Chaibasa Shocking Murder: पिता ने बेटों संग मिलकर कर दी बड़े बेटे की हत्या, वजह सुनकर रह जाएंगे दंग!

चाईबासा के गंजड़ा गांव में पिता ने अपने तीन बेटों के साथ मिलकर बड़े बेटे की लाठी-डंडों से पीट-पीटकर हत्या कर दी। जानिए क्या था इस पारिवारिक खूनी संघर्ष के पीछे का कारण।

Apr 10, 2025 - 13:25
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Chaibasa Shocking Murder: पिता ने बेटों संग मिलकर कर दी बड़े बेटे की हत्या, वजह सुनकर रह जाएंगे दंग!
Chaibasa Shocking Murder: पिता ने बेटों संग मिलकर कर दी बड़े बेटे की हत्या, वजह सुनकर रह जाएंगे दंग!

झारखंड के चाईबासा से एक ऐसी दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जिसने इंसानियत को शर्मसार कर दिया है। गंजड़ा गांव के बनागुटु टोला में एक पारिवारिक विवाद ने ऐसा विकराल रूप लिया कि एक पिता ने अपने ही बेटे की हत्या कर दी – वो भी अपने तीन छोटे बेटों के साथ मिलकर

यह कहानी किसी क्राइम थ्रिलर फिल्म जैसी लग सकती है, लेकिन अफसोस की बात है कि ये हकीकत है।

7:30 बजे की वह काली शाम

घटना मंगलवार शाम लगभग 7:30 बजे की है। 34 वर्षीय सुनील नाग अपने छोटे भाई सावन नाग (20) के साथ साप्ताहिक हाट से घर लौटा था। दोनों भाई अपने घर के बाहर बैठकर रोज़मर्रा की बातें कर रहे थे। तभी अचानक पिता विपिन नाग और तीन बेटे – बसंत, सुबरुई और साहिल नाग, लाठी-डंडों से लैस होकर पहुंचे और बिना कुछ कहे हमला बोल दिया

लाठी से पीट-पीटकर की हत्या, शव खेत में फेंका

सावन नाग किसी तरह अपनी जान बचाकर भाग निकला, लेकिन उसका बड़ा भाई सुनील बच नहीं सका। उसे घेरकर बेरहमी से पीटा गया। मारपीट के बाद जब सुनील की मौत हो गई, तो आरोपियों ने उसका शव पास के खेत में फेंक दिया और मौके से फरार हो गए।

बुधवार सुबह जब ग्रामीणों ने शव देखा, तो ग्राम मुंडा को सूचना दी गई, जिन्होंने पुलिस को खबर दी। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर शव को कब्जे में लिया और पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है।

घायल भाई ने दर्ज कराई प्राथमिकी, चारों आरोपी फरार

घायल सावन नाग को सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया है। वहीं उसने अपने पिता और तीन भाइयों के खिलाफ मुफ्फसिल थाना में हत्या की एफआईआर दर्ज कराई है।

पुलिस ने मामला दर्ज कर चारों आरोपियों की तलाश शुरू कर दी है। गांव में इस घटना के बाद से तनाव का माहौल बना हुआ है।

क्यों हुई यह हत्या?

पारिवारिक विवाद की यह कहानी सिर्फ एक झगड़े की नहीं, बल्कि पुराने दर्द और जिम्मेदारियों के टकराव की है।

सावन के अनुसार, मृतक सुनील नाग अपने परिवार से अलग रहता था। उसके चार छोटे बच्चे हैं। अक्सर सुनील अपने पिता विपिन नाग से कहता था कि "बच्चे तो पैदा कर लिए, लेकिन उनका खर्चा कौन उठाएगा?"

यही शब्दों की तल्खी शायद खूनी संघर्ष में बदल गई। विपिन नाग पहले भी जेल जा चुका है। यानि विवाद और हिंसा की यह आदत परिवार में नई नहीं थी।

इतिहास गवाह है: झारखंड में बढ़ती पारिवारिक हिंसा

अगर आप सोचते हैं कि ऐसे मामले दुर्लभ हैं, तो आंकड़े देखिए। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के अनुसार, झारखंड में पारिवारिक हिंसा के मामले हर साल लगातार बढ़ रहे हैं।

विशेष रूप से आदिवासी क्षेत्रों में, जहां आजीविका के साधन सीमित होते हैं, पारिवारिक तनाव जल्दी हिंसा में बदल जाता है।

पुलिस की जिम्मेदारी और प्रशासन की चुप्पी

अब सवाल उठता है कि क्या गांवों में समय रहते हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता? पंचायत और सामाजिक नेताओं की क्या भूमिका है?

क्या ऐसे झगड़े को सुलझाने के लिए कोई सामाजिक तंत्र काम कर रहा है? दुर्भाग्यवश, जब तक कोई मरता नहीं – तब तक कोई सुनवाई नहीं होती।

गांव में तनाव, लेकिन चुप्पी भी

घटना के बाद गांव में लोगों के बीच गुस्सा है, लेकिन डर और चुप्पी भी। कोई कुछ बोलना नहीं चाहता। सबको डर है – कल को कहीं अगला शिकार वह खुद न बन जाए।

परिवार का नाम जब खून से लिखा जाए

सुनील नाग की मौत सिर्फ एक हत्या नहीं है – यह उस सामाजिक ताने-बाने का बिखराव है, जहां पिता और बेटे एक-दूसरे के खून के प्यासे हो जाएं।

एक पिता, जिसे अपने बेटे की ढाल बनना चाहिए था, कातिल बन बैठा। तीन छोटे बेटों ने बड़ा भाई खोया – लेकिन अपने ही हाथों से मारकर।

यह सिर्फ एक खबर नहीं, एक चेतावनी है – कि समय रहते रिश्तों को सहेजिए, वरना एक दिन उनका अंत अखबार की हेडलाइन बन सकता है।

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Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।