Ranchi Fraud: नौकरी के नाम पर बड़ा खेल! फर्जी वेबसाइट से लूट का जाल
रांची में फर्जी वेबसाइट के जरिए स्वास्थ्य विभाग में नौकरी दिलाने का झांसा देकर युवाओं से ठगी की जा रही है। जानिए कैसे e-aushadhijharkhand.online बना ठगी का जाल।

इस बार शिकार बने हैं वे युवा जो स्वास्थ्य विभाग में नौकरी पाने की उम्मीद पाले बैठे थे। "झारखंड ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन समिति" के नाम पर एक फर्जी वेबसाइट तैयार की गई है, जिसमें Project Manager सहित कई पदों पर भर्ती का दावा किया गया है। लेकिन सच्चाई ये है कि यह पूरा मामला एक सुनियोजित ठगी का हिस्सा है।
कैसे फैला ये फर्जीवाड़ा?
सोशल मीडिया और ऑनलाइन पोर्टल्स के ज़रिए युवाओं तक पहुंच रही एक वेबसाइट — e-aushadhijharkhand.online — ने स्वास्थ्य विभाग की फर्जी भर्ती का विज्ञापन जारी किया है। इसमें प्रोजेक्ट मैनेजर, डाटा एंट्री ऑपरेटर और अन्य पदों के लिए आवेदन मांगे जा रहे हैं। लेकिन जब इस बात की भनक राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, झारखंड के अभियान निदेशक अबु इमरान को लगी, तो उन्होंने तुरंत इसे फर्जी करार दे दिया।
उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन या इसकी किसी इकाई की ओर से ऐसी कोई भर्ती नहीं की जा रही है। यदि कोई वैध भर्ती होती है, तो वह सूचना एवं जनसंपर्क विभाग (IPRD) के जरिए ही प्रकाशित होती है और https://jrhms.jharkhand.gov.in/ पर डाली जाती है।
"e-aushadhijharkhand.online" कैसे बन रहा है ठगी का अड्डा?
इस वेबसाइट पर न सिर्फ फर्जी भर्तियों की जानकारी दी जा रही है, बल्कि आवेदन के नाम पर युवाओं से शुल्क भी वसूला जा रहा है। सबसे चिंताजनक बात ये है कि ये वेबसाइट बिलकुल असली की तरह दिखती है, जिससे कई लोग भ्रमित हो रहे हैं।
आयुष निदेशालय की निदेशक सीमा उदयपुरी ने भी इस वेबसाइट को फर्जी बताते हुए युवाओं को चेतावनी दी है कि आयुष विभाग द्वारा ऐसी कोई नियुक्ति नहीं की गई है।
इतिहास से सीखें: झारखंड में फर्जी भर्ती का पुराना खेल
झारखंड में पहले भी कई बार फर्जी भर्तियों के नाम पर युवाओं को निशाना बनाया गया है। चाहे वो शिक्षक भर्ती घोटाला हो या क्लर्क की नियुक्तियों में धांधली — इन सबमें एक पैटर्न देखा गया है: फर्जी वेबसाइट, नकली दस्तावेज़, और असली पैसों की ठगी।
इस बार भी वही पैटर्न दोहराया जा रहा है, लेकिन अब डिजिटल रूप में।
युवाओं को क्या करना चाहिए?
अबु इमरान ने युवाओं से अपील की है कि किसी भी अनधिकृत वेबसाइट से दूरी बनाए रखें और केवल सरकारी वेबसाइटों पर ही भर्ती संबंधित जानकारी देखें। इसके अलावा:
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कभी भी अनजान वेबसाइट पर अपनी व्यक्तिगत जानकारी न दें।
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कोई भी भुगतान करने से पहले विज्ञापन की पुष्टि करें।
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फेसबुक, टेलीग्राम या वॉट्सऐप ग्रुप से फैली जानकारी पर आंख मूंदकर विश्वास न करें।
पुलिस और प्रशासन की कार्रवाई
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के वरिष्ठ अधिकारियों को इस मामले में जांच के निर्देश दिए गए हैं। साइबर सेल की मदद से वेबसाइट की ट्रैकिंग की जा रही है और जल्द ही इसके पीछे छिपे चेहरों को बेनकाब करने की उम्मीद है।
रांची का यह मामला न केवल युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ है, बल्कि सरकार की डिजिटल सुरक्षा व्यवस्था पर भी सवाल खड़ा करता है। ऐसे समय में जब हर नौजवान एक अवसर की तलाश में है, इस तरह की घटनाएं उन्हें न केवल आर्थिक नुकसान पहुंचाती हैं, बल्कि उनका आत्मविश्वास भी तोड़ देती हैं।
सरकार और जनता — दोनों को सतर्क रहना होगा। याद रखिए, हर चमकती चीज़ सोना नहीं होती, और हर नौकरी का ऑफर असली नहीं होता।
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