Jadugora Fire Week: बच्चों ने सीखा आग से बचाव का अनोखा तरीका, जानिए इसके पीछे की दर्दनाक कहानी!
जादूगोड़ा में सीआईएसएफ की अग्नि शमन इकाई द्वारा अग्नि सुरक्षा सप्ताह के तहत बच्चों को आग से बचाव की तकनीक सिखाई गई। जानिए इस अभियान की ऐतिहासिक वजह और इसे हर साल मनाने का कारण।

जादूगोड़ा (Jadugora) में इन दिनों कुछ खास हो रहा है। यहां केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) की अग्नि शमन विभाग की यूनिट द्वारा अग्नि सुरक्षा सप्ताह (Fire Safety Week) मनाया जा रहा है। ये सप्ताह हर साल 14 से 20 अप्रैल तक मनाया जाता है, लेकिन इस बार कुछ अलग है—इस बार बच्चों को सीधे मैदान में उतार कर उन्हें आग से लड़ने के हुनर सिखाए जा रहे हैं।
तीसरे दिन का कार्यक्रम उत्क्रमित उच्च विद्यालय, दुडकू स्कूल में आयोजित हुआ। यहां पर छात्रों को आग से बचाव के उपाय, आग के प्रकार, और रियल टाइम डेमो (Fire Drill) के जरिए आग लगने की स्थिति में क्या करना चाहिए, इसकी जानकारी दी गई।
आग से डरना नहीं, समझदारी से निपटना है—यही संदेश हर छात्र के चेहरे पर साफ नजर आ रहा था।
बच्चों को सिखाई गई ये अनोखी बातें
कार्यक्रम में फायर ब्रिगेड के जवानों ने आग लगने पर की जाने वाली प्राथमिक कार्रवाई, जैसे फायर एक्सटिंग्विशर का सही उपयोग, पानी और फोम के अंतर, और आग की स्थिति में प्राथमिक चिकित्सा को विस्तार से समझाया। बच्चों को लाइव डेमो से दिखाया गया कि अगर कहीं आग लग जाए तो घबराने के बजाय कैसे सतर्क रहकर खुद को और दूसरों को सुरक्षित रखा जा सकता है।
इससे पहले जादूगोड़ा मिल और माटीगोडा उत्क्रमित उच्च विद्यालय में भी इसी तरह के कार्यक्रम आयोजित किए गए, जहां बच्चों ने हाथों में फायर एक्सटिंग्विशर पकड़कर उसका उपयोग सीखा और सुरक्षा उपकरणों के बारे में समझा।
इसके पीछे की दर्दनाक लेकिन ज़रूरी कहानी
अग्नि सुरक्षा सप्ताह केवल एक औपचारिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि एक ऐतिहासिक सबक की याद है। बात है साल 1944 की, जब मुंबई के एक बंदरगाह पर भयानक अग्निकांड हुआ था। इस हादसे में 800 से अधिक जवानों ने अपनी जान गंवा दी थी। इसके बाद भारत सरकार ने ठान लिया कि अब ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति नहीं होने दी जाएगी।
इसी सोच के तहत 1963 में अग्नि सुरक्षा सप्ताह की शुरुआत की गई, जो हर साल 14 से 20 अप्रैल तक पूरे देश में मनाया जाता है। खासकर यूसिल (UCIL) जैसे संवेदनशील औद्योगिक क्षेत्रों में इसे काफी गंभीरता से मनाया जाता है।
क्यों जरूरी है यह अभियान?
आज के दौर में जब गैस, तेल, केमिकल और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण हर जगह मौजूद हैं, वहां आग लगने का खतरा भी उतना ही ज्यादा है। खासतौर पर बच्चों को अगर कम उम्र से ही सुरक्षा के गुर सिखाए जाएं, तो वे न केवल अपने लिए बल्कि समाज के लिए भी एक बड़ी भूमिका निभा सकते हैं।
CISF की यह पहल सराहनीय है क्योंकि इसमें थ्योरी के साथ-साथ प्रैक्टिकल भी शामिल है। ये बच्चों में आत्मविश्वास बढ़ाने के साथ-साथ उन्हें सतर्क नागरिक भी बनाता है।
बच्चों की प्रतिक्रिया भी शानदार
दुडकू स्कूल के एक छात्र ने बताया, "हमने पहले कभी फायर एक्सटिंग्विशर चलाने की ट्रेनिंग नहीं ली थी। आज पहली बार सीखा कि कैसे आग लगने पर घबराने की जगह हमें समझदारी दिखानी चाहिए।"
वहीं एक शिक्षिका ने कहा, "CISF की यह पहल बच्चों के जीवन में एक सकारात्मक बदलाव लाएगी। अगर ऐसे प्रशिक्षण हर स्कूल में नियमित रूप से हो, तो आने वाले समय में हमारे देश की नई पीढ़ी किसी भी आपदा के लिए तैयार रहेगी।"
अग्नि सुरक्षा सप्ताह केवल एक रूटीन इवेंट नहीं, बल्कि एक जीवन रक्षक अभियान है। जादूगोड़ा में CISF की ये पहल न केवल प्रशंसनीय है, बल्कि देशभर के स्कूलों के लिए एक उदाहरण भी है। जब बच्चे आग से डरना नहीं, बल्कि उससे निपटना सीख जाएं—तो समझिए कि असली शिक्षा मिल रही है।
तो अगली बार जब अग्नि सुरक्षा सप्ताह की बात हो, तो सिर्फ पोस्टर और भाषण ही नहीं, प्रैक्टिकल ट्रेनिंग की भी बात होनी चाहिए!
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