Chaibasa Murder Case : विसर्जन जुलूस के बाद पत्थर से कुचलकर 45 वर्षीय व्यक्ति की हत्या, टोकलो जंगल में भी महिला का शव मिलने से हड़कंप
चाईबासा में विसर्जन जुलूस के बाद गाड़ी हटाने के विवाद में 45 वर्षीय व्यक्ति की पत्थर से कुचलकर हत्या, वहीं टोकलो के जंगल में एक अज्ञात महिला का शव मिलने से दहशत। जानिए पूरा मामला।

झारखंड के चाईबासा ज़िले से एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने पूरे इलाके को हिला दिया है। शुक्रवार की रात मनसा पूजा विसर्जन जुलूस के दौरान शुरू हुआ एक मामूली विवाद शनिवार को हत्या में बदल गया।
विसर्जन जुलूस से रानी तालाब तक की खौफनाक कहानी
जानकारी के मुताबिक, चाईबासा मुफस्सिल थाना क्षेत्र के उलीहातु गांव में 45 वर्षीय विष्णु भौंज मनसा पूजा के विसर्जन जुलूस में शामिल थे। जुलूस में शामिल गाड़ियों को हटाने को लेकर उनका विवाद गांव के ही सचिन बिरूली से हो गया। हालांकि उस समय ग्रामीणों ने दोनों को समझा-बुझाकर शांत कर दिया।
लेकिन इसी बीच, शराब के नशे में धुत सचिन बिरूली, विष्णु को बहला-फुसलाकर गांव से बाहर रानी तालाब के पास ले गया। वहां पहले मारपीट की और फिर एक बड़े पत्थर से उन पर ताबड़तोड़ हमला कर दिया। गंभीर हालत में ग्रामीणों ने विष्णु को अस्पताल पहुंचाया, लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
पुलिस ने मामले में तत्परता दिखाते हुए सचिन बिरूली को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। मृतक की पत्नी पद्मनी भौंज के बयान पर हत्या का मामला दर्ज कर लिया गया है।
टोकलो के जंगल से मिली अज्ञात महिला की लाश
इसी के साथ, चाईबासा के टोकलो थाना क्षेत्र में भी शनिवार सुबह सनसनी फैल गई। यहां किमिरदा गांव के जंगल में ग्रामीणों ने एक 35 वर्षीय महिला का शव देखा। महिला का चेहरा और सिर बुरी तरह पत्थर से कुचला गया था।
पुलिस ने शव बरामद कर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। लेकिन अब तक महिला की पहचान नहीं हो पाई है। थाना प्रभारी परमेश्वर उरांव के अनुसार, "महिला की हत्या एक-दो दिन पहले की गई प्रतीत होती है। आसपास के गांवों में पहचान कराने की कोशिश हुई, लेकिन नाकाम रही।"
इतिहास से जुड़ी एक कड़वी सच्चाई
झारखंड, खासकर चाईबासा और पश्चिमी सिंहभूम का इलाका लंबे समय से हिंसक घटनाओं और खूनी विवादों का गवाह रहा है। विसर्जन जुलूसों और पर्व-त्योहारों के दौरान गाड़ी हटाने या शराब के नशे में हुए झगड़े कई बार हत्या तक पहुंच जाते हैं।
इतिहास गवाह है कि 2000 के दशक में भी सिंहभूम के गांवों में इसी तरह के विवादों ने कई जिंदगियां छीन ली थीं। ग्रामीण इलाकों में पुलिस की सक्रियता के बावजूद, ऐसे मामले लगातार सामने आते रहे हैं।
पुलिस की चुनौती – पहचान और गिरफ्तारी
उलीहातु हत्या मामले में पुलिस ने आरोपी को तुरंत गिरफ्तार कर लिया, लेकिन टोकलो के मामले में अभी तक कोई सुराग हाथ नहीं लगा है। पुलिस की सबसे बड़ी चुनौती महिला की पहचान उजागर करना है। इसके बाद ही हत्यारों तक पहुंचा जा सकेगा।
ग्रामीणों में दहशत और आक्रोश
लगातार दो-दो हत्याओं ने इलाके में दहशत फैला दी है। ग्रामीण कह रहे हैं कि अगर ऐसे मामलों में जल्दी सख्त कार्रवाई नहीं हुई, तो त्योहारों के दौरान हिंसा बढ़ सकती है। वहीं परिजन आरोप लगा रहे हैं कि सचिन बिरूली को पहले ही काबू किया जा सकता था, अगर जुलूस में हुए विवाद को पुलिस गंभीरता से लेती।
बड़ा सवाल – कब थमेगा खून?
त्योहार, पूजा और जुलूस का मकसद जहां समाज को जोड़ना और खुशियां मनाना होता है, वहीं चाईबासा की ये घटनाएं सवाल खड़े करती हैं – आखिर कब तक त्योहारों की रौनक खून से रंगती रहेगी?
फिलहाल, पुलिस दोनों मामलों की जांच में जुटी है। एक तरफ जहां विष्णु भौंज के हत्यारे को जेल भेज दिया गया है, वहीं दूसरी ओर टोकलो की महिला हत्याकांड की गुत्थी अभी अनसुलझी है।
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