UPI Payment Issue: लगातार तीसरी बार ठप हुई UPI सेवा, फोनपे-गूगल पे-पेटीएम पर मचा हाहाकार, क्या आपके पैसे हैं खतरे में?
भारत में UPI सेवा एक बार फिर ठप हो गई है, जिससे डिजिटल भुगतान करने वाले करोड़ों लोग प्रभावित हुए। फोनपे, गूगल पे और पेटीएम यूज़र्स को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। जानें क्यों बार-बार बिगड़ रही है देश की सबसे भरोसेमंद पेमेंट सिस्टम?

नई दिल्ली: भारत की सबसे भरोसेमंद और सबसे ज्यादा इस्तेमाल की जाने वाली डिजिटल भुगतान सेवा UPI (यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस) एक बार फिर लड़खड़ा गई है। शनिवार को दोपहर 11:30 बजे से देशभर के करोड़ों यूज़र्स ने अचानक लेन-देन में गड़बड़ी की शिकायतें दर्ज कराईं। और यह पहली बार नहीं हुआ—पिछले 15 दिनों में यह तीसरी बार है जब UPI सेवा पूरे देश में ठप पड़ी है।
फोनपे, गूगल पे, पेटीएम जैसे प्लेटफॉर्म्स पर भुगतान करने की कोशिश कर रहे उपभोक्ता और व्यापारी दोनों ही चौंक गए जब ट्रांजैक्शन बार-बार फेल होने लगे। न कोई पैसे भेज पाया, न ही कोई पेमेंट रिसीव कर पाया।
NPCI ने दी सफाई, लेकिन सवाल अब भी बाकी
नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI), जो पूरे UPI नेटवर्क को संचालित करता है, ने इस बार फिर तकनीकी गड़बड़ी की बात मानी है। उनके आधिकारिक बयान में कहा गया—
"कुछ तकनीकी समस्याओं के कारण UPI ट्रांजैक्शन आंशिक रूप से असफल हो रहे हैं। हम समस्या के समाधान के लिए प्रयास कर रहे हैं और जल्द सामान्य सेवा बहाल करेंगे। हम हुई असुविधा के लिए खेद प्रकट करते हैं।"
लेकिन सवाल यह है कि भारत जैसे डिजिटल रूप से आगे बढ़ते देश में, जहां सरकार कैशलेस इंडिया का सपना बेच रही है, वहां इतनी बार इतनी बड़ी विफलता क्या चिंता की बात नहीं?
क्या आपके पैसे हैं सुरक्षित?
जब ट्रांजैक्शन फेल होते हैं लेकिन पैसे अकाउंट से कट जाते हैं, तो सबसे पहला डर यही होता है—क्या मेरा पैसा वापस आएगा? विशेषज्ञों के मुताबिक, अगर ट्रांजैक्शन फेल होता है और पैसा डेबिट हो चुका है, तो अधिकतर मामलों में वह पैसा 3-5 दिनों में अपने आप वापस आ जाता है। लेकिन बार-बार की यह गड़बड़ी ग्राहकों की भरोसे की नींव को हिला रही है।
15 दिन में तीसरी बार ठप, अब जनता क्यों न हो नाराज़?
यह कोई एक दिन की गड़बड़ी नहीं है।
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26 मार्च 2025 को पहली बार बड़ी संख्या में UPI ट्रांजैक्शन फेल हुए थे।
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इसके बाद 2 अप्रैल 2025 को फिर यही समस्या सामने आई।
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और अब 5 अप्रैल, यानी आज, फिर से तीन घंटे तक सेवा पूरी तरह ठप रही।
अब सवाल उठता है कि आखिर यह तकनीकी गड़बड़ी है या सिस्टम पर लोड इतना बढ़ चुका है कि UPI की क्षमता ही जवाब दे रही है?
UPI की शुरुआत और आज की स्थिति
UPI को 2016 में लॉन्च किया गया था और इसने भारत में डिजिटल पेमेंट की दुनिया में क्रांति ला दी। आज, हर दिन लगभग 30 करोड़ से ज्यादा ट्रांजैक्शन UPI के जरिए होते हैं। इसमें ₹10 लाख करोड़ से ज्यादा का लेन-देन प्रतिदिन होता है।
यह स्केल देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि जब यह सेवा ठप होती है, तो देश की आर्थिक धड़कन तक रुक जाती है।
सरकार और NPCI के लिए चेतावनी की घंटी
डिजिटल इंडिया के इस युग में, जहां सड़क किनारे चाय वाला भी UPI स्कैनर से पेमेंट ले रहा है, वहां इतनी बार सेवा का ठप होना सीधे सरकार की डिजिटल विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा करता है। अगर समय रहते इन समस्याओं का समाधान नहीं हुआ, तो देश के लोग फिर से कैश की तरफ लौट सकते हैं, और सरकार की वर्षों की मेहनत पानी में चली जाएगी।
UPI सेवा का बार-बार ठप होना सिर्फ तकनीकी समस्या नहीं, यह एक सिस्टम फेलियर का संकेत है। अब समय आ गया है कि सरकार और NPCI पारदर्शिता और जवाबदेही के साथ सामने आएं और जनता को भरोसा दिलाएं कि उनके पैसे और ट्रांजैक्शन सुरक्षित हैं।
वरना अगली बार जब आप किसी दुकान पर स्कैन करने जाएं, तो दुकानदार कहेगा—
“भाई साहब, UPI डाउन है, कैश दीजिए।”
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