी साबित हुआ कि मानसिक विकारों पर चर्चा करने और जागरूकता फैलाने की जरूरत है। जब तक समाज मानसिक विकारों के प्रति संवेदनशील नहीं होगा, तब तक ऐसे मामलों में सुधार की उम्मीद कम रहेगी। मानसिक विकारों से जूझ रहे व्यक्तियों को इलाज की सुविधा मिले, इसके लिए जरूरी है कि हम सब मिलकर इस मुद्दे को अपनी प्राथमिकताओं में रखें।
इतिहास में मानसिक स्वास्थ्य के प्रति बदलता दृष्टिकोण
अतीत में मानसिक विकारों को लेकर बहुत कम जानकारी और जागरूकता थी। लेकिन अब समय बदल चुका है और मानसिक स्वास्थ्य को लेकर नए दृष्टिकोण सामने आ रहे हैं। कर्ण सिंह जैसे नेता समाज में बदलाव की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठा रहे हैं। उनका यह प्रयास मानसिक विकारों से पीड़ित व्यक्तियों के लिए एक नई उम्मीद लेकर आया है।
जागरूकता और सहयोग की आवश्यकता
घाटशिला के इस प्रयास से यह स्पष्ट है कि मानसिक विकारों से जूझ रहे व्यक्तियों के लिए समाज का सहयोग और संवेदनशीलता महत्वपूर्ण है। कर्ण सिंह ने जिस तरह से इन महिलाओं की मदद की, वह न केवल एक व्यक्तिगत प्रयास है, बल्कि पूरे समाज के लिए एक संदेश है कि हमें मानसिक स्वास्थ्य के प्रति अधिक जागरूक और संवेदनशील होना होगा। समाज में अगर हर व्यक्ति इस दिशा में कदम बढ़ाए, तो हम मानसिक विकारों से जूझ रहे लोगों की स्थिति में सुधार ला सकते हैं।
समाज की जिम्मेदारी है कि मानसिक विकारों से जूझ रहे व्यक्तियों के लिए सहायता का हाथ बढ़ाए, ताकि वे भी समाज में सम्मान से जी सकें और उनका जीवन बेहतर हो सके।