Ranchi Crime: शादी का झांसा देकर नाबालिग से दुष्कर्म, आरोपी को 20 साल की सजा
रांची के हिंदपीढ़ी क्षेत्र में नाबालिग से दुष्कर्म मामले में अदालत ने आरोपी को 20 साल की सजा सुनाई। जानें कैसे शादी का झांसा देकर अंजाम दिया अपराध।
रांची, झारखंड: पोक्सो अदालत ने नाबालिग से दुष्कर्म मामले में कड़ा फैसला सुनाते हुए हिंदपीढ़ी थाना क्षेत्र निवासी मो. अली उर्फ नूर अली को 20 साल की कैद की सजा सुनाई है। साथ ही, अदालत ने आरोपी पर 15,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया है। यह फैसला विशेष न्यायाधीश आसिफ इकबाल की अदालत ने सुनाया।
कैसे हुआ था अपराध?
इस चौंकाने वाली घटना की शुरुआत 8 जून 2022 को हुई थी, जब पीड़िता के परिजनों ने हिंदपीढ़ी थाना में मामला दर्ज कराया।
- आरोपी ने शादी का झांसा देकर नाबालिग को बहल-फुसलाकर भगाया।
- धमकी और भय का सहारा लेते हुए उसके साथ शारीरिक संबंध स्थापित किए।
- आरोपी ने घटना के बारे में किसी को न बताने की धमकी दी।
यह मामला तब और गंभीर हो गया जब पीड़िता के माता-पिता और परिवार के सदस्यों के साथ आरोपी के रिश्तेदारों ने मारपीट की।
गिरफ्तारी और सजा का सफर
इस घटना के बाद पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए आरोपी को 11 जून 2022 को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था।
- अदालत ने सभी गवाहों और सबूतों की सुनवाई के बाद 29 नवंबर 2023 को आरोपी को दोषी करार दिया।
- 30 नवंबर 2023 को सजा सुनाई गई।
पोक्सो कानून: न्याय की नींव
भारत में पोक्सो (Protection of Children from Sexual Offences) कानून 2012 में लागू किया गया था।
- यह कानून बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों को रोकने के लिए बना है।
- झारखंड जैसे राज्यों में इस कानून के तहत सख्त सजा के प्रावधान ने अपराधियों के खिलाफ कड़ा संदेश दिया है।
इस मामले में अदालत ने कानून के तहत अधिकतम सजा सुनिश्चित की, जो अपराधियों के लिए एक चेतावनी है।
आरोपियों के परिवार पर भी गंभीर आरोप
मामले को और जटिल बनाने वाले तथ्य यह हैं कि:
- आरोपी की मां, बहन, भाभी और भाई ने मिलकर पीड़िता के परिवार को डराने की कोशिश की।
- पीड़िता के माता-पिता और बहनों पर शारीरिक हमला भी किया गया।
- यह दर्शाता है कि अपराध को छिपाने के लिए पूरा परिवार सक्रिय था।
रांची में ऐसे मामले बढ़ते क्यों हैं?
रांची जैसे शहरी इलाकों में इस तरह की घटनाएं चिंताजनक हैं।
- शादी का झांसा: गरीब और कम उम्र की लड़कियों को अक्सर झूठे वादों से फंसाया जाता है।
- पुलिस की तत्परता: हिंदपीढ़ी थाना की त्वरित कार्रवाई इस मामले में सराहनीय रही।
- कानूनी जागरूकता: लोगों को पोक्सो कानून और महिलाओं के अधिकारों के प्रति जागरूक होना चाहिए।
क्या कहता है समाज?
इस फैसले से समाज में यह संदेश गया है कि:
- न्याय व्यवस्था दोषियों को बख्शेगी नहीं।
- पोक्सो कानून पीड़ितों को न्याय दिलाने में सक्षम है।
लेकिन सवाल यह भी उठता है कि ऐसे अपराध क्यों हो रहे हैं? क्या केवल कानून कड़े करने से यह समस्या हल होगी, या हमें समाज की सोच बदलने पर काम करना होगा?
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