Lohardaga Elephant Attack : तान गांव में हाथी ने बुजुर्ग को कुचलकर मार डाला, ग्रामीणों ने हाईवे जाम की दी चेतावनी

लोहरदगा के कुड़ू थाना क्षेत्र के तान गांव में हाथी के हमले से एक वृद्ध की मौत, ग्रामीणों में आक्रोश। मुआवजा देने के बावजूद वन विभाग पर गुस्सा, हाईवे जाम की चेतावनी।

Sep 21, 2025 - 14:00
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Lohardaga Elephant Attack : तान गांव में हाथी ने बुजुर्ग को कुचलकर मार डाला, ग्रामीणों ने हाईवे जाम की दी चेतावनी
Lohardaga Elephant Attack : तान गांव में हाथी ने बुजुर्ग को कुचलकर मार डाला, ग्रामीणों ने हाईवे जाम की दी चेतावनी

झारखंड के लोहरदगा ज़िले में इंसान और हाथी के बीच का संघर्ष एक बार फिर खूनी रूप ले बैठा। शनिवार की देर शाम कुड़ू थाना क्षेत्र के तान गांव में हाथी ने 55 वर्षीय सीताराम उरांव को बुरी तरह कुचलकर मार डाला। इस दर्दनाक घटना के बाद ग्रामीणों का गुस्सा फूट पड़ा और उन्होंने वन विभाग के खिलाफ ज़ोरदार विरोध शुरू कर दिया।

कैसे हुआ हाथी का हमला?

गांववालों के मुताबिक, तान गांव निवासी सीताराम उरांव अपने घर के पास ही बैठे थे। इसी दौरान हाथियों का झुंड गांव में दाखिल हुआ। ग्रामीणों ने शोर मचाकर सभी को घरों में रहने की चेतावनी दी, लेकिन सीताराम वहीं मौजूद रहे। अचानक एक हाथी सीधे उनके पास पहुंचा और पहले उन्हें ज़ोर से पटका, फिर पैर से कुचल दिया।

गंभीर हालत में ग्रामीण उन्हें कुड़ू सीएचसी लेकर पहुंचे, लेकिन डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया।

मुआवजा और आक्रोश

घटना की जानकारी मिलते ही वन विभाग के अधिकारी मौके पर पहुंचे। प्रभारी वनपाल विपिन टोप्पो ने पीड़ित परिवार को तत्काल अंतिम संस्कार हेतु 25 हजार रुपये नकद मुआवजा दिया और भरोसा दिलाया कि बाकी मुआवजा राशि जल्द उपलब्ध कराई जाएगी।

लेकिन ग्रामीणों का गुस्सा मुआवजे से शांत नहीं हुआ। उनका कहना है कि जब तक हाथियों को सुरक्षित कॉरिडोर में नहीं पहुंचाया जाएगा, तब तक यह खतरा बना रहेगा। गुस्साए ग्रामीणों ने यहां तक चेतावनी दी है कि यदि एक सप्ताह के भीतर ठोस कार्रवाई नहीं हुई, तो वे नेशनल हाईवे जाम कर देंगे।

राजनीति भी कूदी मैदान में

घटना के बाद जिंगी पंचायत के मुखिया दिलीप उरांव और आजसू पार्टी के नेता लाल गुड्डू नाथ शाहदेव मौके पर पहुंचे। उन्होंने प्रशासन और एसडीओ से तुरंत कार्रवाई की मांग की। उनका कहना था कि सरकार केवल मुआवजा बांटकर जिम्मेदारी से बच रही है, जबकि असली समस्या – हाथियों के लिए सुरक्षित रास्ता – अब तक हल नहीं हो पाई है।

इंसान और हाथी का संघर्ष – पुराना इतिहास

झारखंड में हाथियों का गांवों में घुसना कोई नई बात नहीं है। लोहरदगा, गुमला, रामगढ़ और पश्चिमी सिंहभूम इलाके लंबे समय से हाथी-मानव संघर्ष के केंद्र रहे हैं।

इतिहास बताता है कि 1990 के दशक से लेकर आज तक कई बार हाथियों के झुंड ने फसलें बर्बाद की हैं, घर तोड़े हैं और दर्जनों लोगों की जान ले चुके हैं। वन विभाग ने कई बार हाथी कॉरिडोर बनाने और माइग्रेशन पथ सुरक्षित करने की योजनाएं चलाईं, लेकिन जमीनी स्तर पर अब भी ठोस समाधान नहीं दिखता।

ग्रामीणों का डर और सवाल

तान गांव के लोगों का कहना है कि यह सिर्फ एक हादसा नहीं, बल्कि सरकार की लापरवाही का नतीजा है। “हम कब तक डर-डर कर जिएंगे? हाथी आए दिन हमारी जिंदगी और आजीविका दोनों को तबाह कर रहे हैं। मुआवजा समाधान नहीं है,” एक ग्रामीण ने गुस्से में कहा।

प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती

अब प्रशासन के सामने दोहरी चुनौती है – एक तरफ पीड़ित परिवार को न्याय और राहत दिलाना, दूसरी तरफ ग्रामीणों के गुस्से को शांत करना। हाईवे जाम की चेतावनी अगर सच साबित हुई तो यह मामला बड़े आंदोलन में बदल सकता है।

बड़ा सवाल – कब खत्म होगा यह संघर्ष?

प्रकृति और इंसान का रिश्ता सहअस्तित्व का रहा है। लेकिन लोहरदगा जैसी घटनाएं बताती हैं कि संतुलन बिगड़ चुका है। सवाल यह है कि कब तक झारखंड के ग्रामीण हाथियों के आतंक में जिएंगे? क्या सरकार केवल मुआवजा देकर पल्ला झाड़ लेगी या कोई स्थायी समाधान निकलेगा?

फिलहाल, सीताराम उरांव की मौत से पूरा तान गांव गमगीन है। उनकी मौत ने फिर एक बार यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि मानव-हाथी संघर्ष की असली कीमत कौन चुका रहा है – हाथी या इंसान?

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Manish Tamsoy मनीष तामसोय कॉमर्स में मास्टर डिग्री कर रहे हैं और खेलों के प्रति गहरी रुचि रखते हैं। क्रिकेट, फुटबॉल और शतरंज जैसे खेलों में उनकी गहरी समझ और विश्लेषणात्मक क्षमता उन्हें एक कुशल खेल विश्लेषक बनाती है। इसके अलावा, मनीष वीडियो एडिटिंग में भी एक्सपर्ट हैं। उनका क्रिएटिव अप्रोच और टेक्निकल नॉलेज उन्हें खेल विश्लेषण से जुड़े वीडियो कंटेंट को आकर्षक और प्रभावी बनाने में मदद करता है। खेलों की दुनिया में हो रहे नए बदलावों और रोमांचक मुकाबलों पर उनकी गहरी पकड़ उन्हें एक बेहतरीन कंटेंट क्रिएटर और पत्रकार के रूप में स्थापित करती है।