Jamshedpur Shock हादसा: करंट लगने से 25 वर्षीय युवक की दर्दनाक मौत, इलाके में शोक की लहर
जमशेदपुर के घाघीडीह जेल रोड स्थित तापड़िया फ्लैट में करंट लगने से 25 वर्षीय युवक की दर्दनाक मौत। हादसे के बाद इलाके में शोक की लहर, पुलिस जांच में जुटी। पढ़ें पूरी खबर।

जमशेदपुर: शहर के परसुडीह थाना अंतर्गत घाघीडीह जेल रोड स्थित तापड़िया फ्लैट में शनिवार को दर्दनाक हादसा हुआ, जब 25 वर्षीय युवक बोसेन हांसदा की करंट लगने से मौत हो गई। यह हादसा उस समय हुआ जब वह ट्रांसफार्मर का काम कर रहा था और अचानक हाई-वोल्टेज करंट की चपेट में आ गया।
हादसे की पूरी कहानी: कैसे गई एक होनहार युवक की जान?
शनिवार शाम करीब 4 बजे जब बोसेन हांसदा काम में जुटा था, तभी अचानक ट्रांसफार्मर से निकली बिजली ने उसे अपनी चपेट में ले लिया। वहां मौजूद स्थानीय लोगों ने तुरंत उसे सदर अस्पताल पहुंचाया, जहां प्राथमिक उपचार के बाद डॉक्टरों ने उसे बेहतर इलाज के लिए टीएमएच अस्पताल रेफर कर दिया। लेकिन इलाज के दौरान रविवार सुबह करीब 6 बजे उसकी मौत हो गई।
बोसेन हांसदा बागबेड़ा थाना क्षेत्र के हरहरगुट्टू का निवासी था और अपने परिवार में सबसे छोटा था। उसके तीन बड़े भाई हैं। वह डीवीसी (Damodar Valley Corporation) में एक ठेकेदार के अधीन काम करता था। इस घटना के बाद पूरे इलाके में मातम पसर गया है।
बिजली करंट से हादसों का बढ़ता खतरा – क्यों बार-बार हो रही हैं ऐसी घटनाएं?
करंट लगने से होने वाली दुर्घटनाएं कोई नई बात नहीं हैं। भारत में हर साल सैकड़ों लोग बिजली के झटकों का शिकार होते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, ट्रांसफार्मर और हाई-वोल्टेज तारों के पास काम करते समय सुरक्षा उपकरणों का उपयोग बेहद जरूरी होता है। लेकिन कई बार लापरवाही, खराब वायरिंग, या सेफ्टी प्रोटोकॉल न अपनाने के कारण ऐसे हादसे हो जाते हैं।
इलाके में शोक, परिवार में मातम – पुलिस कर रही जांच
बोसेन की मौत से उसके परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। वह घर का सबसे छोटा बेटा था, और परिवार को आर्थिक रूप से सपोर्ट करने में जुटा था। घटना के बाद पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है और मामले की जांच शुरू कर दी है।
सरकार और प्रशासन की जिम्मेदारी – कब मिलेगा हादसों से छुटकारा?
बिजली से जुड़े कार्यों में सेफ्टी मेजर्स को लागू करने की जिम्मेदारी प्रशासन और बिजली विभाग की होती है। अगर समय रहते सुरक्षात्मक कदम उठाए जाएं, तो कई कीमती जिंदगियां बचाई जा सकती हैं। सवाल यह है कि कब तक लोग बिजली विभाग की लापरवाही का शिकार होते रहेंगे?
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