हामर झारखंड - पंकज कुमार दास , बोकारो इस्पात नगर
हामर झारखंड - पंकज कुमार दास बोकारो इस्पात नगर , झारखंड की छटा निराली, है प्रकृति से भरपूर सीधे-साधे लोग यहां के, ईर्ष्या नफरत से कोसो दूर....
हामर झारखंड
झारखंड की छटा निराली, है प्रकृति से भरपूर
सीधे-साधे लोग यहां के, ईर्ष्या नफरत से कोसो दूर,
गंगा भी पावन बहती यहॉं ,है पारसनाथ का ताज यहॉं
जंगल और झाड़ है चारों ओर, ऐसा उपवन और कहाँ ,
यहॉं नद रूप में दामोदर बहता, और स्वर्णरेखा की शीतलता
एक बार जो आए झारखंड, अपनापन उसको है मिलता,
हाथों में तीर धनुष लिए, यहाँ आदिवासी मिलते हैं
पर मन से इतने पावन है, पुष्प हृदय में खिलते हैं,
रजरप्पा के पावन धरती पर, मां छिन्नमस्तीके वास करती है
जो भी शरण में आए इसके, सब कष्टो को हरती है,
है संसाधनों से भरपूर, कोयला और अभ्रक में नंबर वन
ना हुआ समुचित विकास यहॉं, कितने बीत गए सावन,
इस्पात नगर की बात करें, तो बोकारो टाटा सुंदरतम
विस्थापन का मार झेल रहे, विस्थापित जनता यहाँ हरदम,
पर्यटन का पर्याय बना, यहां नेतरहाट और पतरातु
मन पवन हो जाएगा, गीत खुशी के गा ले तू,
जलप्रपात में जोड़ नहीं, हुंडरू और जोन्हा गिरते यहाँ
कोयल की कुहू कुहू से होती, मनभावन सा भौर यहाँ ,
आओ हम संकल्प ले भाई, सबको अपना बनाना है
जान से प्यारा झारखंड हमारा, इसे स्वर्ग से सुंदर सजाना है।
रचना-पंकज कुमार दास
बोकारो इस्पात नगर
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