Jamtara Cyber Fraud : बंधन बैंक के 2.5 करोड़ की साइबर ठगी! जामताड़ा से शातिर मुरारी मंडल गिरफ्तार, CRO और 5 बैंक अधिकारी क्यों फंसे?
जामताड़ा पुलिस ने बंधन बैंक से जुड़ी 2.5 करोड़ रुपये की साइबर ठगी के मामले में कुख्यात अपराधी मुरारी मंडल को गिरफ्तार किया है। इस ठगी में बैंक के उच्च अधिकारी (CRO, सेल्स मैनेजर) और जामताड़ा शाखा के शुभम कुमार समेत पांच अधिकारी शामिल थे, जिन्होंने ग्राहकों की गोपनीय जानकारी बेची।
साइबर अपराधों के गढ़ के रूप में कुख्यात जामताड़ा ने एक बार फिर देश को हिलाकर रख दिया है! इस बार मामला सीधे तौर पर 2.5 करोड़ रुपये की साइबर ठगी का है, जिसमें पुलिस ने कुख्यात अपराधी मुरारी मंडल को जामताड़ा के नामूपाड़ा मोहल्ले से गिरफ्तार किया है। लेकिन सबसे सनसनीखेज पहलू यह है कि इस ठगी में अपराधी अकेले नहीं थे; बंधन बैंक के अंदर बैठे वरिष्ठ अधिकारियों ने खुलेआम साइबर ठगों के साथ हाथ मिलाया था!
कोलकाता साइबर अपराध शाखा की टीम मुरारी मंडल को ट्रांजिट रिमांड पर कोलकाता ले गई है, जहाँ पूछताछ शुरू हो चुकी है। जांच में सामने आया है कि इस गिरोह ने 97 बैंक खातों के जरिए ठगी की रकम का ट्रांजेक्शन किया था, जिसका मुख्य सरगना समीर अभी भी पुलिस की पकड़ से दूर है।
विश्वास का पतन: बैंक अधिकारियों की सीधी मिलीभगत
इस घोटाले ने बैंक और ग्राहक के बीच के सबसे बुनियादी संबंध—विश्वास—को पूरी तरह से तोड़ दिया है। कोलकाता साइबर अपराध शाखा के इंस्पेक्टर गौतम सरकार ने खुलासा किया कि इस ठगी को अंजाम देने में बंधन बैंक के कुछ अधिकारियों ने सीधी मदद की।
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गोपनीयता का उल्लंघन: गिरोह ने बैंक के अंदर बैठे अधिकारियों की मदद से खाताधारकों की गोपनीय जानकारी हासिल की और उसी आधार पर करोड़ों की ठगी को अंजाम दिया।
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पहला कदम: बंधन बैंक के अधिकारी बसंत बंदानी की शिकायत पर 23 जुलाई 2025 को कोलकाता के बिधान नगर थाने में केस दर्ज किया गया था।
जांच में सामने आया कि ठगी के इस जाल में जामताड़ा शाखा के शुभम कुमार समेत कुल पांच बैंक अधिकारी शामिल थे। कोलकाता साइबर पुलिस ने शुभम कुमार को पहले ही 11 अगस्त को जामताड़ा से गिरफ्तार कर लिया था।
CRO और सेल्स मैनेजर की चौंकाने वाली भागीदारी
गिरफ्तार किए गए बैंक अधिकारी केवल सामान्य कर्मचारी नहीं हैं। आरोपितों में हजारीबाग, धनबाद, जामताड़ा और कोलकाता की विभिन्न शाखाओं के वरिष्ठ पदाधिकारी भी शामिल हैं:
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वरिष्ठ पद: मुख्य जोखिम अधिकारी (CRO) और सेल्स मैनेजर जैसे जिम्मेदार पदों पर बैठे अधिकारियों की भागीदारी ने पूरे बैंकिंग जगत को हिला दिया है।
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भूमिका: ये अधिकारी ग्राहकों से बीमा पॉलिसी या फिक्स्ड डिपॉजिट के नाम पर जानकारी मांगते, या व्हाट्सएप/कॉल के जरिए KYC अधूरी होने की बात कहकर संवेदनशील बैंक डिटेल साइबर ठगों को बेचते थे।
बैंक का CRO वित्तीय जोखिमों से बचाव के लिए जिम्मेदार होता है, जबकि सेल्स मैनेजर ग्राहक संबंध बनाता है। इन दोनों वरिष्ठ अधिकारियों ने अपने नैतिक दायित्व का उल्लंघन करते हुए ठगी में सीधी भागीदारी की।
आपकी राय में, बैंक के अंदर से हो रही इस तरह की साइबर ठगी को रोकने के लिए केवल गिरफ्तारी के बजाय बैंकिंग सिस्टम में कौन से दो अनिवार्य सुरक्षा तंत्र तुरंत लागू किए जाने चाहिए?
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