Palamu Scam bank : बैंक में 'करोड़ों' का काला खेल! पलामू हुसैनाबाद पुलिस ने झारखंड ग्रामीण बैंक के करोड़ों के घोटाले का किया पर्दाफाश, पूर्व मैनेजर मनोज कुमार सिंह बिहार से गिरफ्तार
पलामू के हुसैनाबाद में झारखंड राज्य ग्रामीण बैंक की दंगवार शाखा में करोड़ों रुपये के घोटाले का खुलासा हुआ है। पूर्व ब्रांच मैनेजर मनोज कुमार सिंह को बिहार से गिरफ्तार किया गया है। आरोपी ने महिला समूहों और सावधि जमा खातों से फर्जी ऋण स्वीकृत करके 6 करोड़ से अधिक की राशि का गबन किया था।
झारखंड के पलामू जिले के हुसैनाबाद में एक ऐसा बड़ा बैंक घोटाला सामने आया है, जिसने बैंक प्रणाली और ग्राहकों के विश्वास पर गंभीर सवाल खड़ा कर दिया है। जिले की हुसैनाबाद पुलिस ने झारखंड राज्य ग्रामीण बैंक की दंगवार शाखा में करोड़ों रुपये के घोटाले का पर्दाफाश किया है, जहां शाखा प्रबंधक की कुर्सी पर बैठे एक व्यक्ति ने सुनियोजित तरीके से आम लोगों और महिला समूहों के खातों से बेतहाशा गबन किया।
इस मामले में पुलिस ने बिहार के सासाराम जिले से बैंक के पूर्व ब्रांच मैनेजर मनोज कुमार सिंह (33) को गिरफ्तार कर लिया है। आरोपी मनोज कुमार बिहार के बक्सर जिला स्थित राजपुर के कोनौली निवासी हैं। हुसैनाबाद पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज करने के बाद एसडीपीओ एस मोहम्मद याकूब **(**आईपीएस) के नेतृत्व में एक विशेष जांच दल **(एसआईटी) का गठन किया था, जिसने तकनीकी साक्ष्यों और लगातार निगरानी के आधार पर इस आरोपी को दबोचा।
फर्जीवाड़े का जाल: महिला समूह और सावधि जमा निशाने पर
अनुसंधान में घोटाले की जो प्रक्रिया सामने आई, वह किसी जटिल आर्थिक अपराध से कम नहीं थी, जहां शाखा प्रबंधक ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए ग्राहकों की मेहनत की कमाई पर हाथ साफ किया।
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महिला समूहों को निशाना: आरोपी मनोज कुमार सिंह ने 11 महिला समूह खातों से फर्जी तरीके से ऋण स्वीकृत किया और उनकी निकासी कर ली।
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सावधि जमा में धोखाधड़ी: उसने ग्राहकों की विशेष सावधि जमा खातों **(FD/RD) से भी उनकी जानकारी और सहमति के बिना बड़ी राशि निकाल ली।
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फर्जी खाते: इसके लिए आरोपी ने एक अत्यधिक सुनियोजित तरीका अपनाया। उसने ग्राहकों की पहचान संख्या **(KYC/Account details) का दुरुपयोग करते हुए उन्हीं के नाम से दूसरा फर्जी बचत खाता खोला। उसके बाद सावधि जमा की राशि को उस फर्जी खाते में स्थानांतरित कर दिया और अंत में अपने परिचितों के खातों में भेजकर नकद निकासी कर ली।
गबन की राशि और पुलिस की सख्ती
जांच में पता चला कि आरोपित ने कुल 6 करोड़ 3 लाख 34 हजार 245 रुपये का गबन किया था। हालांकि, उसने पकड़े जाने से पहले या दबाव में आकर बैंक को 4 करोड़ 66 लाख 89 हजार 942 रुपये वापस भी किए।
एसडीपीओ एस मोहम्मद याकूब ने बताया कि यह एक जटिल और सुनियोजित बैंक धोखाधड़ी का मामला है। उन्होंने कहा, "पुलिस की तत्परता और एसआईटी के शानदार टीमवर्क से इस जटिल आर्थिक अपराध का सफल उद्भेदन हुआ है। आर्थिक अपराध में लिप्त किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा।"
इस मामले का खुलासा होने में लंबा समय लगा, लेकिन पुलिस ने साक्ष्य मिलने के बाद तत्काल कार्रवाई करके आरोपी को न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। यह घटना बैंकों की आंतरिक लेखापरीक्षा प्रणाली की कमियों को भी उजागर करती है, जहां एक शाखा प्रबंधक इतनी बड़ी राशि का गबन करने में सफल रहा।
आपकी राय में, ग्रामीण बैंकों में कर्मचारियों द्वारा होने वाले इस तरह के बड़े आर्थिक घोटालों को रोकने और ग्राहकों के धन की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बैंक प्रबंधन को कौन से दो सबसे प्रभावी और तकनीकी ऑडिट सुधार लागू करने चाहिए?
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