Kairo Murder: झारखंड के कैरो में डायन-बिसाही के आरोप में अधेड़ की पीट-पीटकर हत्या, पत्नी पर भी हमला
झारखंड के कैरो में डायन-बिसाही के आरोप में एक अधेड़ की हत्या, पत्नी पर भी हमला। जानिए क्या था पूरा मामला और आरोपी का इतिहास।
यह घटना गुरुवार रात की है, जब 54 वर्षीय संतोष उरांव को गांव के ही रविशंकर मिंज ने डायन-बिसाही का आरोप लगाते हुए बेरहमी से पीट-पीटकर मौत के घाट उतार दिया। इस दौरान संतोष उरांव की पत्नी सुमित्रा उरांव ने अपने पति की जान बचाने की कोशिश की, लेकिन उसे भी रविशंकर मिंज ने मारने की कोशिश की।
डायन-बिसाही के आरोप में हत्या: गांव में तनाव
बताया जाता है कि रविशंकर मिंज की पत्नी बीमार चल रही थी, और इस पर उसे शक था कि उसकी बीमारी के पीछे जादू-टोना है। आरोपी ने संतोष उरांव की पत्नी सुमित्रा पर डायन होने का आरोप लगाया। इसके बाद वह नशे की हालत में सुमित्रा को मारने आया, लेकिन सुमित्रा किसी तरह अपनी जान बचाकर घर से भाग गई। फिर, उसने संतोष उरांव को पकड़कर उसे बेरहमी से पीट-पीटकर मार डाला।
हत्या के बाद आरोपी की गिरफ्तारी: पुलिस ने त्वरित कार्रवाई की
घटना की सूचना मिलते ही कैरो थाना पुलिस ने तत्काल कार्रवाई करते हुए रविशंकर मिंज को गिरफ्तार कर लिया। उसके बाद पुलिस ने संतोष उरांव के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा और शव को स्वजनों को सौंप दिया। पुलिस के अनुसार, आरोपी का पुराना अपराधी इतिहास भी सामने आया है। रविशंकर मिंज पहले भी एक हत्या के मामले में जेल जा चुका है।
पुलिस ने क्या बताया?
कैरो थाना प्रभारी नीरज कुमार झा ने इस घटना के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि रविशंकर मिंज की पत्नी की बीमारी के कारण उसके मन में जादू-टोना का शक था। इसके कारण उसने संतोष उरांव पर आरोप लगाकर उसे मार डाला। पुलिस ने बताया कि आरोपी के खिलाफ पहले भी एक हत्या का मामला दर्ज किया गया था, जिसमें उसने होजे उरांव की हत्या करने का आरोप लगाया था। रविशंकर मिंज उस समय भी जेल जा चुका था।
पहले भी आरोपित जेल जा चुका है: क्या यह मामला अंधविश्वास से जुड़ा है?
यह पहला मौका नहीं है जब झारखंड में डायन-बिसाही के आरोपों के चलते किसी की हत्या हुई हो। पिछले कुछ वर्षों में राज्य में अंधविश्वास, जादू-टोना और डायन-बिसाही के आरोपों के कारण कई हत्या की घटनाएं घट चुकी हैं। इस तरह के मामलों में अंधविश्वास के खिलाफ जागरूकता की बहुत कमी दिखती है, जिसके कारण अल्पसंख्यक समुदाय और महिलाओं को प्रताड़ित किया जाता है। संतोष उरांव की हत्या भी इसी मानसिकता का शिकार बनी है।
अंधविश्वास के खिलाफ झारखंड राज्य में कई अभियान चलाए जा रहे हैं, लेकिन फिर भी ऐसे मामले समय-समय पर सामने आते रहते हैं। पुलिस और प्रशासन को इस पर कड़ी निगरानी रखनी होगी ताकि इस तरह के अपराधों को रोका जा सके।
क्या है अंधविश्वास और डायन-बिसाही का इतिहास?
झारखंड में डायन-बिसाही का आरोप लगाना एक प्राचीन परंपरा है, जिसमें किसी महिला या कभी-कभी पुरुष पर जादू-टोना करने का आरोप लगाया जाता है। इस आरोप के तहत हत्याएं भी होती रही हैं, और इन आरोपों में सामाजिक ताने-बाने और अंधविश्वास की बड़ी भूमिका होती है। इसे रोकने के लिए राज्य में विभिन्न जागरूकता अभियानों की आवश्यकता है, ताकि लोग इन पुरानी सोचों से बाहर निकल सकें।
आरोपी के खिलाफ पहले भी हत्या का मामला दर्ज था
आपको बता दें कि रविशंकर मिंज पर पहले भी होजे उरांव की हत्या का आरोप था। उस मामले में भी उसे डायन-बिसाही के आरोप में जेल भेजा गया था। यह मामला और भी गहरा हो जाता है क्योंकि आरोपी पहले भी हिंसा की ओर बढ़ चुका था। अब पुलिस इस मामले में सभी बिंदुओं पर जांच कर रही है और यह सुनिश्चित कर रही है कि किसी भी सूरत में इंसाफ मिले।
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