Lalita Jayanti 2025: मां ललिता की पूजा का अद्भुत मुहूर्त, जानें व्रत विधि और महत्व!
12 फरवरी 2025 को ललिता जयंती का पर्व मनाया जा रहा है। जानें पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और ललिता जयंती का महत्व।

आज 12 फरवरी 2025 को ललिता जयंती का पर्व पूरे श्रद्धा भाव से मनाया जा रहा है। यह पर्व विशेष रूप से माघ माह की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को मनाया जाता है, और इस दिन की पूजा का महत्व हिंदू धर्म में अत्यधिक है। आपको बता दें कि मां ललिता को शक्ति की देवी माना जाता है, और उन्हें दस महाविद्याओं में तीसरी महाविद्या के रूप में पूजा जाता है। ललिता जयंती का यह दिन उनकी अवतरण तिथि के रूप में मनाया जाता है, जो उनके भक्तों के लिए असीमित शुभ और ऐश्वर्य का दिन होता है।
ललिता जयंती का इतिहास और महत्व
ललिता जयंती का पर्व हिंदू धर्म के अनेकों महत्वाकांक्षी पर्वों में एक विशेष स्थान रखता है। यह पर्व हर वर्ष माघ मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है, और यह दिन विशेष रूप से मां ललिता की उपासना का दिन होता है। माना जाता है कि इस दिन उनकी पूजा करने से समस्त जीवन की परेशानियां दूर होती हैं और मनुष्य की सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं। यही कारण है कि ललिता जयंती को कई भक्तों द्वारा बड़े श्रद्धा भाव से मनाया जाता है।
ललिता जयंती पूजा का शुभ मुहूर्त
ललिता जयंती का पर्व इस बार 12 फरवरी को मनाया जा रहा है, और पंचांग के अनुसार, माघ मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 11 फरवरी को शाम 6 बजकर 55 मिनट पर प्रारंभ हो चुकी है। यह तिथि 12 फरवरी को शाम 7 बजकर 22 मिनट तक रहेगी। इस दिन को उदया तिथि के आधार पर ललिता जयंती के रूप में मनाने का महत्व है, और इस दौरान पूजा करने से विशेष लाभ की प्राप्ति होती है।
ललिता जयंती पूजा विधि
ललिता जयंती के दिन माता ललिता की पूजा विधिपूर्वक की जाती है। यदि आप भी इस दिन माता की विशेष पूजा करना चाहते हैं, तो यहां हम आपको बता रहे हैं पूजा विधि:
- स्नान और शुद्ध वस्त्र पहनें: पूजा की शुरुआत से पहले प्रातःकाल जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ, सफेद वस्त्र पहनें।
- मंदिर की सफाई करें: घर के मंदिर की सफाई करें और गंगाजल का छिड़काव करें, जिससे मंदिर में शुद्धता बनी रहे।
- चौकी पर माता की मूर्ति रखें: एक चौकी पर सफेद कपड़ा बिछाकर उस पर माता ललिता की मूर्ति स्थापित करें।
- पूजन सामग्री अर्पित करें: अब माता को कुमकुम, अक्षत, फल, फूल और दूध से बनी खीर अर्पित करें।
- मंत्रों का जाप करें: माता के मंत्रों का जाप करें और विशेष रूप से 'ॐ श्री ललितायै नमः' का जाप करें।
- दीपक जलाएं और आरती करें: अंत में, माता के समक्ष घी का दीपक जलाएं और आरती करें। इससे घर में सुख-समृद्धि का वास होता है।
ललिता जयंती का आध्यात्मिक महत्व
मां ललिता देवी को शक्ति और सौंदर्य की देवी माना जाता है, और उनका रूप अत्यंत रचनात्मक और दिव्य होता है। उनकी पूजा से न केवल मानसिक शांति मिलती है, बल्कि जीवन की तमाम परेशानियों से भी मुक्ति मिलती है। यह पर्व उन सभी के लिए खास है जो जीवन में सकारात्मक बदलाव चाहते हैं और आध्यात्मिक उन्नति की ओर अग्रसर होना चाहते हैं।
क्यों है ललिता जयंती इतनी खास?
ललिता जयंती को लेकर कई तरह की मान्यताएं और मान्यताएं प्रचलित हैं। एक प्रमुख मान्यता यह है कि इस दिन माता ललिता की पूजा से न केवल भक्ति का फल मिलता है, बल्कि उनका आशीर्वाद प्राप्त करने से मनुष्य के जीवन में समृद्धि और शांति का वास होता है। इस दिन के व्रत और पूजा से शक्ति, ऐश्वर्य और सुख की प्राप्ति होती है।
इस दिन पूजा करने से मनुष्य अपने जीवन में आने वाली हर प्रकार की समस्या का समाधान पा सकता है। यह दिन उनके लिए विशेष रूप से शुभ होता है जो अपनी इच्छाओं की पूर्ति और जीवन में सुख-शांति की कामना रखते हैं।
What's Your Reaction?






