Jamshedpur Murder: 'दिव्य आदेश' के नाम पर नानी की हत्या, वारिसी विवाद में बदला खौफनाक खेल
जमशेदपुर में 19 साल की लड़की ने वारिसी विवाद में अपनी नानी की बेरहमी से हत्या कर दी। पुलिस जांच में खुलासा हुआ कि 'दिव्य आत्मा' के बहाने उसने सच्चाई छुपाने की कोशिश की थी।

एक ऐसा शब्द जो अब केवल खबर नहीं बल्कि पूरे समाज के लिए एक आईना बन गया है, जहां रिश्ते, संपत्ति और अंधविश्वास के ताने-बाने में एक 19 साल की लड़की अपनी ही नानी की जान की दुश्मन बन गई।
घटना झारखंड के जमशेदपुर के बेंगनाडीह थाटूपाड़ा इलाके की है। सोमवार रात एक 19 वर्षीय युवती तनिषा खंडैत ने अपने ही घर में 67 वर्षीय नानी सुमित्रा देवी की चाकू से बेरहमी से हत्या कर दी।
लेकिन इस हत्या को एक सामान्य पारिवारिक विवाद नहीं कहा जा सकता, क्योंकि इसके बाद तनिषा ने जो कहानी गढ़ी, वह रोंगटे खड़े कर देने वाली थी।
वारिसी संपत्ति बना मौत की वजह
पुलिस के अनुसार, तनिषा और उसकी नानी के बीच पारिवारिक संपत्ति को लेकर तीखा झगड़ा हुआ था। सुमित्रा देवी पारंपरिक तौर पर पैतृक जमीन की मालिक थीं और इसी के बंटवारे को लेकर तनिषा कई दिनों से नाराज़ चल रही थी।
जिस रात ये भयावह वारदात हुई, उस दिन भी दोनों के बीच काफी बहस हुई। गुस्से में आकर तनिषा ने रसोई से तेजधार चाकू उठाया और सुमित्रा देवी पर ताबड़तोड़ वार कर दिए। खून से लथपथ सुमित्रा देवी की मौके पर ही मौत हो गई।
बहनों को भी नहीं छोड़ा
हत्या के वक्त घर में मौजूद तनिषा की दो नाबालिग बहनों ने जब उसे रोकने की कोशिश की, तो वह उन पर भी टूट पड़ी। हालांकि दोनों किसी तरह बच निकलीं, लेकिन तनिषा के चेहरे पर क्रोध और उन्माद साफ झलक रहा था।
'दिव्य आत्मा' का हवाला — साजिश या सनक?
हत्या के बाद तनिषा ने जो कहानी पुलिस को सुनाई, वह अंधविश्वास की एक खौफनाक मिसाल बन गई। उसने दावा किया कि उसे 'एक दिव्य आत्मा ने आदेश दिया' था कि वह सुमित्रा देवी की बलि दे।
"मैं परवश थी, मेरे शरीर में कोई और था," — यही तर्क उसने अपनी सफाई में दिया।
लेकिन पुलिस ने इस तर्क को सिरे से खारिज कर दिया। सेरायकेला थाने के प्रभारी सतीश बर्णवाल ने बताया कि शुरुआती जांच में साफ हो गया है कि ये पूरी तरह से संपत्ति से जुड़ा मामला है और तनिषा ने 'दिव्य आदेश' की कहानी खुद को बचाने के लिए गढ़ी थी।
इतिहास गवाह है — संपत्ति ने रिश्तों को पहले भी निगला है
भारत में संपत्ति विवाद के चलते हत्याएं कोई नई बात नहीं हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के अनुसार, हर साल पारिवारिक संपत्ति विवाद के चलते औसतन सैकड़ों हत्याएं होती हैं। लेकिन जब अपराधी खुद घर की बेटी हो, और हत्या का कारण धार्मिक छलावा हो — तब सवाल समाज के बुनियादी ताने-बाने पर उठता है।
बहनें निर्दोष, पर मानसिक आघात गहरा
पुलिस जांच में साफ हो गया है कि दोनों नाबालिग बहनों का हत्या में कोई हाथ नहीं था। लेकिन जो कुछ उन्होंने अपनी आंखों से देखा, वह उनके मन में गहरा मानसिक घाव छोड़ गया है।
तनिषा को पुलिस ने तुरंत गिरफ्तार कर लिया है और उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। उसके खिलाफ हत्या और हत्या के प्रयास की धाराओं में केस दर्ज किया गया है।
सवाल जो यह घटना छोड़ गई
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क्या संपत्ति आज रिश्तों से बड़ी हो चुकी है?
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क्या अंधविश्वास का हवाला देकर कोई भी अपना अपराध छुपा सकता है?
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और सबसे बड़ा सवाल — क्या आज का युवा मानसिक रूप से इतना असहाय हो चुका है कि वह अपने ही परिवार को दुश्मन समझने लगे?
यह घटना सिर्फ जमशेदपुर की खबर नहीं, बल्कि पूरे समाज की चेतावनी है कि अगर संवेदनाएं, रिश्ते और मानसिक स्थिरता को नजरअंदाज किया गया तो घर की दीवारें भी कत्लगाह बन सकती हैं।
पुलिस अब पूरे मामले की तह तक जाने की कोशिश कर रही है, लेकिन यह तय है कि तनिषा की कहानी न्याय और विवेक की कसौटी पर खड़ी नहीं उतरती।
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