Chaibasa Revolution: झारखंड में सैकड़ों कार्यकर्ताओं की एंट्री से क्रांतिकारी मोर्चा का ताकतवर उदय
चाईबासा में झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा की बैठक में सैकड़ों नए कार्यकर्ताओं की सदस्यता से राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। जानिए कौन-कौन जुड़े मोर्चा से और किन मुद्दों पर हुई खास चर्चा।

झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा की जिला स्तरीय बैठक और सदस्यता ग्रहण कार्यक्रम ने न केवल पार्टी की ताकत में इजाफा किया, बल्कि इलाके की राजनीतिक दिशा भी बदलने के संकेत दे दिए हैं। चाईबासा सर्किट हाउस में आयोजित इस कार्यक्रम की अध्यक्षता मोर्चा के जिला संगठन सचिव दुर्योधन महतो ने की। बैठक में पार्टी के केंद्रीय पदाधिकारी, सभी प्रखंडों के प्रतिनिधि और सैकड़ों नए कार्यकर्ता शामिल हुए।
क्यों है ये बैठक खास?
झारखंड की राजनीति में एक समय था जब क्षेत्रीय दलों की भूमिका सीमित मानी जाती थी। लेकिन बीते कुछ वर्षों में आदिवासी, किसान, मजदूर आधारित आंदोलनों ने एक बार फिर लोगों का ध्यान खींचा है। यही कारण है कि झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा तेजी से ज़मीनी स्तर पर अपना प्रभाव बढ़ा रहा है।
इस बैठक में जो बात सबसे खास रही, वो थी सैकड़ों नए कार्यकर्ताओं की सदस्यता ग्रहण। खासकर सरायकेला-खरसावां, मंझगांव, मंझारी, तांतनगर, खूंटपानी, और चक्रधरपुर जैसे क्षेत्रों से प्रभावशाली नेता पार्टी से जुड़े।
कौन-कौन शामिल हुआ मोर्चा में?
इस लिस्ट में कई चर्चित नाम शामिल हैं:
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हीरालाल हेंब्रम – झारखंड जेनरल कामगार यूनियन एवं आदिवासी किसान मजदूर पार्टी के सरायकेला जिलाध्यक्ष
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राम सिंह तियू – सरायकेला जिला उपाध्यक्ष
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महानायक सुंडी, शंकर दिग्गी, जगबंधु हेंब्रम, विशाल पुर्ती, अनिल चातर, जगदीश बिरुआ, डालसेन पुर्ती, और
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संजय देवगम – चाईबासा के निर्दलीय पूर्व प्रत्याशी
साथ ही, कई युवा कार्यकर्ता जैसे रोशन बांकिरा, मिथिलेश हेंब्रम, रमेश गोडसोरा, कार्तिक तांती, और सूरज गुंदुवा जैसे नाम भी संगठन से जुड़े।
फूलमालाओं से हुआ स्वागत, पर मुद्दों पर भी रही गहराई
सदस्यता कार्यक्रम के दौरान नए कार्यकर्ताओं का स्वागत जिला अध्यक्ष करण महतो, केंद्रीय उपाध्यक्ष प्रेम मांडी, युवा मोर्चा के अध्यक्ष अजय महतो और अन्य वरिष्ठ नेताओं द्वारा किया गया। मगर यह कार्यक्रम सिर्फ स्वागत-सम्मान तक सीमित नहीं रहा।
बैठक में जिले से जुड़े गंभीर मुद्दों पर भी चर्चा हुई।
आल्हाद महतो की मौत और प्रेम महतो की हत्या बनी चर्चा का विषय
बैठक में सबसे ज्यादा चिंता का विषय बना आल्हाद महतो का मामला, जो मनोहरपुर के तरतरा गांव से थे और ईरान में एक हादसे का शिकार हो गए थे। उनकी मृत्यु को 17 दिन बीत चुके हैं, लेकिन अब तक उनका शव भारत नहीं लाया जा सका है। यह मामला राज्य और केंद्र सरकार की संवेदनशीलता पर सवाल खड़ा करता है।
वहीं, बोकारो में प्रेम महतो की हत्या को लेकर भी न्याय की मांग उठाई गई। बैठक में इन दोनों की आत्मा की शांति के लिए दो मिनट का मौन रखा गया।
ऐतिहासिक संदर्भ में देखिए मोर्चा का यह विस्तार
झारखंड आंदोलन के दौर से ही आदिवासी, किसान और मजदूरों के अधिकारों को लेकर कई क्षेत्रीय संगठनों ने अपनी पहचान बनाई है। झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा उसी परंपरा की अगली कड़ी है। पहले यह संगठन सीमित क्षेत्रों में सक्रिय था, लेकिन अब यह राजनीतिक विकल्प के रूप में तेजी से उभर रहा है।
चाईबासा की यह बैठक न केवल सदस्यता के लिहाज से सफल रही, बल्कि यह संकेत भी दे गई कि आने वाले समय में झारखंड की राजनीति में यह मोर्चा महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
चाईबासा से शुरू हुआ यह सियासी आंदोलन अब पूरे झारखंड में फैलने को तैयार है। सैकड़ों कार्यकर्ताओं की एंट्री, गंभीर मुद्दों पर विचार और जनता से जुड़ने की पहल इस मोर्चा को नई ऊंचाइयों तक ले जा सकती है। अब देखना यह है कि आने वाले विधानसभा चुनावों में यह मोर्चा सिर्फ चर्चा का हिस्सा रहेगा या चुनौती बनकर उभरेगा।
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