Jamshedpur Death: ड्यूटी से लौटे जवान की रात में मौत, सुबह तक बिस्तर पर पड़ी रह गई चुप्पी
जमशेदपुर के सोनारी में स्थित जैप-6 कैंप में एक जवान की रहस्यमयी मौत ने सभी को चौंका दिया। रात में सोया और सुबह नहीं उठा—कारण बना हार्ट अटैक, लेकिन सवाल कई हैं।

जमशेदपुर की शांत फिजाओं में बुधवार सुबह एक दुखद खबर तैर गई। जैप-6 (झारखंड आर्म्ड पुलिस) कैंप, सोनारी से जुड़े एक जवान की रहस्यमयी मौत ने साथी जवानों और पुलिस महकमे में शोक की लहर दौड़ा दी।
मृतक जवान का नाम बिपिन कुमार यादव था, उम्र 40 वर्ष, जो गिरीडीह जिले का रहने वाला था और हाल ही में गालूडीह में तैनाती पूरी कर वापस सोनारी जैप-6 कैंप लौटा था। लेकिन किसे पता था कि उसकी यह वापसी हमेशा के लिए चुप्पी में बदल जाएगी।
रात की बेचैनी और सुबह की खामोशी
मंगलवार रात जवान बिपिन यादव खाना खाकर रोज़ की तरह अपने कमरे में सोने चले गए। साथी जवानों के अनुसार, उन्होंने रात में थोड़ी बेचैनी की शिकायत की थी—नींद नहीं आ रही थी, घबराहट महसूस हो रही थी।
लेकिन उन्होंने इसे सामान्य तनाव समझा और आराम करने की सलाह दी। किसी ने नहीं सोचा था कि यह बेचैनी, जिंदगी की आखिरी घड़ी की दस्तक थी।
सुबह जब बिपिन उठे नहीं, तो साथियों ने उन्हें जगाने की कोशिश की। लेकिन दरवाजा नहीं खुला। जब दरवाजा तोड़ा गया, तो बिपिन बेहोश हालत में बिस्तर पर पड़े थे।
अस्पताल में मिला मौत का ऐलान
उन्हें तत्काल एमजीएम अस्पताल ले जाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने जांच के बाद उन्हें मृत घोषित कर दिया। प्रारंभिक जानकारी के मुताबिक, हार्ट अटैक ही मौत का कारण माना जा रहा है।
पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है और अब पूरी घटना की मेडिकल रिपोर्ट का इंतजार है।
जैप की ड्यूटी और दबाव का सच
झारखंड आर्म्ड पुलिस (JAP) की गिनती राज्य के सबसे कठिन और चुनौतीपूर्ण डिपार्टमेंट्स में होती है। लगातार ड्यूटी, कम नींद और मानसिक तनाव इन जवानों की जिंदगी का हिस्सा बन चुका है।
बिपिन यादव भी पिछले कुछ हफ्तों से गालूडीह में तैनात थे, जहां नक्सल क्षेत्र की चौकसी और हाई अलर्ट की स्थिति हमेशा बनी रहती है। हाल ही में जब वे छुट्टी लेकर सोनारी कैंप लौटे, तब शायद शरीर और मन दोनों थक चुके थे।
क्या यह सिर्फ हार्ट अटैक था?
हालांकि शुरुआती रिपोर्ट इसे स्वाभाविक मौत मान रही है, लेकिन कुछ सवाल जरूर उठते हैं—
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क्या जवानों की नियमित मेडिकल जांच होती है?
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क्या ड्यूटी का तनाव अब जवानों की जान लेने लगा है?
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क्या इस मौत के पीछे कोई और कारण छिपा हो सकता है?
इन सवालों का जवाब भविष्य की कार्रवाई और रिपोर्ट पर निर्भर करेगा, लेकिन इतना तय है कि एक और सिपाही बिना लड़े ही हार गया।
साथियों में पसरा मातम
बिपिन की मौत की खबर से जैप कैंप में सन्नाटा छा गया। उनके साथ काम करने वाले जवानों को अब भी यकीन नहीं हो रहा कि जो व्यक्ति कल तक उनके साथ खड़ा था, आज उनका हिस्सा नहीं रहा।
पुलिस विभाग ने भी शोक जताया है और परिवार को हरसंभव सहायता देने की बात कही है।
जवानों की जिंदगी सिर्फ वर्दी पहन लेने तक सीमित नहीं होती। उस वर्दी के पीछे छिपे होते हैं तनाव, जिम्मेदारियां और अंतहीन ड्यूटी के घंटे।
बिपिन यादव की यह चुपचाप हुई मौत न सिर्फ दुखद है, बल्कि एक सिस्टम के मौन पर भी सवाल उठाती है, जो वर्दी पहनाने के बाद उनका ख्याल रखना भूल जाता है।
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