Jamshedpur Tragic Accident: चलती स्कूटी को 2 KM तक घसीटती गई बस, महिला-पुरुष की मौत!
जमशेदपुर में बड़ाबाकी के पास एक दर्दनाक सड़क हादसे में स्कूटी सवार महिला और पुरुष की मौत हो गई। बस ने स्कूटी को 2 किलोमीटर तक घसीटा, मौके से फरार हुआ ड्राइवर। पढ़ें पूरी कहानी।

जमशेदपुर से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जिसने पूरे शहर को झकझोर कर रख दिया है। एमजीएम थाना क्षेत्र के अंतर्गत बड़ाबाकी के पास गुरुवार सुबह एक भयानक सड़क हादसा हुआ, जिसमें स्कूटी पर सवार एक महिला और एक पुरुष की इलाज के दौरान मौत हो गई। लेकिन जो बात इस हादसे को और भी भयावह बनाती है, वह है कि बस ने स्कूटी को लगभग 2 किलोमीटर तक घसीटते हुए ले गई – वो भी बगैर रुके।
सुबह 8 बजे की वह खौफनाक घड़ी
घटना सुबह करीब 8:00 बजे की है, जब राजेश सुरेन (43) और अंजना महतो (34) स्कूटी पर सवार होकर पारडीह से बड़ाबाकी की ओर जा रहे थे। दोनों एक ही कंपनी में काम करते थे और रोज़ की तरह ऑफिस जा रहे थे। तभी पीछे से तेज रफ्तार में आ रही एक यात्री बस ने स्कूटी को जोरदार टक्कर मारी।
टक्कर इतनी भयानक थी कि स्कूटी सहित दोनों लोग सड़क पर गिर पड़े, और स्कूटी को ड्राइवर ने रोके बिना करीब 2 किलोमीटर तक घसीटते हुए आगे ले गया।
स्थानीय लोगों की सतर्कता से पहुंची पुलिस
घटना के बाद स्थानीय लोगों ने तुरंत एमजीएम थाना पुलिस को सूचित किया। पुलिस ने घायलों को तुरंत एमजीएम अस्पताल पहुंचाया, लेकिन डॉक्टरों ने कुछ देर बाद दोनों को मृत घोषित कर दिया।
राजेश सुरेन जमशेदपुर के बिरसानगर जोन नंबर 10 के निवासी थे और आस्था कंपनी में सिविल इंचार्ज के पद पर कार्यरत थे। वहीं, अंजना महतो बहरागोड़ा की रहने वाली थीं और दोनों बड़ाबाकी में एक साथ काम करते थे।
ड्राइवर फरार, बस जब्त
घटना के बाद बस चालक मौके से फरार हो गया। पुलिस ने बस को जब्त कर थाने में खड़ा कर दिया है। यह "पारस" नामक यात्री बस थी जो जमशेदपुर से ओडिशा की ओर जा रही थी। पुलिस ने दोनों शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है और आगे की जांच में जुटी हुई है।
इतिहास से सीख न लेने का खामियाज़ा
झारखंड में सड़क हादसों की संख्या लगातार बढ़ रही है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले पांच वर्षों में जमशेदपुर में सड़क दुर्घटनाओं में मौतों की संख्या दुगनी हो गई है। तेज रफ्तार, लापरवाह ड्राइविंग और खराब सड़क प्रबंधन इसके मुख्य कारण हैं।
लेकिन जब तक कोई वीआईपी इस सड़क पर नहीं चलता, प्रशासन को कोई फर्क नहीं पड़ता। कई बार स्थानीय लोगों ने बस चालकों की लापरवाह ड्राइविंग की शिकायत की, परंतु नतीजा? शून्य कार्रवाई।
क्या ये हादसा टल सकता था?
सवाल यह है कि अगर बस ड्राइवर ने टक्कर के तुरंत बाद ब्रेक लगाया होता, या समय रहते स्कूटी को घसीटते हुए न ले जाता – तो क्या दो जानें बचाई जा सकती थीं? अगर सड़क पर CCTV कैमरे होते, तो शायद ड्राइवर की पहचान भी हो जाती।
यात्रियों की सुरक्षा का जिम्मा सिर्फ सरकार और ट्रांसपोर्ट कंपनियों का नहीं, हम सबकी जिम्मेदारी है। पर दुर्भाग्यवश, जब तक कोई जान न जाए, तब तक इस देश में सुधार की पहल नहीं होती।
स्थानीय लोगों की मांग
घटना के बाद से ही इलाके में गुस्से का माहौल है। स्थानीय लोगों ने प्रशासन से मांग की है कि:
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दुर्घटना वाले स्थान पर स्पीड ब्रेकर बनाया जाए।
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यात्री बसों की स्पीड लिमिट तय की जाए।
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CCTV और ट्रैफिक मॉनिटरिंग सिस्टम लगाया जाए।
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फरार बस चालक की जल्द गिरफ्तारी हो।
दो ज़िंदगियां, कई सवाल
राजेश और अंजना – दोनों आम लोग थे, जो रोज़ की तरह अपने काम पर जा रहे थे। उन्हें नहीं पता था कि यही सुबह उनकी आखिरी होगी। अब उनके पीछे सिर्फ यादें हैं – और प्रशासन की खामोशी।
क्या अगली बार कोई कार्रवाई होगी या फिर एक और स्कूटी, एक और बस और दो और शव...?
हमारी सड़कों पर जान की कीमत इतनी कम क्यों है?
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