Barwaddah हादसा: BCCL कर्मी की तालाब में डूबकर मौत, 30 घंटे के आंदोलन के बाद पत्नी को मिला नौकरी का पत्र!
धनबाद के बरवाअड्डा में बीसीसीएल कर्मी संजीत कुमार महतो की तालाब में डूबने से मौत। परिवार ने 30 घंटे तक आंदोलन किया, जिसके बाद पत्नी को नौकरी दी गई। पढ़ें पूरा मामला।

धनबाद के बरवाअड्डा थाना क्षेत्र में एक दर्दनाक हादसा सामने आया है। साधोबाद-खरनी गांव के रानी तालाब में डूबने से बीसीसीएल कर्मी संजीत कुमार महतो उर्फ बड़का (30 वर्ष) की मौत हो गई। घटना के बाद परिजनों और ग्रामीणों में हड़कंप मच गया। संजीत की मौत ने पूरे क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ा दी और परिजनों को न्याय दिलाने के लिए 30 घंटे तक आंदोलन करना पड़ा।
कैसे हुआ हादसा?
शुक्रवार को संजीत कुमार महतो, जो बीसीसीएल की तेतुलमारी कोलियरी में कार्यरत थे, अपनी ड्यूटी पर जा रहे थे। रास्ते में उन्हें शौच की आवश्यकता महसूस हुई, जिसके बाद वह रानी तालाब में उतरे। लेकिन तालाब के फिसलन भरे किनारे पर पैर फिसल गया और वह गहरे पानी में समा गए। तालाब में नहा रहे बच्चों ने जब उन्हें डूबते देखा तो शोर मचाया, जिसके बाद ग्रामीण और परिजन मौके पर पहुंचे।
उन्हें तुरंत सेंट्रल अस्पताल, धनबाद ले जाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। उनकी मौत की खबर से परिवार में कोहराम मच गया।
अनुकंपा नौकरी के लिए 30 घंटे तक आंदोलन
संजीत के पिता रवींद्रनाथ महतो भी बीसीसीएल में कार्यरत थे, जिनकी मृत्यु के बाद उन्हें अनुकंपा नौकरी मिली थी। अब जब संजीत की असमय मौत हो गई, तो परिवार ने उनकी पत्नी रूम्पा कुमारी के लिए नौकरी की मांग को लेकर आंदोलन शुरू कर दिया।
शनिवार से शुरू हुआ यह आंदोलन पूरे 30 घंटे तक चला, जिसमें परिजनों ने शव को तेतुलमारी कोलियरी के सामने रखकर विरोध प्रदर्शन किया। मामला गंभीर होता देख बीसीसीएल प्रबंधन को झुकना पड़ा और रविवार देर शाम संजीत की पत्नी रूम्पा कुमारी को प्रोविजनल नियुक्ति पत्र सौंपा गया, जिसके बाद आंदोलन समाप्त हुआ।
प्रबंधन और नेताओं की बैठक
बीसीसीएल प्रबंधन और आंदोलनकारियों के बीच वार्ता के लिए सिजुआ क्षेत्रीय कार्यालय के सभागार में बैठक हुई, जिसमें कई प्रशासनिक और राजनीतिक नेता मौजूद रहे। इनमें एजीएम के.के. सिंह, क्षेत्रीय कार्मिक प्रबंधक अशोक कुमार, तेतुलमारी परियोजना पदाधिकारी एस.के. दास, कोलियरी कार्मिक प्रबंधक राजीव कुमार, डुमरी विधायक जयराम महतो, पूर्व मुखिया नरेश महतो, मो. आजाद, मुखिया राजेंद्र महतो और दीपक रवानी शामिल थे।
संजीत की मौत ने उजागर की कोयला क्षेत्र की दुर्दशा
संजीत कुमार महतो की मौत सिर्फ एक हादसा नहीं, बल्कि कोलियरी क्षेत्र में काम कर रहे मजदूरों और कर्मचारियों की बदहाल स्थिति को भी उजागर करती है। कई बार कोलियरी कर्मचारियों और उनके परिवारों को अनुकंपा नौकरी पाने के लिए संघर्ष करना पड़ता है, जो कि उनकी जिंदगी को और कठिन बना देता है।
अब क्या होगा आगे?
बीसीसीएल प्रबंधन ने मृतक की पत्नी को नौकरी देने का वादा कर आंदोलन खत्म कराया, लेकिन यह सवाल बना हुआ है कि क्या भविष्य में भी कर्मचारियों के परिवारों को इसी तरह संघर्ष करना पड़ेगा? क्या प्रशासन इस तरह के हादसों को रोकने के लिए कोई ठोस कदम उठाएगा?
संजीत कुमार महतो की मौत ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं, जिनका जवाब अभी मिलना बाकी है।
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