Jamshedpur Dispute Attack: टहलने निकले बुजुर्ग पर जानलेवा हमला, गर्दन-कमर और सिर पर चाकू से वार
जमशेदपुर के दाईगुट्टू में एक बुजुर्ग पर चाकू से जानलेवा हमला, टहलते समय हुआ झगड़ा, गंभीर हालत में रांची रिम्स रेफर, पुलिस कर रही जांच।

झारखंड के औद्योगिक शहर जमशेदपुर में सोमवार की रात एक ऐसा सनसनीखेज मामला सामने आया जिसने इलाके में सनसनी फैला दी है। टहलना, जो आमतौर पर सेहत के लिए जरूरी माना जाता है, एक बुजुर्ग के लिए जानलेवा साबित हुआ।
घटना जमशेदपुर के मानगो थाना क्षेत्र अंतर्गत दाईगुट्टू रोड नंबर 5 की है, जहां 60 वर्षीय मदन प्रसाद साहू रोज की तरह अपने पालतू कुत्ते को लेकर टहल रहे थे। लेकिन यह रात उनके लिए सामान्य नहीं थी—यह रात उनके जीवन की सबसे डरावनी रातों में से एक बन गई।
कुत्ते की सैर बनी हमले की वजह?
सूत्रों के अनुसार, रात लगभग 10 बजे के करीब मदन साहू का नंदु और डब्बू नामक दो युवकों से किसी बात को लेकर विवाद हो गया। विवाद की वजह अब तक स्पष्ट नहीं हो सकी है, लेकिन चश्मदीदों का कहना है कि यह बहस मामूली सी बात से शुरू हुई थी, जो देखते ही देखते जानलेवा झगड़े में तब्दील हो गई।
नंदु और डब्बू दोनों ने मिलकर मदन साहू पर चाकू से ताबड़तोड़ हमला कर दिया। गर्दन, पीठ और सिर पर वार इतने गंभीर थे कि मदन वहीं जमीन पर लहूलुहान होकर गिर पड़े।
परिवार की तत्परता, अस्पताल की लड़ाई
परिवार को जैसे ही जानकारी मिली, वे आनन-फानन में उन्हें एमजीएम अस्पताल लेकर पहुंचे। डॉक्टरों ने प्राथमिक इलाज के बाद उनकी हालत को देखते हुए उन्हें रांची के रिम्स अस्पताल रेफर कर दिया, जहां वे अब भी जिंदगी और मौत के बीच झूल रहे हैं।
मदन के बेटे ने बताया, “पापा पहले सिविल डिपार्टमेंट में काम करते थे, अब वे रिटायर्ड हैं और ज़्यादातर समय घर पर ही रहते हैं। जो लोग हमला किए हैं, वे भी इसी मोहल्ले के रहने वाले हैं। हमने तुरंत पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई है।”
क्या कहती है पुलिस?
मानगो थाना पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है। एफआईआर दर्ज हो चुकी है और आरोपियों की तलाश की जा रही है। पुलिस ने दावा किया है कि जल्द ही हमलावरों को गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
हालांकि इस वारदात ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या अब रात में टहलना भी खतरे से खाली नहीं? क्या मोहल्ले में आपसी रंजिश इस हद तक पहुंच चुकी है कि लोग चाकू लेकर घूम रहे हैं?
दाईगुट्टू—एक बदनाम नाम?
दाईगुट्टू का नाम पहले भी कई आपराधिक घटनाओं से जुड़ चुका है। स्थानीय लोगों का कहना है कि इस क्षेत्र में लंबे समय से आपसी रंजिश और गुटबाज़ी की घटनाएं सामने आती रही हैं। हालांकि पुलिस की तैनाती और गश्त के बावजूद अपराध कम होने का नाम नहीं ले रहे।
यह घटना एक बार फिर इस बात की ओर इशारा करती है कि शहर के भीतर कई ऐसे क्षेत्र हैं जहां कानून व्यवस्था को मजबूत करने की सख्त ज़रूरत है।
बुजुर्गों की सुरक्षा पर सवाल
इस तरह की घटनाएं बुजुर्गों की सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंता खड़ी करती हैं। ऐसे में स्थानीय प्रशासन को न सिर्फ अपराधियों पर सख्ती करनी होगी बल्कि मोहल्लों में सुरक्षा बढ़ाने के लिए तकनीकी उपाय भी अपनाने होंगे—जैसे CCTV कैमरे, गश्ती दल की संख्या में बढ़ोतरी और मोहल्ला निगरानी समितियों की सक्रियता।
मदन प्रसाद साहू की यह घटना एक चेतावनी है कि छोटी-छोटी बातें कब बड़े विवादों का रूप ले लेती हैं, इसका अंदाज़ा लगाना मुश्किल है। अब सवाल यह है कि क्या आरोपी जल्द पकड़े जाएंगे और क्या दाईगुट्टू जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में शांति वापस आएगी? जवाब समय देगा, लेकिन फिलहाल ज़रूरत है जागरूकता और सतर्कता की।
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