Jharkhand Politics Attack: रघुवर दास ने मांगा मंत्री हफीजुल हसन का इस्तीफा, कांग्रेस और JMM पर बोला तीखा हमला

झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने हफीजुल हसन के शरीयत वाले बयान को लेकर कांग्रेस और झामुमो पर साधा निशाना, इस्तीफे की मांग कर उठाए गंभीर सवाल।

Apr 15, 2025 - 14:01
Apr 15, 2025 - 14:08
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Jharkhand Politics Attack: रघुवर दास ने मांगा मंत्री हफीजुल हसन का इस्तीफा, कांग्रेस और JMM पर बोला तीखा हमला
Jharkhand Politics Attack: रघुवर दास ने मांगा मंत्री हफीजुल हसन का इस्तीफा, कांग्रेस और JMM पर बोला तीखा हमला

झारखंड की राजनीति एक बार फिर उबाल पर है। इस बार केंद्र में हैं राज्य के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री हफीजुल हसन और उनका वह बयान जिसमें उन्होंने शरीयत को संविधान से ऊपर बताया। झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने इस बयान पर तीखा हमला बोलते हुए इसे न सिर्फ भारतीय संविधान का अपमान बताया, बल्कि बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के विचारों की भी अवहेलना करार दिया।

पूर्व मुख्यमंत्री यहीं नहीं रुके, उन्होंने सीधा कांग्रेस नेता राहुल गांधी को आड़े हाथों लिया। उन्होंने सवाल उठाया कि जो राहुल गांधी हर बार संविधान की दुहाई देकर देश को ‘डराओ’ राजनीति में उलझाते हैं, वह अब चुप क्यों हैं? हफीजुल हसन के बयान के बाद भी कांग्रेस की चुप्पी और समर्थन यह दर्शाता है कि “कांग्रेस का चाल, चरित्र और चेहरा” असल में कैसा है।

क्या कहा था हफीजुल हसन ने?

हफीजुल हसन ने हाल ही में एक सार्वजनिक मंच से कहा कि "शरीयत हमारे लिए संविधान से ऊपर है।" यह बयान सामने आते ही राजनीतिक हलकों में भूचाल आ गया। बीजेपी ने इसे सीधा भारतीय संविधान और उसकी सर्वोच्चता पर हमला करार दिया।

अतीत में भी उठा है ऐसा विवाद

भारतीय राजनीति में शरीयत बनाम संविधान का मुद्दा कोई नया नहीं है। 1985 के शाहबानो केस से लेकर तीन तलाक कानून तक इस विषय पर समय-समय पर राजनीति गर्म होती रही है। लेकिन जब सत्ता में बैठे मंत्री ही इस तरह का बयान दें, तो सवाल और भी गंभीर हो जाते हैं।

पश्चिम बंगाल की घटना से जोड़ा मुद्दा

रघुवर दास ने झारखंड तक सीमित न रहकर पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में हुई दर्दनाक घटना को भी जोड़ा। उन्होंने कहा कि देश के जिन राज्यों में छत्रपों का शासन है—जैसे पश्चिम बंगाल—वहां मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति चरम पर है।

उन्होंने कहा, "आज देश के मूलवासी, खासकर सीमावर्ती क्षेत्रों में, पलायन को मजबूर हो रहे हैं। यह हमारे लिए चेतावनी है। भारत सरकार को इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए।"

वक्फ संशोधन बिल 2025 पर हमला

वक्फ संशोधन बिल 2025 को लेकर भी रघुवर दास ने झारखंड सरकार को घेरा। उन्होंने कहा कि सरकार ने इस बिल का विरोध कर यह साबित कर दिया है कि वह भी मुस्लिम तुष्टिकरण की राह पर चल रही है।

उन्होंने स्पष्ट किया कि वक्फ और वक्फ बोर्ड दो अलग-अलग संस्थाएं हैं। वक्फ एक धार्मिक संस्था है, जबकि वक्फ बोर्ड एक प्रशासनिक इकाई जो भ्रष्टाचार से ग्रस्त है।

आदिवासियों की जमीन पर कब्जे का आरोप

सबसे गंभीर आरोप उन्होंने यह लगाया कि झारखंड में वक्फ बोर्ड ने 2000 एकड़ से भी अधिक जमीन पर अवैध कब्जा कर लिया है, जिसमें अधिकांश जमीनें सीएनटी और एसपीटी एक्ट के अंतर्गत आती हैं—यानी वे आदिवासियों की संरक्षित भूमि हैं।

उन्होंने यह भी जोड़ा कि यदि सरकार वाकई पारदर्शिता में विश्वास रखती है, तो उसे उन सभी जमीनों की जांच कर रिपोर्ट सार्वजनिक करनी चाहिए जिन पर वक्फ बोर्ड ने दावा किया है।

कांग्रेस और झामुमो पर तीखा प्रहार

रघुवर दास ने कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा दोनों को घेरते हुए कहा कि यदि वे इस बयान के बाद भी मंत्री हफीजुल हसन को बर्खास्त नहीं करते, तो यह साफ संदेश जाता है कि इन पार्टियों के लिए संविधान की गरिमा से अधिक वोट बैंक की राजनीति अहम है।

झारखंड की राजनीति इस वक्त न केवल संवैधानिक मूल्यों की कसौटी पर खड़ी है, बल्कि आदिवासी अधिकारों, धार्मिक राजनीति और राजनीतिक नैतिकता जैसे अहम मुद्दों पर भी सवालों के घेरे में है।

क्या कांग्रेस और झामुमो इस बयान पर कोई कार्रवाई करेंगे? क्या हफीजुल हसन को बर्खास्त किया जाएगा? और क्या झारखंड सरकार वक्फ जमीनों की जांच कर पारदर्शिता की मिसाल कायम करेगी?

जनता को इन सवालों के जवाब का इंतज़ार है—और शायद आने वाले चुनाव में जवाब भी मिल जाएगा।

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Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।