Adityapur Meeting: न्यूनतम वेतन और मजदूरों की समस्याओं पर इंटक प्रतिनिधिमंडल ने DOLC से की मुलाकात
आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र में न्यूनतम वेतन और मजदूरों के अधिकारों को लेकर इंटक प्रतिनिधिमंडल ने DOLC से मुलाकात की। जानें बैठक के मुख्य बिंदु और अगला कदम।
आदित्यपुर: सरायकेला-खरसावां औद्योगिक क्षेत्र में मजदूरों के न्यूनतम वेतन और अन्य समस्याओं को लेकर जिला इंटक का एक प्रतिनिधिमंडल जमशेदपुर के डिप्टी लेबर कमिश्नर (DOLC) राजेश प्रसाद से मिला। इंटक जिलाध्यक्ष केपी तिवारी के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल ने डीएलसी कार्यालय पहुंचकर गुलदस्ता भेंट कर उनका स्वागत किया, और फिर औद्योगिक क्षेत्र में श्रमिकों को आ रही समस्याओं पर विस्तार से चर्चा की।
औद्योगिक क्षेत्र में श्रमिकों को न्यूनतम वेतन नहीं!
इंटक जिलाध्यक्ष केपी तिवारी ने बताया कि सरायकेला-खरसावां औद्योगिक क्षेत्र की अधिकांश कंपनियां सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम वेतन का पालन नहीं कर रही हैं। कई कंपनियों में मजदूरों का पीएफ (Provident Fund) और ईएसआई (Employee State Insurance) भी नहीं काटा जा रहा। उन्होंने डीएलसी से अनुरोध किया कि ऐसी कंपनियों पर जल्द से जल्द कार्रवाई की जाए, ताकि मजदूरों को उनका हक मिल सके।
DOLC ने दिया आश्वासन, लिखित शिकायत पर होगी कार्रवाई
डीएलसी राजेश प्रसाद ने प्रतिनिधिमंडल को आश्वस्त किया कि अगर मजदूरों से संबंधित कोई भी लिखित शिकायत मिलती है, तो कानूनी प्रक्रिया के तहत कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि सरकार श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है और ऐसे मामलों में सख्त कदम उठाए जाएंगे।
बैठक में मौजूद प्रमुख प्रतिनिधि
इस बैठक में केपी तिवारी के साथ इंटक के वरिष्ठ सदस्य सुनील सिंह और सुशील सिंह भी शामिल थे। सभी ने एकमत से मजदूरों के अधिकारों की रक्षा और उनके हितों के लिए लड़ाई जारी रखने का संकल्प लिया।
श्रमिकों के लिए क्या होगा अगला कदम?
मजदूरों को जागरूक किया जाएगा कि वे न्यूनतम वेतन और अन्य सुविधाओं की मांग करें।
यदि किसी भी कंपनी में श्रमिकों को तय वेतन नहीं दिया जाता, तो इसकी लिखित शिकायत दर्ज कराई जाएगी।
सरकार और श्रम विभाग से इस मुद्दे पर त्वरित कार्रवाई की मांग की जाएगी।
श्रमिकों के हक की लड़ाई जारी
इस मुलाकात से यह स्पष्ट है कि इंटक श्रमिकों के हक के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है और औद्योगिक क्षेत्र में मजदूरों को न्यूनतम वेतन दिलाने के लिए हर संभव प्रयास किया जाएगा। यदि कंपनियां सरकार के नियमों का पालन नहीं करतीं, तो कानूनी कार्रवाई अनिवार्य होगी।
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