Manipur Tension: क्या मणिपुर में उग्रवादियों के खिलाफ शुरू होने वाला बड़ा अभियान हालात को बदल पाएगा?
मणिपुर में बढ़ते तनाव के बीच, भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए ने बड़े पैमाने पर उग्रवादियों के खिलाफ अभियान की योजना बनाई। जानें क्या है इस अभियान का उद्देश्य और राज्य की स्थिति पर क्या है राजनीति का असर।
मणिपुर में उग्रवादियों द्वारा किए गए हालिया हमलों और हत्याओं के बाद, राज्य सरकार की ओर से कड़े कदम उठाने की तैयारी की जा रही है। भाजपा के नेतृत्व में एनडीए के विधायकों ने एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित किया है, जिसमें उग्रवादियों के खिलाफ एक ‘बड़े पैमाने पर अभियान’ की शुरुआत की बात कही गई है। यह अभियान जिरीबाम जिले में हाल ही में हुई हत्याओं के दोषियों के खिलाफ होगा।
क्या है प्रस्ताव में खास?
इस प्रस्ताव में उग्रवादियों पर सख्त कार्रवाई की बात की गई है। 27 विधायकों ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया, जिसमें कहा गया कि सात दिनों के भीतर कुकी उग्रवादियों के खिलाफ अभियान शुरू किया जाए, जिन्होंने छह निर्दोष लोगों की हत्या की थी। इन उग्रवादियों को गैरकानूनी संगठन घोषित करने की भी मांग की गई है। इसके साथ ही, मामले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को सौंपने का भी सुझाव दिया गया है।
केंद्र और राज्य सरकार पर दबाव
एनडीए विधायकों ने केंद्र सरकार से अफस्पा (सशस्त्र बल विशेष शक्तियां अधिनियम) की समीक्षा की अपील की है। प्रस्ताव में यह भी कहा गया है कि अगर सरकार इन प्रस्तावों को निर्धारित समय सीमा के भीतर लागू नहीं करती, तो मणिपुर के लोग और राजग विधायक अगले कदम पर विचार करेंगे। मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने भी स्थिति की समीक्षा करते हुए कहा कि उपद्रवियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की जाएगी, जो उच्चाधिकार प्राप्त समिति के निष्कर्षों के आधार पर की जाएगी।
मणिपुर में इंटरनेट पर प्रतिबंध
मणिपुर के कुछ इलाकों में बढ़ते तनाव को देखते हुए प्रशासन ने इंटरनेट सेवाओं पर प्रतिबंध लगा दिया था। 16 नवंबर को सात जिलों में मोबाइल और ब्रॉडबैंड इंटरनेट सेवाओं को दो दिन के लिए निलंबित कर दिया गया था, लेकिन सोमवार को इसे बढ़ा दिया गया था। हालांकि, मंगलवार को इंफाल घाटी के तीन जिलों में कर्फ्यू में ढील दी गई, और ब्रॉडबैंड इंटरनेट पर लगी रोक को कुछ शर्तों के साथ हटा लिया गया।
क्या मणिपुर के मौजूदा संकट के लिए कांग्रेस जिम्मेदार है?
मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने मणिपुर में मौजूदा संकट के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया है। उनका कहना है कि कांग्रेस की नीतियों के कारण ही यह स्थिति पैदा हुई है। वहीं, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को पत्र लिखकर मणिपुर के लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तुरंत हस्तक्षेप करने की अपील की है। खरगे का कहना है कि केंद्र और राज्य सरकार हिंसा को रोकने में पूरी तरह से असफल रही है।
जिरीबाम गोलीबारी और प्रशासन की कार्रवाई
जिरीबाम गोलीबारी की घटना ने राज्य में और भी घबराहट पैदा कर दी। इस गोलीबारी में एक व्यक्ति की मौत हो गई और एक अन्य घायल हो गया। इसके बाद मणिपुर सरकार ने इस घटना की जांच के आदेश दिए और वरिष्ठ एसपी (कॉम्बैट) नेक्टर संजेनबाम को उनके कर्तव्यों से मुक्त कर दिया है।
क्या बड़े अभियान से बदल पाएगा मणिपुर का हाल?
अब सवाल यह है कि भाजपा के नेतृत्व में प्रस्तावित बड़े पैमाने पर अभियान मणिपुर में शांति लाने में मदद कर पाएगा या नहीं। एनडीए विधायकों का कहना है कि इस अभियान से उग्रवादियों को कड़ी सजा मिलेगी और राज्य में शांति स्थापित होगी। लेकिन कांग्रेस और विपक्षी दलों का आरोप है कि सरकार की नीतियों के कारण स्थिति और भी बिगड़ी है।
मणिपुर की स्थिति फिलहाल बेहद नाजुक बनी हुई है। एक ओर जहां सरकार कड़े कदम उठाने की बात कर रही है, वहीं दूसरी ओर विपक्ष सरकार के खिलाफ आरोप लगा रहा है कि वह शांति बहाली में नाकाम रही है।
What's Your Reaction?