Ghaghidih Raid Action: जेल में देर रात की छापेमारी से मचा हड़कंप, अंदर चल रही थी ये गुप्त गतिविधि?

घाघीडीह केंद्रीय कारा में जिला प्रशासन की देर रात छापेमारी से मचा हड़कंप। गुप्त सूचना पर की गई इस कार्रवाई से जेल प्रबंधन और बंदियों में हलचल। जानिए क्यों हुई ये रेड और क्या मिला अंदर।

Apr 16, 2025 - 13:05
Apr 16, 2025 - 13:08
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Ghaghidih Raid Action: जेल में देर रात की छापेमारी से मचा हड़कंप, अंदर चल रही थी ये गुप्त गतिविधि?
Ghaghidih Raid Action: जेल में देर रात की छापेमारी से मचा हड़कंप, अंदर चल रही थी ये गुप्त गतिविधि?

घाघीडीह केंद्रीय कारा (Ghaghidih Central Jail) मंगलवार रात अचानक सुर्खियों में आ गया, जब जिला प्रशासन ने बिना किसी पूर्व सूचना के जेल के भीतर छापामारी कर दी। प्रशासन की इस औचक कार्रवाई से जेल परिसर में ऐसा हड़कंप मचा कि कुछ देर के लिए सन्नाटा छा गया।

डीएसपी तौकीर आलम और अंचलाधिकारी मनोज कुमार के नेतृत्व में विशेष पुलिस बल (Special Task Force) ने जेल के हर कोने को खंगाल डाला। तलाशी अभियान इतनी तेजी और गोपनीयता से शुरू हुआ कि जेलकर्मियों से लेकर बंदियों तक को संभलने का मौका नहीं मिला।

क्या थी वजह?

सूत्रों की मानें तो यह छापेमारी किसी गुप्त सूचना (Secret Intelligence Tip) के आधार पर की गई। बताया जा रहा है कि जेल के अंदर कुछ संदिग्ध गतिविधियाँ, अनुशासनहीनता और संभावित गैरकानूनी वस्तुओं की मौजूदगी की खबर थी, जिसे लेकर प्रशासन सतर्क हो गया था।

हालांकि खबर लिखे जाने तक यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि तलाशी के दौरान कुछ आपत्तिजनक वस्तु बरामद हुई या नहीं। लेकिन जिस तरह से पूरा ऑपरेशन अंजाम दिया गया, उसने यह तो साफ कर दिया कि जेल के भीतर कुछ गंभीर मामला जरूर चल रहा था।

कैसे हुआ पूरा ऑपरेशन?

प्रशासन की टीम ने एक-एक वार्ड की बारीकी से तलाशी ली। बंदियों के बैग, बिस्तर, लॉकर्स से लेकर दीवारों के कोनों और बाथरूम तक को खंगाला गया। तलाशी के दौरान सुरक्षा को लेकर किसी भी तरह की ढील नहीं दी गई। हर तलाशी टीम के साथ एक सशस्त्र बल के जवान मौजूद रहे।

इस बीच जेल प्रबंधन से भी पूछताछ की गई। जेल अधीक्षक और सुरक्षा प्रभारी से पूछा गया कि क्या उन्हें ऐसी किसी गतिविधि की जानकारी थी और क्या वे किसी आंतरिक सूचना तंत्र से अवगत थे।

इतिहास गवाह है – जेल के भीतर भी चलती है 'दुनिया'

भारत में जेलें हमेशा से ही सुरक्षा और अनुशासन की दृष्टि से संवेदनशील मानी जाती रही हैं। कई बार ऐसा देखा गया है कि जेल के अंदर से ही गैंग ऑपरेट होते हैं, मोबाइल फोन और नशे के सामान की तस्करी होती है।

2007 में बिहार के बेगूसराय जेल में एक छापेमारी के दौरान 7 मोबाइल फोन, नशे की गोलियां और एक छोटा ब्लेड बरामद हुआ था। इसी तरह झारखंड और बंगाल की जेलों में कई बार यह देखा गया है कि बंदियों के पास से अवैध रूप से मोबाइल, सिम कार्ड और यहां तक कि शराब की बोतलें भी बरामद की गई हैं।

इसी कड़ी में घाघीडीह जेल की यह छापेमारी भी उसी परंपरा का हिस्सा मानी जा रही है, जिसमें प्रशासन समय-समय पर सख्ती दिखाकर कानून व्यवस्था को बनाए रखने का संदेश देता है।

प्रशासन की चुप्पी, लेकिन कार्रवाई बोल रही है

फिलहाल जिला प्रशासन की ओर से कोई औपचारिक बयान नहीं आया है। लेकिन अधिकारियों का रवैया यह साफ बता रहा है कि उन्हें जेल के भीतर किसी न किसी स्तर पर गंभीर अनियमितता की आशंका थी। ऐसे में यदि भविष्य में कोई बड़ा खुलासा हो, तो यह चौंकाने वाला नहीं होगा।

जेल में बंदियों की प्रतिक्रिया

जब रात के अंधेरे में अचानक भारी पुलिस बल के साथ अफसरों ने जेल का गेट पार किया, तो कई बंदियों की नींद उड़ गई। कुछ ने इसे सामान्य तलाशी कहा, तो कुछ ने दबे शब्दों में स्वीकारा कि जेल में बहुत कुछ ऐसा होता है जो बाहर नहीं आता।

एक बंदी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, "अंदर सब कुछ शांत नहीं है। कई बार चीजें छुपा ली जाती हैं। आज की तलाशी में कई चेहरों पर डर देखा जा सकता था।"

घाघीडीह जेल में जिला प्रशासन की ये रेड न सिर्फ एक कार्रवाई थी, बल्कि एक कड़ा संदेश था—कि अब लापरवाही नहीं चलेगी। चाहे वह जेल प्रशासन हो या बंदी, नियमों के खिलाफ जाने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।

अब सवाल ये है—क्या आने वाले दिनों में कोई बड़ा खुलासा होगा? और क्या जेलों के भीतर की 'छिपी दुनिया' पर से पर्दा हटेगा?
यह जानने के लिए सबकी निगाहें अब प्रशासन की अगली रिपोर्ट पर टिकी हैं।

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Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।