Adityapur Suicide: माझी टोला में प्रेम में टूटा अनिल, फांसी का फंदा बन गया अंतिम साथी
सरायकेला-खरसावां के आदित्यपुर में 30 वर्षीय अनिल सरदार ने प्रेम प्रसंग के चलते आत्महत्या कर ली। परिजनों ने दरवाजा तोड़कर उसे फंदे से लटका पाया। जानिए इस दिल तोड़ देने वाली घटना की पूरी कहानी।

सरायकेला-खरसावां, झारखंड: एक सामान्य दोपहर और एक असामान्य निर्णय—आदित्यपुर थाना क्षेत्र के माझी टोला में बुधवार का दिन एक त्रासदी में बदल गया, जब 30 वर्षीय अनिल सरदार ने अपने घर में फांसी लगाकर जीवन समाप्त कर लिया।
दरवाजा नहीं खुला, तो टूट गया परिवार
बुधवार को अनिल सुबह की शिफ्ट में कंपनी गया था। काम से लौटने के बाद वो सीधा अपने कमरे में चला गया। घरवालों ने सोचा शायद थकान होगी, लेकिन जब देर तक कमरे से कोई हलचल नहीं हुई और आवाज देने पर भी जवाब नहीं आया, तब घबराहट शुरू हुई।
परिजन ने उसके दोस्तों को बुलाया। जब दरवाजा तोड़ा गया, तो सामने जो दृश्य था उसने सबके पैरों तले ज़मीन खिसका दी—अनिल छत के हुक से लटक रहा था, जीवन के सारे सवाल उस एक फंदे में उलझे हुए।
एमजीएम अस्पताल पहुंचने तक सब खत्म हो चुका था
परिजन और दोस्त आनन-फानन में उसे एमजीएम अस्पताल लेकर भागे, लेकिन डॉक्टरों ने जांच के बाद उसे मृत घोषित कर दिया। अस्पताल के गलियारों में मां की चीखें और दोस्तों की खामोशी सब कुछ कह रही थी।
प्रेम प्रसंग या अकेलापन?
प्राप्त जानकारी के अनुसार, आत्महत्या का कारण प्रेम प्रसंग बताया जा रहा है। कहा जा रहा है कि अनिल हाल के दिनों में भावनात्मक रूप से टूट चुका था। हालांकि पुलिस ने जांच शुरू कर दी है और सभी पहलुओं की जांच की जा रही है।
इतिहास की परतें – जब दिल के फैसले जानलेवा बन जाते हैं
भारत में प्रेम प्रसंग के कारण आत्महत्या का प्रतिशत लगातार बढ़ रहा है। NCRB (नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो) की रिपोर्ट बताती है कि 2023 में 9000 से अधिक युवाओं ने प्रेम जीवन में विफलता के चलते आत्महत्या की। झारखंड जैसे राज्यों में, जहां मानसिक स्वास्थ्य को लेकर संवाद अभी भी सीमित है, वहां ऐसे मामले और भी अधिक गंभीर हो जाते हैं।
एक मजदूर का अधूरा सपना
अनिल एक कंपनी में मजदूरी करता था। सीमित संसाधनों में जीवन की गाड़ी खींचते हुए उसने शायद खुद से कभी खुलकर बात नहीं की। प्रेम में विश्वास किया, लेकिन जब भरोसे की नींव हिली तो सब कुछ बिखर गया।
पुलिस जांच जारी, लेकिन सवाल बड़ा है
पुलिस मामले की जांच कर रही है। परिजनों के बयान लिए जा रहे हैं। लेकिन असली सवाल यह है कि क्या यह एक अकेली कहानी है? या फिर समाज में बढ़ती मानसिक अस्थिरता का एक और नमूना?
क्या करें हम – समाज की भूमिका
यह घटना न सिर्फ एक व्यक्ति की बल्कि पूरे समाज की असफलता है। क्या हम अपने आस-पास के लोगों की तकलीफें पहचानते हैं? क्या हम बात करने का अवसर देते हैं, या उन्हें अकेलेपन में धकेलते हैं?
फंदा नहीं, संवाद चाहिए
अनिल सरदार की कहानी एक चेतावनी है—संवेदनाओं की अनदेखी न करें। प्रेम में विफलता अंत नहीं है। समाज को चाहिए कि वो मानसिक स्वास्थ्य को लेकर जागरूक हो, और हर व्यक्ति को सुने, समझे और सहारा दे।
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