Jamshedpur FIR: प्रत्याशी की Photo-Symbol वाली पर्ची बांटने पर हंगामा, FIR दर्ज
जमशेदपुर पूर्व विधानसभा क्षेत्र में प्रत्याशियों की फोटो और सिंबल वाली पर्ची बांटने पर एफआईआर दर्ज। चुनावी नियमों के उल्लंघन से जुड़े इस विवाद की पूरी जानकारी पढ़ें।
जमशेदपुर, 13 नवंबर: झारखंड के जमशेदपुर पूर्व विधानसभा क्षेत्र में चुनावी नियमों का उल्लंघन करते हुए मतदाताओं को प्रत्याशियों की नाम, फोटो और चुनावी सिंबल वाली पर्ची बांटने का मामला सामने आया है। इस घटना से चुनावी माहौल में उथल-पुथल मच गई है, और प्रशासन को सख्त कार्रवाई करनी पड़ी है। इस घटना को लेकर सिदगोड़ा थाना में एफआईआर दर्ज की गई है, जिसमें दोषियों पर लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धाराओं के तहत कानूनी कार्यवाही की जाएगी।
क्या है पूरा मामला?
यह घटना जमशेदपुर पूर्व विधानसभा क्षेत्र के बूथ संख्या 38, 40, 41 और 42 के नवोदय आदिवासी प्राथमिक विद्यालय मतदान केंद्र की है, जहां कांग्रेस प्रत्याशी अजय कुमार और निर्दलीय प्रत्याशी शिव शंकर सिंह के नाम, फोटो और चुनावी सिंबल वाली पर्चियां कुछ लोगों द्वारा बांटी जा रही थीं। चुनाव आयोग के नियमों के अनुसार, मतदाताओं को इस प्रकार की पर्चियां बांटना चुनावी आचार संहिता का उल्लंघन है, जो मतदाताओं को सीधे प्रभावित करने की कोशिश करता है।
कैसे हुई कार्रवाई?
चुनाव अधिकारी और प्रशासनिक टीम को जब इस बात की सूचना मिली, तो तत्काल कार्रवाई करते हुए मौके पर पहुंची सेक्टर ऑफिसर और एफएसटी (फ्लाइंग स्क्वाड टीम) ने बड़ी संख्या में इन पर्चियों को जप्त कर लिया। इसके बाद सिदगोड़ा थाना में एफआईआर दर्ज करवाई गई, और मामले की गंभीरता को देखते हुए आगे की जांच की जा रही है। चुनाव आयोग ने इस प्रकार की गतिविधियों को लोकतांत्रिक प्रक्रिया के खिलाफ माना है और इसे गंभीर चुनावी अपराध के रूप में दर्ज किया है।
पर्चियों का चुनाव में क्या है प्रभाव?
मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए प्रत्याशी और उनके समर्थक कई बार नियमों का उल्लंघन कर इस तरह की पर्चियां बांटते हैं। इसमें प्रत्याशी का नाम, फोटो, और चुनाव चिह्न होने से मतदाता पर सीधा प्रभाव पड़ सकता है। यह कार्य केवल एक मतदान प्रक्रिया का उल्लंघन ही नहीं है, बल्कि लोकतांत्रिक मूल्यों को भी चुनौती देता है। इस तरह की घटनाएं चुनावों की पारदर्शिता पर सवाल खड़े करती हैं और एक निष्पक्ष चुनाव की प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न करती हैं।
चुनाव आयोग का रुख
चुनाव आयोग ने इस घटना को लेकर कड़ा रुख अपनाया है और साफ शब्दों में कहा है कि चुनावी प्रक्रिया में किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप सहन नहीं किया जाएगा। चुनावी आचार संहिता के तहत प्रत्याशी और उनके समर्थकों को मतदाताओं को प्रभावित करने से रोकने के कड़े निर्देश दिए गए हैं। जमशेदपुर में हुई इस घटना ने प्रशासन को सतर्क कर दिया है, और अब अन्य मतदान केंद्रों पर भी निगरानी बढ़ाई जाएगी।
जनता का क्या कहना है?
स्थानीय लोगों का मानना है कि इस प्रकार की घटनाएं मतदाताओं के निर्णय को प्रभावित करती हैं और चुनाव की पारदर्शिता में बाधा उत्पन्न करती हैं। एक स्थानीय मतदाता ने कहा, "हम चाहते हैं कि चुनाव साफ और निष्पक्ष हो। इस तरह की घटनाएं केवल भ्रम पैदा करती हैं।"
जमशेदपुर पूर्व में हुई इस घटना ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि चुनावी प्रक्रिया कितनी निष्पक्ष और पारदर्शी है। चुनाव आयोग और प्रशासन के कड़े रुख से यह तो स्पष्ट है कि इस तरह की गतिविधियों पर सख्ती से रोक लगाई जाएगी, परंतु जनता में विश्वास बहाल करने के लिए चुनाव आयोग को और सख्त कदम उठाने की जरूरत है।
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