Chaibasa Tragedy : 13 वर्षीय छात्रा ने गांव में फांसी लगाई, क्यों बढ़ रहे बच्चों के तनाव?
पश्चिम सिंहभूम जिले के नुवागांव में 13 वर्षीय बसंती सामड ने फांसी लगाकर आत्महत्या की। परिवार और गांव में शोक की लहर, पुलिस जांच में जुटी। पढ़ें पूरी कहानी और कारण।
झारखंड के छोटे-छोटे गांवों में अक्सर जीवन की कठिनाइयों और बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य की अनदेखी की वजह से दुखद घटनाएं सामने आती हैं। मंगलवार की रात एक ऐसी ही दुखद घटना ने नुवागांव टोला महुलबोरय के निवासियों को हिला कर रख दिया। 13 वर्षीय छात्रा बसंती सामड ने घर में हुई मामूली झगड़े के बाद अपने जीवन का अंत कर लिया।
घटना कैसे हुई?
जानकारी के अनुसार, मंगलवार रात घर में खाने के मसले पर बसंती और परिवार के बीच झगड़ा हुआ। झगड़े के बाद बसंती अचानक घर से बाहर निकल गई। परिजन रात भर उसकी खोजबीन करते रहे, लेकिन उसका कोई पता नहीं चला।
अगली सुबह, मैदान में खेल रहे बच्चों ने सागुवान के पेड़ पर बसंती का शव देखा। छात्रा का शव दुपट्टे के सहारे लटका हुआ था। बच्चों ने तुरंत परिजनों को घटना की सूचना दी, जिससे गांव में मातम छा गया।
पुलिस की कार्रवाई
सूचना मिलने पर सोनुवा थाना पुलिस तुरंत घटनास्थल पर पहुंची। शव को कब्जे में लेकर चक्रधरपुर भेजा गया और पोस्टमार्टम कराई गई। पुलिस ने घटना की जांच शुरू कर दी है।
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि आत्महत्या के कारणों का पता लगाने के लिए वे पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं। जांच में परिवार के सदस्यों और आसपास के लोगों से बातचीत की जा रही है।
परिवार और गांव का शोक
परिवार और गांव में शोक की लहर है। परिजन रो-रोकर बेहाल हैं। यह घटना न केवल परिवार बल्कि पूरे गांव को झकझोर कर रख दिया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि बसंती एक शांत स्वभाव की बच्ची थी, और परिवार में अक्सर उसे समझाने और सहयोग देने की कोशिश की जाती थी।
बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर सवाल
यह घटना एक बार फिर बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य और परिवार में संवाद की कमी को उजागर करती है। विशेषज्ञों का कहना है कि छोटे बच्चों में तनाव और दबाव को सही तरीके से समझने और संभालने की जरूरत है। झारखंड जैसे ग्रामीण क्षेत्रों में मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता अभी भी बहुत कम है।
ऐतिहासिक संदर्भ
पश्चिम सिंहभूम में पिछले कुछ वर्षों में किशोर आत्महत्या की घटनाओं में बढ़ोतरी देखी गई है। 2021 में चाईबासा के एक स्कूल में दो किशोरियों ने आत्महत्या की थी। विशेषज्ञ मानते हैं कि सामाजिक दबाव, पढ़ाई का तनाव, पारिवारिक झगड़े और मानसिक स्वास्थ्य के प्रति लापरवाही इन घटनाओं के मुख्य कारण हैं।
प्रशासन और समाज की जिम्मेदारी
इस घटना ने एक बार फिर प्रशासन और समाज के सामने सवाल खड़ा कर दिया है। क्या हमारे गांव और शहर बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए पर्याप्त कदम उठा रहे हैं? क्या स्कूल और परिवार में बच्चों की भावनाओं को समझने और तनाव कम करने के लिए प्रबंध हैं?
विशेषज्ञों का कहना है कि बच्चों में तनाव, अकेलापन और अवसाद को पहचानने के लिए स्कूल, परिवार और समुदाय को मिलकर काम करना होगा। इसके साथ ही स्थानीय प्रशासन को भी जागरूकता कार्यक्रम और मानसिक स्वास्थ्य सपोर्ट सेंटर स्थापित करना चाहिए।
बसंती सामड की मौत केवल एक परिवार का दुख नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए चेतावनी है। यह घटना हमें याद दिलाती है कि छोटे तनाव और झगड़े भी कभी-कभी बच्चों के लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकते हैं।
सवाल यह है कि क्या हम बच्चों की मानसिक समस्याओं पर समय रहते ध्यान देंगे, या यह दुखद सिलसिला आगे भी जारी रहेगा?
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