हिंदी भाषा और रचनात्मक लेखन पर कार्यशाला: संस्कृति और सरलता का संगम!
हिंदी भाषा प्रबोधन सप्ताह के अंतिम दिन आयोजित कार्यशाला में वक्ताओं ने हिंदी की महत्ता और समृद्धि पर चर्चा की। जानें इस कार्यक्रम के बारे में।
छत्तीसगढ़ : 26 सितंबर 2024 को शासकीय पंडित श्यामाचरण शुक्ल महाविद्यालय के सभागार में हिंदी भाषा प्रबोधन सप्ताह के अंतर्गत 'हिंदी भाषा एवं रचनात्मक लेखन' पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम हिंदी विभाग, साहित्यिक समिति और संकेत साहित्य समिति के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया गया।
कार्यक्रम की शुरुआत में हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. सी.एल. साहू ने सभी उपस्थित सदस्यों का स्वागत किया। उन्होंने 13 सितंबर से शुरू हुए विभिन्न कार्यक्रमों का ब्यौरा प्रस्तुत किया। इनमें 'हिंदी विषय में रोजगार की संभावनाएं', 'हिंदी भाषा की उत्पत्ति', और 'राज्य स्तरीय हिंदी भाषा सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता' शामिल थे।
मुख्य वक्ता डॉ. चितरंजन कर ने हिंदी की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हिंदी केवल एक भाषा नहीं, बल्कि एक समृद्ध संस्कृति है। सह वक्ता डॉ. माणिक विश्वकर्मा 'नवरंग' ने हिंदी को सशक्त और सरल भाषा के रूप में प्रस्तुत किया। उन्होंने हिंदी की प्रगति और वैश्विक स्तर पर उसके प्रभाव पर भी चर्चा की।
कार्यक्रम के दौरान डॉ. शबनूर सिद्दीकी ने हिंदी की उपयोगिता और उसके महत्व पर जोर दिया। उन्होंने आयोजन समिति को बधाई देते हुए कहा कि इस तरह के कार्यक्रमों से छात्रों को अपनी काव्य प्रतिभा को प्रदर्शित करने का मौका मिलता है।
डॉ.चितरंजन कर ने विभाग में भ्रमण करते समय यह घोषणा की कि वे विभाग को 10,000 की किताबें देंगे। कार्यशाला के समापन पर, सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता में महाविद्यालय से स्थान प्राप्त करने वाली प्राध्यापकों डॉ. सुनीता दुबे और स्वाति शर्मा को प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम का संचालन डॉ. प्रीति पांडेय ने किया। धन्यवाद ज्ञापन डॉ. सी.एल. साहू ने दिया। इस कार्यक्रम में विद्यालय की साहित्य समिति के सदस्य और बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित थे। यह कार्यशाला हिंदी भाषा को लेकर जागरूकता फैलाने और छात्र-छात्राओं को प्रेरित करने में महत्वपूर्ण साबित हुई।
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