Bandgaon Revenge Murder: मुखिया के बेटे को नाबालिगों ने दी बेरहमी से मौत, बियर पार्टी बना वजह!
पश्चिमी सिंहभूम के बंदगांव क्षेत्र में मुखिया के बेटे की हत्या का सनसनीखेज खुलासा। दो नाबालिगों ने बदले की भावना से मिलकर रची खौफनाक साजिश। जानिए कैसे बियर पार्टी बनी मौत का जाल।

बंदगांव, पश्चिमी सिंहभूम: झारखंड के आदिवासी इलाकों में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जिसने पूरे चक्रधरपुर अनुमंडल को सन्न कर दिया है। हुड़ांगदा पंचायत की मुखिया लक्ष्मी गागराई के बेटे रोहित राज गागराई की हत्या के मामले में पुलिस ने बड़ा खुलासा किया है। यह कोई आपराधिक गिरोह नहीं, बल्कि दो नाबालिग थे जिन्होंने बेहद शातिर अंदाज में इस हत्या को अंजाम दिया।
लेकिन सवाल ये है कि आखिर क्यों दो किशोरों ने पंचायत मुखिया के बेटे की जान ले ली? और वो भी इतनी बेरहमी से?
क्या था पूरा मामला?
1 अप्रैल की शाम। कराइकेला थाना क्षेत्र का नकटी हाट बाज़ार। मुखिया का 25 वर्षीय बेटा रोहित राज गागराई हंसी-ठहाकों के साथ दो नाबालिग लड़कों के साथ बियर पार्टी में शामिल होता है। पहली नज़र में ये दोस्ती लगती है, लेकिन भीतर ही भीतर, एक खूनी साजिश पक रही थी।
पुलिस के अनुसार, कुछ दिन पहले रोहित की इन दोनों नाबालिगों से मारपीट हुई थी। रोहित ने दोनों को सार्वजनिक रूप से पीटा था, जिससे उनके ‘ईगो’ को गहरा झटका लगा। बस फिर क्या था, बदला लेने की आग में झुलसते इन किशोरों ने अपना गेम प्लान बना लिया।
कैसे बनी बियर पार्टी मौत का बहाना?
पुलिस जांच में खुलासा हुआ कि दोनों नाबालिग 1 अप्रैल को नकटी हाट पहुंचे। रोहित को विश्वास में लिया, दोस्ती जताई और फिर उसे बियर पीने का न्योता दिया। शाम ढलते-ढलते, बियर की बोतलें खुलीं और योजना भी।
जैसे ही रोहित नशे में चूर हुआ, दोनों ने उस पर हमला बोल दिया। जब रोहित ने चिल्लाना शुरू किया, तो उसका मुंह दबाया गया। फिर एक ने अपने हाथ में पहने कड़े से उसकी गर्दन पर इतनी जोर से वार किया कि गर्दन ही टूट गई। इसके बाद, बियर की बोतल को तोड़कर उसके शरीर पर कई घातक वार किए गए। रोहित की वहीं मौत हो गई।
नाबालिगों की ‘रेजिस्टेंस स्टोरी’
ये हत्या सिर्फ बदले की भावना से नहीं, बल्कि “अपमान के बदले इज़्ज़त की बहाली” के रूप में अंजाम दी गई थी, ऐसा नाबालिगों ने अपने बयान में कहा है।
थाना प्रभारी अंकित कुमार ने बताया कि दोनों नाबालिगों को हिरासत में लेकर पूछताछ की गई, जहां उन्होंने अपना जुर्म स्वीकार कर लिया। हत्या में इस्तेमाल हुए सभी सबूत, जैसे कि टूटी हुई बियर की बोतल, खून से सने कपड़े और कड़ा, सब न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किए गए।
बाल सुधार गृह की राह
मामला दर्ज कर दोनों नाबालिगों को बाल सुधार गृह, चाईबासा भेज दिया गया है। कानून की नजर में चाहे आरोपी नाबालिग हों, लेकिन हत्या का तरीका किसी पेशेवर अपराधी जैसा था।
हत्या, नशा और किशोर अपराध: एक खतरनाक ट्रायंगल
झारखंड के दूर-दराज़ इलाकों में हाल के वर्षों में किशोरों में नशा, हिंसा और अपराध के मामले तेजी से बढ़े हैं। खासतौर पर बियर, गांजा और अन्य नशे की चीज़ें अब गांवों तक पहुंच रही हैं। और जब ये नशा किसी ‘इमोशनल ट्रिगर’ से जुड़ता है, तो नतीजा कुछ इसी तरह का होता है—निर्दय हत्या।
समाज के लिए बड़ा सवाल
इस घटना ने समाज के सामने एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है—क्या नाबालिगों को कड़ी सजा मिलनी चाहिए जब वे इतनी निर्ममता से हत्या करें? और क्या बियर और शराब जैसी चीज़ों पर गांवों में पाबंदी होनी चाहिए?
साफ है कि यह मामला सिर्फ एक हत्या का नहीं, बल्कि एक सामाजिक चेतावनी है। पंचायत स्तर पर जनजागरूकता, बाल अपराध की रोकथाम और मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों पर अब गंभीरता से काम करने की ज़रूरत है।
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