Hazaribagh Rescue: हजारीबाग में रात भर चला महाबचाव अभियान, हाथियों के झुंड के सामने पोकलेन से तोड़ा गया कुआं, कुएं में गिरा हाथी का बच्चा 7 घंटे बाद सुरक्षित निकाला गया ।
झारखंड के हजारीबाग जिले के टाटीझरिया के खैरा गांव में मंगलवार रात एक हाथी का बच्चा जंगल से निकलकर कुएं में गिर गया। हाथियों के झुंड की उपस्थिति के बीच वन विभाग और ग्रामीणों ने पोकलेन मशीन की मदद से कुएं को तोड़कर 7 घंटे के अथक प्रयास के बाद बच्चे को सुरक्षित बाहर निकाला।
झारखंड में मानव और वन्यजीव के बीच का संघर्ष और सहयोग दोनों ही गहरे हैं। हजारीबाग जिले के टाटीझरिया प्रखंड के खैरा गांव में मंगलवार रात एक ऐसी घटना घटी, जिसने पूरे गांव को साँसों पर टिके एक महाबचाव अभियान में जोड़ दिया। जंगल से निकले हाथियों के एक झुंड का एक मासूम बच्चा गांव के अंतिम छोर पर बने एक गहरे कुएं में गिर गया। इसके बाद जो कुछ हुआ, वह वन विभाग और स्थानीय ग्रामीणों के जाँबाज सहयोग की अनोखी मिसाल है।
झारखंड की भौगोलिक संरचना और यहां के घने जंगलों के इतिहास में हाथी हमेशा से एक प्रमुख हिस्सा रहे हैं। वन क्षेत्रों के कटाव और पानी की तलाश में हाथियों का गांवों की ओर आना कोई नई बात नहीं है, लेकिन जब एक बच्चे की जान खतरे में पड़ती है, तो प्रकृति और मानव दोनों की करुणा सामने आ जाती है।
झुंड के सामने रेस्क्यू की चुनौती
जंगल से कुल चार हाथी खैरा गांव की ओर बढ़ रहे थे। हाथी देखकर ग्रामीणों ने वन विभाग को सूचना दी और उन्हें भगाने की कोशिश शुरू कर दी गई। लेकिन तभी अनहोनी हो गई।
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दुर्घटना: हाथियों को भगाने के क्रम में झुंड का एक छोटा बच्चा गांव के अंतिम छोर पर बने एक गहरे कुएं में जा गिरा।
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मातृत्व का प्रेम: हाथी के बच्चे के गिरते ही पूरा झुंड कुएं के पास रुक गया। वे लगातार अपने बच्चे को निकालने की कोशिश करने लगे। हाथियों की उपस्थिति ने रेस्क्यू ऑपरेशन को बेहद चुनौतीपूर्ण और खतरनाक बना दिया था।
7 घंटे तक चला अथक बचाव अभियान
वन विभाग और ग्रामीणों ने मिलकर एक रणनीतिक फैसला लिया और तुरंत कार्यवाही शुरू की।
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पोकलेन की मदद: वनपाल विद्याभूषण प्रसाद ने तत्काल ग्रामीणों की मदद से एक पोकलेन मशीन मंगवाई। रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया गया।
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सुरक्षा कदम: बचाव दल के सामने सबसे बड़ी चुनौती हाथियों को कुएं से दूर रखना थी। इसके लिए सैकड़ों ग्रामीण कुएं के पास मशालें लेकर खड़े हो गए, ताकि हाथियों का झुंड बच्चों को बचाने की कोशिश में बाधा न डाले।
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कुआं तोड़ा: अंततः पोकलेन की मदद से कुएं के एक हिस्से को सावधानीपूर्वक तोड़ा गया। यह समाधान कारगर रहा। वनपाल विद्याभूषण प्रसाद, राजकुमार सिंह और शंभू प्रसाद सहित सैकड़ों ग्रामीणों के 7 घंटे के अथक प्रयास के बाद हाथी के बच्चे को कुएं से सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया।
हाथी के बच्चे को सुरक्षित निकलते ही पूरे इलाके में खुशी की लहर दौड़ गई और ग्रामीणों ने वन विभाग के अधिकारियों और अपने साहसी सहयोगियों की जमकर तारीफ की। यह बचाव अभियान मानव और वन्यजीवों के बीच सह-अस्तित्व की भावना को मजबूत करता है।
आपकी राय में, हाथियों को गांवों में आने से रोकने और ऐसे कुओं जैसे खतरों से बचाने के लिए वन विभाग और स्थानीय प्रशासन को कौन से दो सबसे दीर्घकालिक और संरचनात्मक कदम उठाने चाहिए?
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