Bagbera Misbehavior: ट्रैफिक चेकिंग के नाम पर गर्भवती महिला से धक्का-मुक्की, बागबेड़ा में फूटा गुस्सा, सड़क बनी रणभूमि
जमशेदपुर के बागबेड़ा में ट्रैफिक पुलिस पर गर्भवती महिला से बदसलूकी का आरोप लगा। घटना के बाद लोगों ने किया सड़क जाम और पुलिस के खिलाफ जमकर नारेबाजी। जानिए पूरी कहानी।

जमशेदपुर, झारखंड: बुधवार का दिन बागबेड़ा के लोगों के लिए एक सामान्य दिन नहीं रहा। संकटा सिंह पेट्रोल पंप के पास ट्रैफिक चेकिंग के दौरान जो हुआ, उसने पूरे क्षेत्र को झकझोर कर रख दिया। आरोप है कि ट्रैफिक पुलिस ने एक गर्भवती महिला के साथ अभद्रता की, उसे धक्का दिया गया और इस दौरान उसके साथ मौजूद लोग भी परेशान हो गए।
जैसे ही यह खबर इलाके में फैली, सड़क पर भीड़ इकट्ठा हो गई और गुस्साई जनता ने ट्रैफिक पुलिस के खिलाफ मोर्चा खोल दिया।
गर्भवती महिला के साथ धक्का? जनता ने नहीं छोड़ा सवाल
स्थानीय प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, चेकिंग के दौरान महिला को रोका गया और पुलिसकर्मियों का रवैया बेहद रूखा था। जब महिला ने गर्भवती होने की बात बताई, तब भी कथित तौर पर उसे धक्का दिया गया। इस व्यवहार से नाराज़ लोग तुरंत सड़क पर उतर आए और “ट्रैफिक पुलिस होश में आओ” जैसे नारे लगने लगे।
गोलचक्कर पर बना जाम, पूरे शहर की रफ्तार थमी
भीड़ इतनी अधिक थी कि बागबेड़ा गोलचक्कर के पास लंबा ट्रैफिक जाम लग गया। आधे घंटे तक सैकड़ों वाहन फंसे रहे, एम्बुलेंस से लेकर स्कूल वैन तक इस अव्यवस्था की शिकार हो गईं।
इस बीच, सोशल मीडिया पर भी लोगों ने घटना के वीडियो वायरल कर दिए, जिससे मामला और गरमाया।
पुलिस पहुंची मौके पर, फिर मिला आश्वासन
स्थिति नियंत्रण से बाहर जाती देख स्थानीय थाना प्रभारी मौके पर पहुंचे और लोगों को शांत करने की कोशिश की। काफी समझाने-बुझाने के बाद उन्होंने जांच का आश्वासन दिया और यह भरोसा दिलाया कि दोषी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की जाएगी।
तभी जाकर मामला थोड़ा शांत हुआ और लोगों ने सड़क खाली की।
इतिहास गवाह है – चेकिंग के नाम पर रुकती नहीं संवेदनहीनता
यह पहली बार नहीं है जब ट्रैफिक चेकिंग में पुलिस की संवेदनहीनता देखने को मिली हो। देशभर में ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं जहां ट्रैफिक नियमों की आड़ में आम नागरिकों के साथ अमानवीय व्यवहार किया गया। खासकर झारखंड जैसे राज्यों में जहां सड़क नियमों को लागू करना अब "दबाव" का जरिया बन गया है।
2019 में जमशेदपुर में ही एक बुजुर्ग से इसी तरह बदसलूकी का मामला सामने आया था, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था।
सवाल ये नहीं कि जांच होगी, सवाल ये है कि क्या बदलेगा कुछ?
हर बार की तरह पुलिस ने जांच की बात कह दी। लेकिन बागबेड़ा की जनता पूछ रही है—कब तक? कब तक चेकिंग के नाम पर आम लोग असहाय महसूस करते रहेंगे? क्या ट्रैफिक सुधार के नाम पर संवेदना की कुर्बानी दी जाएगी?
स्थानीय लोगों की मांग – सख्त नियम, संवेदनशील पुलिस
लोगों का कहना है कि ट्रैफिक नियम जरूरी हैं, लेकिन उन्हें लागू करने वाले अधिकारियों में संवेदनशीलता होनी चाहिए, खासकर महिलाओं, बुजुर्गों और बच्चों के प्रति।
ट्रैफिक नियमों का पालन ज़रूरी, पर इंसानियत उससे भी ज़्यादा
बागबेड़ा की इस घटना ने एक बार फिर याद दिलाया कि अधिकारों के साथ-साथ कर्तव्य भी जरूरी हैं—पुलिस के लिए भी और जनता के लिए भी। उम्मीद है कि ये मामला सिर्फ जांच के कागज़ों में दब कर न रह जाए, बल्कि एक नई सोच और संवेदनशीलता की शुरुआत बने।
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