Giridih Tragedy : करगली गांव में 4 साल के मासूम की तालाब में डूबकर दर्दनाक मौत, पूरे इलाके में सन्नाटा
गिरिडीह के करगली गांव में 4 वर्षीय ओम यादव की तालाब में डूबने से मौत, खेलते-खेलते जिंदगी खत्म। ग्रामीणों और परिजनों में मातम, तालाब हादसों का बढ़ता खतरा।
झारखंड के गिरिडीह ज़िले से एक हृदयविदारक घटना सामने आई है। धनवार थाना क्षेत्र के करगली गांव में रविवार सुबह खेलते-खेलते चार साल का मासूम ओम यादव हमेशा के लिए दुनिया छोड़ गया। तालाब में डूबकर हुई उसकी मौत ने पूरे गांव को गमगीन कर दिया।
सुबह का मासूम खेल, जो बन गया हादसा
रविवार की सुबह ओम बिना किसी को बताए घर के पास के बच्चों के साथ तालाब में नहाने चला गया। यह उसका रोज़ का खेल था, लेकिन इस बार किस्मत ने साथ नहीं दिया। अन्य बच्चे तो नहा-धोकर घर लौट आए, लेकिन ओम घर नहीं पहुँचा। परिवार ने जब उसकी तलाश शुरू की, तो तालाब के ऊपर उसकी छोटी सी लाश तैरती दिखी।
ग्रामीणों की जी-जान से कोशिश, पर जान न बची
गांव के लोगों ने तुरंत तालाब से बाहर निकालकर स्थानीय क्लिनिक पहुंचाया। डॉक्टरों ने उसकी हालत गंभीर देखकर तुरंत सदर अस्पताल कोडरमा रेफर कर दिया। लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। कोडरमा अस्पताल में पहुंचते ही डॉक्टरों ने मासूम को मृत घोषित कर दिया।
गांव में मातम छा गया, परिवार सदमे में है। जिस घर में सुबह हंसी-खुशी थी, वहां अब रोने की आवाजें गूंज रही हैं।
गिरिडीह में तालाब हादसों का पुराना इतिहास
गिरिडीह और आसपास के इलाकों में तालाब हमेशा से बच्चों और ग्रामीणों के लिए आकर्षण का केंद्र रहे हैं। गर्मियों में नहाना और सर्दियों में मछली पकड़ना – यह गांव की दिनचर्या का हिस्सा रहा है। लेकिन इन तालाबों की सुरक्षा को लेकर सवाल हमेशा खड़े होते रहे हैं।
2018 में गिरिडीह के बेंगाबाद प्रखंड में एक साथ तीन बच्चों की तालाब में डूबकर मौत ने पूरे झारखंड को हिला दिया था। इसके अलावा, 2021 में धनवार थाना क्षेत्र में ही दो किशोर तालाब में डूब गए थे।
इतिहास गवाह है कि पानी की लापरवाही और बच्चों की मासूम जिज्ञासा मिलकर अक्सर बड़े हादसे में बदल जाती है।
सवालों के घेरे में प्रशासन
ग्रामीणों का कहना है कि गांव के पास बने तालाबों में सुरक्षा इंतज़ाम नाम मात्र के हैं। न तो कोई चेतावनी बोर्ड लगे होते हैं, न ही बच्चों को रोकने के लिए कोई बाड़बंदी की जाती है। “अगर तालाब के चारों ओर सुरक्षा की व्यवस्था होती, तो आज ओम हमारे बीच होता,” एक आंसुओं में डूबे ग्रामीण ने कहा।
समाज के लिए चेतावनी
ओम की मौत सिर्फ एक परिवार का ग़म नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए चेतावनी है। आज भी ग्रामीण इलाकों में बच्चों का तालाब या नदी में नहाना आम बात है। लेकिन जब तक अभिभावक सतर्क नहीं होंगे और प्रशासन सुरक्षा व्यवस्था नहीं करेगा, तब तक ऐसी दर्दनाक घटनाएं होती रहेंगी।
परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल
ओम के पिता विकास यादव और उनकी पत्नी का रो-रोकर बुरा हाल है। वह बार-बार सिर्फ एक ही सवाल कर रहे हैं – “क्यों हमारा लाल ही गया?” गांव की औरतें छाती पीट-पीटकर रो रही हैं, पुरुष ग़ुस्से और लाचारी में चुप खड़े हैं।
बड़ा सवाल – कब रुकेगा तालाब का आतंक?
झारखंड के हर जिले में ऐसे तालाब मौजूद हैं जो खुले और असुरक्षित हैं। ओम की मौत ने एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या सरकार और प्रशासन को अब तालाब सुरक्षा नीति नहीं बनानी चाहिए?
अंत में...
करगली गांव का मासूम ओम अब नहीं रहा, लेकिन उसकी याद और उसकी मौत से निकले सवाल लंबे समय तक ज़िंदा रहेंगे। ग्रामीणों का कहना है कि इस घटना को “सिर्फ हादसा” कहकर भुलाया नहीं जा सकता। अब वक्त आ गया है कि तालाब हादसों को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं।
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