Jamshedpur Firing: सुबह-सुबह जेल के बाहर ताबड़तोड़ फायरिंग, पुलिस दिनभर देती रही इनकार
जमशेदपुर की घाघीडीह जेल के बाहर अज्ञात अपराधियों ने सुबह 6 बजे फायरिंग कर दी। पुलिस दिनभर घटना से इनकार करती रही, लेकिन जेल प्रशासन के एफआईआर के बाद मचा हड़कंप।

जमशेदपुर में अपराधियों का हौसला कितना बुलंद है, इसका जीता-जागता उदाहरण मंगलवार सुबह सामने आया, जब घाघीडीह सेंट्रल जेल के बाहर बाइक सवार अपराधियों ने बेधड़क फायरिंग कर दी। सुबह का वक्त था, लोग दिन की शुरुआत कर रहे थे और उसी समय गोलियों की गूंज ने शहर में दहशत फैला दी।
लेकिन हैरानी की बात यह रही कि पूरे दिन पुलिस इस वारदात से इंकार करती रही, मानो कुछ हुआ ही न हो। लेकिन शाम होते-होते सच्चाई को छिपा पाना मुश्किल हो गया।
सुबह 6 बजे का हड़कंप
सूत्रों के मुताबिक, यह फायरिंग मंगलवार सुबह लगभग 6 बजे हुई, जब अधिकतर लोग या तो नींद में थे या काम पर निकलने की तैयारी कर रहे थे। दो बाइक सवार अज्ञात अपराधियों ने जेल के गेट के सामने आकर हवाई फायरिंग की और एक गोली जमीन पर भी चलाई।
जिस जगह कानून सबसे ज्यादा चौकस रहना चाहिए, उसी जेल के बाहर फायरिंग, यह बताने के लिए काफी है कि अपराधियों को अब किसी का खौफ नहीं रहा।
पुलिस की 'चुप्पी'
दिनभर जमशेदपुर पुलिस इस वारदात से साफ इनकार करती रही। किसी भी अधिकारी ने इसे स्वीकार नहीं किया। लेकिन शाम को घाघीडीह जेल प्रशासन ने जब लिखित एफआईआर दर्ज कराई, तब जाकर पुलिस को भी एफआईआर दर्ज करनी पड़ी।
जेल अधीक्षक अजय कुमार प्रजापति के बयान के आधार पर परसुडीह थाना में मामला दर्ज हुआ, जिसमें दो अज्ञात बाइक सवार अपराधियों को आरोपी बनाया गया है।
गैंगवार का खौफनाक ट्रेलर?
इस घटना को लेकर जो सबसे सनसनीखेज बात सामने आई है, वह यह कि यह फायरिंग एक पुराने गैंगवार का हिस्सा हो सकती है। जानकारी के अनुसार, भुइयांडीह के टकलू लोहार हत्याकांड में गिरफ्तार अपराधी अभिजीत मंडल उर्फ कांडी, जो कि वर्तमान में इसी जेल में बंद है, उसका जेल के एक सुरक्षाकर्मी से विवाद हो गया था।
कहा जा रहा है कि जेल के अंदर उसकी पिटाई भी हुई थी। इसी के विरोध में बाहर बैठे उसके साथी—जिनमें माशूक मनीष जैसे नाम भी सामने आ रहे हैं—ने ये फायरिंग की, ताकि संदेश दिया जा सके कि “हम अब भी बाहर हैं।”
जांच और आगे की कार्रवाई
पुलिस अब सीसीटीवी फुटेज खंगाल रही है, ताकि हमलावरों की पहचान की जा सके। इलाके में लगे कैमरों से बाइक की पहचान और उनकी दिशा जानने की कोशिश की जा रही है।
साथ ही अभिजीत मंडल को जेल के एकांत सेल में भेज दिया गया है, ताकि स्थिति और न बिगड़े। पुलिस उसके बाकी साथियों की तलाश में दबिश दे रही है।
घाघीडीह जेल और इतिहास
जमशेदपुर की घाघीडीह सेंट्रल जेल, झारखंड की सबसे कड़ी सुरक्षा वाली जेलों में मानी जाती है। यहां कई कुख्यात अपराधी बंद हैं।
लेकिन इसके बावजूद भी बाहर से अपराधी आकर फायरिंग कर जाएं और दिनभर पुलिस उस पर पर्दा डालती रहे, यह इस बात का संकेत है कि कहीं न कहीं व्यवस्था में गंभीर खामियां हैं।
सवालों के घेरे में पुलिस
अब यह मामला सिर्फ फायरिंग तक सीमित नहीं है। असली सवाल यह है कि पुलिस ने दिनभर इस पर चुप्पी क्यों साधी?
क्या वे घटना को दबाना चाहती थी?
या उन्हें सूचना ही नहीं थी?
इन सवालों का जवाब जरूरी है, क्योंकि अगर जेल के बाहर भी पुलिस लाचार है, तो आम जनता का क्या?
सिर्फ शुरुआत?
इस घटना ने एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या झारखंड के सबसे बड़े औद्योगिक शहर में अपराधियों का नेटवर्क पुलिस से भी आगे निकल गया है?
क्या ये फायरिंग किसी बड़े गैंगवार की शुरुआत है?
क्या जमशेदपुर की शांति अब बीते दिनों की बात बन गई है?
अगले कुछ दिन इस शहर की सुरक्षा व्यवस्था की असली परीक्षा होंगे। और जनता इंतजार कर रही है कि क्या कोई कार्रवाई होगी या यह मामला भी दूसरे मामलों की तरह ठंडे बस्ते में चला जाएगा।
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