Jamshedpur Raid: RVS कॉलेज के पास मिला 10 लाख की अवैध शराब का जखीरा, ऑटो और भूसे के बीच छिपी थी साजिश
जमशेदपुर के आबकारी विभाग ने आरवीएस कॉलेज के पास की सड़क से 180 पेटी विदेशी शराब जब्त की। दो गिरफ्तार, तीन फरार—भूसे के बीच छिपाकर किया जा रहा था 10 लाख का तस्करी का खेल।

झारखंड का औद्योगिक शहर जमशेदपुर एक बार फिर अवैध शराब तस्करी के बड़े नेटवर्क का गवाह बना है। आबकारी विभाग की एक तेज़ और गोपनीय कार्रवाई में शहर के एमजीएम थाना क्षेत्र स्थित आरवीएस कॉलेज के पास, तुरियाबेड़ा-सिमुलडांगा मार्ग पर विदेशी शराब से लदी दो ऑटो रिक्शा और एक लोडर वाहन जब्त किए गए हैं।
इस कार्रवाई में 180 पेटी अवैध विदेशी शराब जब्त की गई है, जिसकी बाज़ार कीमत करीब 10 लाख रुपये बताई जा रही है। ये शराब बड़ी चालाकी से भूसे के बोरे में छिपाकर लोड की जा रही थी। मगर एक गुप्त सूचना ने पूरे नेटवर्क को बेनकाब कर दिया।
कैसे चला पर्दाफाश का खेल?
सूत्रों के अनुसार, आबकारी विभाग को इस रूट पर अवैध शराब की बड़ी खेप आने की जानकारी मिली थी। सूचना मिलते ही टीम ने इलाके में छापेमारी शुरू की। जैसे ही टीम पहुंची, मौके पर अफरा-तफरी मच गई। लोग भागने लगे, लेकिन विभाग ने मालवाहक वाहन और दोनों ऑटो को जब्त कर लिया।
छापेमारी में दो लोगों को मौके से गिरफ्तार किया गया। ये हैं:
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बबलू केशरी (निवासी: मानगो आदर्शनगर)
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संजय मल्लिक (निवासी: मानगो डिमना बस्ती)
वहीं, तीन अन्य मुख्य आरोपी— निखिल कुमार सिंह उर्फ सोनू सिंह (सहारा सिटी, आजाद बस्ती), नीरज गुप्ता (सीतारामडेरा) और मनोज वर्मा उर्फ चिकना (पोस्ट ऑफिस रोड, मानगो)—भागने में कामयाब हो गए।
पुलिस ने इन तीनों की तलाश तेज़ कर दी है।
तस्करी की गहराई में ‘चिकना गैंग’?
पूछताछ में सामने आया कि यह पूरा रैकेट एक संगठित गिरोह द्वारा संचालित हो रहा था, जिसमें नीरज गुप्ता और उसका साथी मनोज वर्मा उर्फ चिकना प्रमुख भूमिका में हैं।
ऑटोरिक्शा चालकों ने बताया कि उन्हें मनोज वर्मा ने बुलाया था और यह निर्देश दिया था कि शराब की पेटियां शहर के विभिन्न हिस्सों में पहुंचाई जाएं।
शराब रांची से नीरज गुप्ता और निखिल सिंह द्वारा मंगवाई गई थी। यानि, यह तस्करी सिर्फ एक क्षेत्र तक सीमित नहीं, बल्कि जमशेदपुर से रांची तक फैले अवैध शराब नेटवर्क का हिस्सा है।
जमशेदपुर में शराब तस्करी का पुराना इतिहास
शहर में यह पहला मामला नहीं है। जमशेदपुर और इसके आसपास के इलाकों में शराब तस्करी के कई मामले पहले भी सामने आ चुके हैं। झारखंड में शराब की बिक्री पर नियंत्रण के लिए सरकार ने कड़े नियम लागू किए हैं, लेकिन स्थानीय माफिया नियमों को धता बताकर लाखों की कमाई कर रहे हैं।
इस तरह की तस्करी न सिर्फ राजस्व घाटे का कारण बनती है, बल्कि शहर की कानून-व्यवस्था पर भी सवाल खड़े करती है।
अब आगे क्या?
पुलिस अब फरार आरोपियों की तलाश में लगातार छापेमारी कर रही है। साथ ही यह भी पता लगाया जा रहा है कि इस नेटवर्क के पीछे और कौन-कौन लोग शामिल हैं।
क्या यह सिर्फ जमशेदपुर का मामला है, या इस रैकेट की जड़ें पूरे झारखंड में फैली हैं?
भूसे के बोरे में छिपी शराब, ऑटो में ढोने वाले ड्राइवर और ऊपर से रांची-जमशेदपुर कनेक्शन—ये कोई आम तस्करी का मामला नहीं, बल्कि एक संगठित, हाई-प्रोफाइल अवैध शराब रैकेट है।
अभी तो सिर्फ एक चेहरा सामने आया है—'चिकना गैंग'—लेकिन साजिश के पीछे और भी कई नाम हो सकते हैं।
सरकार और पुलिस के सामने अब चुनौती है कि ऐसे अवैध नेटवर्क को जड़ से खत्म किया जाए, ताकि आने वाले समय में शहर फिर किसी ऐसे जाल में ना फंसे।
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