Jharkhand Penalty Drama: आयुष्मान योजना में अस्पताल ने की 4 करोड़ की चालबाज़ी?
झारखंड में असर्फी हॉस्पिटल पर आयुष्मान भारत योजना में फर्जीवाड़े को लेकर 35 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है। अस्पताल ने इंश्योरेंस एजेंसी पर लगाया झूठी रिपोर्टिंग का आरोप, जानिए पूरी सच्चाई इस घोटाले की तह तक।

झारखंड की स्वास्थ्य व्यवस्था को एक बार फिर शर्मसार करने वाला मामला सामने आया है, जब झारखंड स्वास्थ्य विभाग ने धनबाद स्थित असर्फी हॉस्पिटल पर 35 लाख रुपये का भारी जुर्माना ठोका है। वजह? आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत गलत तरीके से क्लेम करना! लेकिन मामला जितना सीधा दिखता है, असलियत उतनी ही जटिल और चौंकाने वाली है।
क्या है मामला?
स्वास्थ्य विभाग की हालिया जांच में सामने आया कि असर्फी हॉस्पिटल ने आयुष्मान भारत योजना के तहत ऐसे इलाजों का क्लेम किया जो या तो हुए ही नहीं, या फिर नियमों के तहत पात्र नहीं थे। ये जुर्माना कुल क्लेम राशि का पांच गुना है, जो अब सरकार की नई गाइडलाइन के अनुसार तय किया गया है। पहले यह जुर्माना तीन गुना तक ही सीमित था।
अस्पताल का जवाब: "हमें फंसाया जा रहा है"
असर्फी हॉस्पिटल के सीईओ हरेंद्र सिंह का कहना है कि यह पूरा मामला बीमा एजेंसी की मनमानी का नतीजा है। अस्पताल के अनुसार, उन्होंने बीते 20 महीनों में आयुष्मान योजना के तहत 4 करोड़ रुपये का क्लेम किया, जिसमें हार्ट सर्जरी जैसी गंभीर मेडिकल प्रक्रियाएं भी शामिल थीं। इस क्लेम में से 25 लाख पहले ही काट लिए गए, जबकि 30 लाख रुपये TDS के तहत कट चुके हैं। इतना ही नहीं, विभाग के पास अभी भी 1.64 करोड़ रुपये का बकाया भुगतान बाकी है।
सरकार की सख्ती: दो रिमाइंडर और फिर कार्रवाई की चेतावनी
स्वास्थ्य विभाग ने असर्फी प्रबंधन को जुर्माने की राशि जमा करने के लिए आधिकारिक पत्र भेजा है और दूसरा रिमाइंडर भी जारी कर दिया गया है। अगर राशि तय समय में जमा नहीं होती, तो अस्पताल के खिलाफ कानूनी कार्रवाई तय मानी जा रही है।
आयुष्मान भारत में घोटाले का इतिहास
आयुष्मान भारत योजना, जिसे 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लॉन्च किया गया था, देश की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना मानी जाती है। इस योजना के तहत पात्र गरीब परिवारों को प्रति वर्ष 5 लाख रुपये तक का मुफ्त इलाज दिया जाता है। लेकिन शुरुआत से ही इस योजना में कई बार फर्जी क्लेम, बोगस मरीज, और गैर-मौजूद इलाज जैसी गड़बड़ियां उजागर होती रही हैं।
झारखंड सहित कई राज्यों में पहले भी अस्पतालों को ब्लैकलिस्ट किया जा चुका है और करोड़ों रुपये के घोटाले सामने आ चुके हैं। यह मामला इस बात का ताजा उदाहरण है कि कैसे कुछ संस्थान सरकारी योजनाओं का फायदा उठाकर आम जनता और सरकार दोनों को चूना लगाने से नहीं चूकते।
बीमा एजेंसी और अस्पताल की टकराहट
असर्फी प्रबंधन का आरोप है कि बीमा कंपनी के प्रतिनिधि जानबूझकर क्लेम को गलत साबित कर रहे हैं ताकि अस्पताल पर दबाव बनाया जा सके। हरेंद्र सिंह ने कहा, “हमने सभी दस्तावेज सही तरीके से प्रस्तुत किए हैं, फिर भी बीमा एजेंसी बेवजह क्लेम खारिज कर रही है। यह अस्पताल को बदनाम करने की साजिश है।”
अब आगे क्या?
यह सवाल हर किसी के मन में है – क्या असर्फी हॉस्पिटल इस जुर्माने को देगा? क्या स्वास्थ्य विभाग अपनी कार्रवाई को अंजाम तक पहुंचाएगा? और सबसे अहम – क्या आयुष्मान भारत योजना वाकई आम लोगों तक सही तरीके से पहुंच रही है या फिर इसका एक बड़ा हिस्सा भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुका है?
इस मामले ने न केवल झारखंड में स्वास्थ्य सेवाओं की सच्चाई उजागर की है, बल्कि आयुष्मान भारत योजना की निगरानी व्यवस्था पर भी बड़ा सवाल खड़ा किया है। आम जनता अब उम्मीद लगाए बैठी है कि सरकार ऐसे मामलों पर कड़ा एक्शन ले और जिन अस्पतालों ने नियमों का उल्लंघन किया है, उन्हें सजा मिले – ताकि भविष्य में कोई भी इस कल्याणकारी योजना से छल न कर सके।
अगर आप चाहते हैं कि हम इस मामले पर और भी अपडेट लाएं या संबंधित दस्तावेजों का विश्लेषण करें, तो बताइए – अगला खुलासा भी हम ही करेंगे।
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