Pakur Loot : कुख्यात मंजीत मुर्मू गैंग का पर्दाफाश, हथियार-नकदी-गहनों संग दो अपराधी गिरफ्तार
पाकुड़ जिले में सीएसपी ऑपरेटर से 3 लाख की लूट का पुलिस ने खुलासा किया। कुख्यात अपराधी मंजीत मुर्मू और सहयोगी कोलेश हांसदा गिरफ्तार, हथियार-नकदी और गहने बरामद। जानें पूरा मामला।

Pakur: झारखंड का सीमावर्ती जिला पाकुड़ हमेशा से आपराधिक गतिविधियों का गढ़ माना जाता रहा है। तस्करी से लेकर अवैध खनन और लूटपाट तक, कई बार यहां पुलिस के लिए अपराध पर लगाम लगाना चुनौती बना रहा है। 12 सितंबर को घटी ताजा घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया कि आखिरकार अपराधी किस तरह दिनदहाड़े लोगों को निशाना बना रहे हैं।
दरअसल, अमड़ापाड़ा थाना क्षेत्र के बोका मोड़ के पास एक सीएसपी ऑपरेटर से 3 लाख रुपये की लूट ने पूरे इलाके में सनसनी फैला दी थी। लूटकांड के महज छह दिन बाद, पुलिस ने इस गुत्थी को सुलझाते हुए कुख्यात अपराधी मंजीत मुर्मू उर्फ मानिक और उसके साथी कोलेश हांसदा को गिरफ्तार कर लिया है।
पुलिस का बड़ा खुलासा
शुक्रवार को पाकुड़ एसपी निधि द्विवेदी ने प्रेसवार्ता कर बताया कि गठित विशेष जांच दल (SIT) ने लगातार छापेमारी कर इस गिरोह का भंडाफोड़ किया। दोनों अपराधियों के पास से 1 लाख 19 हजार रुपये नकद, एक लोडेड देशी कट्टा, चार गोली, दो मोबाइल फोन, घटना में प्रयुक्त बाइक और पहले लूटी गई सोने की बाली भी बरामद की गई।
गिरफ्तारी से पहले का रोमांचक ड्रामा
18 सितंबर को पुलिस ने जब सिमलजोड़ी गांव में मंजीत को दबोचने की कोशिश की, तो उसने अपने साथी के साथ मिलकर पुलिस दल पर रॉड और पंच से जानलेवा हमला कर दिया। इस हमले में थाना प्रभारी गंभीर रूप से घायल हो गए। हालांकि, पुलिस ने हार नहीं मानी। अगले ही दिन जामकुंदर के पास घेराबंदी कर दोनों अपराधियों को दबोच लिया गया।
मंजीत मुर्मू का आपराधिक सफर
पाकुड़ पुलिस के रिकॉर्ड में मंजीत का नाम किसी नए अपराधी की तरह नहीं, बल्कि एक कुख्यात गैंगस्टर की तरह दर्ज है। उस पर अब तक 15 से अधिक संगीन मामले दर्ज हैं। इनमें हत्या, लूट, अपहरण और आर्म्स एक्ट जैसे गंभीर अपराध शामिल हैं।
इतिहास गवाह है कि पिछले दो दशकों से पाकुड़-दुमका का यह इलाका छोटे-बड़े आपराधिक गिरोहों की गतिविधियों से जूझता रहा है। कभी अवैध कोयला कारोबार, तो कभी सीमावर्ती जिलों में चलने वाला तस्करी नेटवर्क—हर बार पुलिस और अपराधियों के बीच यह खींचतान चलती रही है। मंजीत और उसका गिरोह भी इसी कड़ी का हिस्सा था, जो सीएसपी संचालकों, राहगीरों और कारोबारियों को कट्टे की नोक पर लूटकर इलाके में दहशत फैलाता था।
सहयोगी कोलेश हांसदा भी अपराधी इतिहास से जुड़ा
पुलिस के मुताबिक, गिरफ्तार दूसरा आरोपी कोलेश हांसदा भी किसी साधारण अपराधी की श्रेणी में नहीं आता। वह पहले भी चोरी और लूट के मामलों में जेल जा चुका है। पुलिस मानती है कि दोनों मिलकर एक संगठित आपराधिक नेटवर्क चला रहे थे, जिसका दायरा सिर्फ अमड़ापाड़ा ही नहीं बल्कि महेशपुर, हिरणपुर, शिकारीपाड़ा सहित दुमका और पाकुड़ के सीमावर्ती क्षेत्रों तक फैला हुआ था।
बरामदगी और पुलिस का संदेश
बरामद हथियार और नकदी इस बात की पुष्टि करते हैं कि यह गिरोह केवल छोटे-मोटे अपराध तक सीमित नहीं था। उनका मकसद था लगातार लोगों को निशाना बनाकर इलाके में आतंक का माहौल कायम करना। लेकिन इस गिरफ्तारी ने एक बार फिर यह संदेश दिया है कि पुलिस चाहे कितनी भी चुनौतियों का सामना करे, अपराधियों को छोड़ने का इरादा नहीं रखती।
पाकुड़ का यह मामला केवल एक लूटकांड का खुलासा नहीं, बल्कि उस गहरे अपराध जगत की झलक है, जो सीमावर्ती जिलों में पनप रहा है। मंजीत मुर्मू और उसके साथी की गिरफ्तारी ने पुलिस की दक्षता पर विश्वास मजबूत किया है। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या इस तरह की कार्रवाई से लंबे समय तक अपराध पर अंकुश लग पाएगा?
इतिहास यही कहता है कि अपराध का जाल टूटने में वक्त लगता है। फिलहाल, पाकुड़ की जनता को राहत है कि तीन लाख की लूट का गुनहगार सलाखों के पीछे पहुंच चुका है।
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