सोहराय पर्व पर घाटशिला में आयोजित देश बांदना कार्यक्रम, ग्रामीणों ने मनाई आदिवासी परंपराएं
घाटशिला के चेंगजोड़ा में सोहराय पर्व पर देश बांदना कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जहां मवेशियों का खूंटाव कर ग्रामीणों ने पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ पर्व का समापन किया।
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घाटशिला, 3 नवंबर 2024: घाटशिला प्रखंड के चेंगजोड़ा स्थित एवीपी फुटबॉल मैदान, बनटोला में रविवार को सोहराय पर्व के अवसर पर देश बांदना कार्यक्रम का आयोजन हुआ। इस खास मौके पर मवेशियों का खूंटाव किया गया, जिसके साथ तीन दिवसीय सोहराय पर्व का समापन हुआ। सोहराय आदिवासी समुदाय का एक प्रमुख त्योहार है, जो गोवंश के प्रति आदर और श्रद्धा को व्यक्त करता है।
महिलाओं ने की मवेशियों की पूजा
इस कार्यक्रम में जिला परिषद सदस्य देवयानी मुर्मू ने भाग लिया। उन्होंने गांव की महिलाओं के साथ मिलकर मवेशियों की आरती उतारी और उनकी पूजा की। देवयानी मुर्मू ने कहा कि सोहराय पर्व आदिवासी संस्कृति और परंपराओं का प्रतीक है। यह पर्व गोवंश और मानव के बीच आदिकाल से चले आ रहे संबंध को दर्शाता है।
उन्होंने आगे कहा कि इस पर्व में जनजातीय परंपराओं और संस्कृति की झलक देखने को मिलती है। देवयानी मुर्मू ने यह भी बताया कि सोहराय के दौरान गोवंश का महत्व और आदर करने की परंपरा को आज भी हर्षोल्लास के साथ निभाया जाता है।
मवेशियों का खूंटाव और सम्मान समारोह
सोहराय पर्व के अवसर पर, ग्रामीणों ने अपने मवेशियों का खूंटाव किया। समारोह में सबसे अच्छे प्रदर्शन करने वाले बैल के मालिक को भी विशेष रूप से सम्मानित किया गया। इस सम्मान के जरिए ग्रामीणों ने अपने मवेशियों के प्रति आभार और आदर व्यक्त किया। यह परंपरा इस पर्व का अहम हिस्सा है, जो आदिवासी समाज में उत्साह के साथ मनाई जाती है।
ग्रामीणों का उत्साह और उपस्थिति
देश बांदना कार्यक्रम में घाटशिला के कई ग्रामीण शामिल हुए। कार्यक्रम में उपस्थित प्रमुख व्यक्तियों में मुखिया फागू सोरेन, गोपीनाथ मुर्मू, रामकिशोर मुर्मू, शंखों मुर्मू, सुदाम मुर्मू, मंगल मुर्मू, फागू मुर्मू, लखन मुर्मू, ईश्वर हांसदा, रामसाय सोरेन, सोनाराम हांसदा, जितराय सोरेन, दुलाल मुर्मू, श्याम मुर्मू, साधु मुर्मू, जुझार सोरेन, भादो माण्डी, और दुर्गा प्रसाद दंडपात शामिल थे।
इस पर्व के माध्यम से घाटशिला के ग्रामीणों ने अपनी परंपरा और संस्कृति के प्रति सम्मान व्यक्त किया। सोहराय पर्व और इस तरह के आयोजनों से आदिवासी समाज की संस्कृति को संरक्षित और सजीव रखने में मदद मिलती है।
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