Ranchi Tragic Drowning: 13 साल की आराध्या की तालाब में डूबने से मौत, भाई की आंखों के सामने टूटी सांसें!
रांची के गंगानगर इलाके में 13 वर्षीय बच्ची की तालाब में डूबने से दर्दनाक मौत। भाई की आंखों के सामने डूबी आराध्या, मोहल्ले में पसरा मातम। जानिए कैसे हुई ये हृदयविदारक घटना।

रांची, गंगानगर: झारखंड की राजधानी रांची के हरमू स्थित गंगानगर इलाके में बुधवार सुबह का सूरज एक मासूम बच्ची के जीवन के साथ अस्त हो गया। 13 साल की आराध्या कुमारी की दर्दनाक मौत ने न सिर्फ उसके परिवार को, बल्कि पूरे मोहल्ले को सदमे में डाल दिया है।
आराध्या, दीपक कुमार यादव की बेटी थी, जो पेशे से बस ड्राइवर हैं। जिस वक्त यह हादसा हुआ, दीपक घर पर नहीं थे। लेकिन जब उन्हें फोन पर यह खबर मिली, तो उनकी चीखें दूर तक सुनाई दीं।
कैसे घटी यह दिल दहला देने वाली घटना?
बुधवार सुबह करीब 9 बजे आराध्या अपने छोटे भाई के साथ पास के एक तालाब में नहाने गई थी। यह कोई पहली बार नहीं था—गर्मी के इस मौसम में मोहल्ले के कई बच्चे रोज़ाना वहां जाया करते हैं। मगर उस दिन कुछ अलग था।
नहाने के दौरान आराध्या अनजाने में गहरे पानी की ओर चली गई। वह तैरना नहीं जानती थी। जब पानी ने उसकी पकड़ मजबूत की, तो वह छटपटाने लगी। छोटे भाई ने बहन को डूबता देखा, तो घबरा कर तुरंत घर की ओर दौड़ा।
घर पहुंचकर उसने हांफते हुए मां को बताया—"दीदी पानी में डूब रही है!"
एक-एक पल बना मौत की उल्टी गिनती
परिजन और मोहल्ले के लोग दौड़ते हुए तालाब पहुंचे। वहां की चुप्पी एक अनहोनी की तरफ इशारा कर रही थी। कुछ युवकों ने तुरंत तालाब में छलांग लगाई और आराध्या को बाहर निकाला गया। उसे नज़दीकी अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने सिर्फ इतना कहा—"हम अफसोस करते हैं, बहुत देर हो चुकी है।"
पुलिस ने किया पोस्टमार्टम, मोहल्ले में पसरा मातम
सूचना मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची और शव को पोस्टमार्टम के लिए रिम्स भेजा। वहां से सभी औपचारिकताएं पूरी कर शव परिजनों को सौंप दिया गया।
मोहल्ले में सन्नाटा छा गया है। आराध्या, जो कल तक अपनी चुलबुली मुस्कान और स्कूल की कहानियों से सबका दिल जीतती थी, अब एक तस्वीर बनकर दीवार पर रह गई है।
क्या यह हादसा टाला जा सकता था?
यह सवाल अब हर किसी के मन में गूंज रहा है। गंगानगर का यह तालाब पहले भी कई बार जानलेवा साबित हो चुका है, लेकिन प्रशासन की ओर से कोई चेतावनी बोर्ड, सुरक्षा व्यवस्था या गार्ड की तैनाती नहीं की गई है।
स्थानीय लोगों की मानें, तो इस क्षेत्र में कोई भी निगरानी व्यवस्था नहीं है, जिससे नाबालिग बच्चों को वहां जाने से रोका जा सके।
समाज और सिस्टम को चेतावनी
आराध्या की मौत एक हादसा नहीं, बल्कि हमारे सिस्टम की एक और चूक है। तालाब जैसे खतरनाक स्थानों पर सुरक्षा की कमी और बच्चों में जल सुरक्षा की शिक्षा का अभाव बार-बार मासूम जानों की कीमत चुका रहा है।
अंतिम सवाल
क्या अब भी हम जागेंगे?
क्या हर मोहल्ले में लगेगा एक सुरक्षा बोर्ड?
या फिर अगली आराध्या का इंतज़ार करेंगे?
यह हादसा एक चेतावनी है—समाज, प्रशासन और हर उस परिवार के लिए, जिनके बच्चे गर्मियों की छुट्टियों में बेपरवाह होकर निकलते हैं खेलने और नहाने।
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