Jamshedpur Sports Festival: बच्चों का रोमांचक खेल महोत्सव, दौड़ से लेकर बोरा रेस तक मुकाबला!
जमशेदपुर के उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय चुनाभठा में खेल महोत्सव का आयोजन, बच्चों ने दौड़, बोरा रेस, चम्मच रेस में लिया भाग। विजेताओं को ट्रॉफी और पुरस्कार।

जमशेदपुर: झारखंड के जमशेदपुर स्थित उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय चुनाभठा, बर्मामाइंस में बच्चों के लिए खास खेल महोत्सव का आयोजन किया गया। इस एक दिवसीय आयोजन में कक्षा 1 से 5 तक के विद्यार्थियों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और अपनी खेल प्रतिभा का प्रदर्शन किया। खेलों में बच्चों की उत्सुकता देखने लायक थी, जहां 30 मीटर दौड़ से लेकर बोरा रेस, रस्सी कूद, चम्मच रेस और बिस्कुट रेस जैसी प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया।
खेलों से बच्चों में दिखी नई ऊर्जा
खेल महोत्सव के दौरान बच्चों में जबरदस्त जोश देखने को मिला। प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिए बच्चे सुबह से ही उत्साहित थे। जैसे ही दौड़ शुरू हुई, मैदान में तालियों और उत्साहजनक नारों की गूंज सुनाई देने लगी। बच्चों के अभिभावक भी वहां मौजूद थे, जो अपने बच्चों का हौसला बढ़ा रहे थे।
विजेताओं को ट्रॉफी और पुरस्कार
हर खेल में अव्वल रहने वाले बच्चों को ट्रॉफी और उपहार देकर सम्मानित किया गया। विद्यालय प्रशासन ने इस आयोजन को खास बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। स्कूल के प्रधानाध्यापक श्रीलाल सिंह ने कहा कि खेल सिर्फ मनोरंजन का साधन नहीं, बल्कि बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए भी बेहद जरूरी हैं। उन्होंने कहा, "खेल से बच्चों में टीम वर्क, अनुशासन और आत्मविश्वास बढ़ता है, जिससे वे भविष्य में किसी भी चुनौती का सामना करने में सक्षम होते हैं।"
खेलों से बच्चों का जुड़ाव और इतिहास
भारत में खेलों का इतिहास काफी पुराना है। प्राचीन काल में बच्चे मिट्टी के मैदानों में दौड़-भाग और कसरत से अपने शरीर को मजबूत बनाते थे। समय के साथ खेलों के प्रति रुचि और बढ़ी, जिससे स्कूलों में भी खेल गतिविधियों को शामिल किया जाने लगा। आजकल कई बड़े खिलाड़ी स्कूल स्तर पर ही अपनी प्रतिभा दिखाकर आगे बढ़ते हैं। इस तरह के आयोजन बच्चों के लिए पहला कदम साबित हो सकते हैं, जिससे वे भविष्य में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुंच सकें।
खेल महोत्सव में कौन-कौन रहा मौजूद?
इस आयोजन में कई शिक्षक और स्थानीय लोग शामिल हुए। मौके पर शिक्षिका रीता कुमारी, लखी दास, कार्तिक दास, वर्मा कंसारी, मनोहर, मनोज और करनदीप सिंह उपस्थित थे। उन्होंने भी बच्चों को प्रोत्साहित किया और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की।
अभिभावकों ने की सराहना
इस खेल महोत्सव को लेकर अभिभावकों ने भी अपनी खुशी जाहिर की। उन्होंने कहा कि इस तरह के आयोजनों से बच्चों में खेलों के प्रति रुचि बढ़ती है और वे मोबाइल, टीवी जैसी डिजिटल चीजों से दूर रहकर शारीरिक गतिविधियों में भाग लेते हैं।
खेलों से शिक्षा का तालमेल
विशेषज्ञों के अनुसार, खेलों का शिक्षा से सीधा संबंध है। नियमित खेल गतिविधियां करने वाले बच्चे पढ़ाई में भी अच्छा प्रदर्शन करते हैं। वैज्ञानिक शोध भी बताते हैं कि खेल से दिमाग तेज होता है और याददाश्त बेहतर बनती है। यही कारण है कि अब देशभर के स्कूलों में खेलों को पाठ्यक्रम का अहम हिस्सा बनाया जा रहा है।
चुनाभठा विद्यालय में आयोजित यह खेल महोत्सव बच्चों के लिए किसी यादगार पल से कम नहीं था। खेलों से मिलने वाली सीख उनके जीवन में आगे भी काम आएगी। इस तरह के आयोजनों से बच्चों का शारीरिक, मानसिक और सामाजिक विकास होता है। उम्मीद की जा सकती है कि भविष्य में भी ऐसे आयोजन होते रहेंगे, जिससे बच्चे खेलों के प्रति जागरूक रहें और अपनी प्रतिभा निखार सकें।
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