Chaibasa Awareness: जब स्कूटी पर निकलीं सेविकाएं और रथ ने ली पोषण की रफ्तार — जानिए क्यों खास है ये पहल!
चाईबासा में उपायुक्त कुलदीप चौधरी ने पोषण पखवाड़ा के तहत जागरूकता रथ और स्कूटी रैली को रवाना किया। इस पहल का उद्देश्य हर घर तक पोषण का संदेश पहुंचाना और कुपोषण मुक्त समाज बनाना है।

झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम ज़िले में कुछ अलग, कुछ अनोखा और कुछ बेहद ज़रूरी हो रहा है। एक तरफ जहां देश टेक्नोलॉजी और डिजिटल इंडिया की ओर तेज़ी से बढ़ रहा है, वहीं दूसरी ओर कुछ सच्चाइयाँ अब भी भूख, कुपोषण और असंतुलित आहार से जूझती हैं। ऐसे में पोषण पखवाड़ा जैसे अभियानों का महत्व और भी बढ़ जाता है।
पश्चिमी सिंहभूम के जिला समाहरणालय परिसर से उपायुक्त कुलदीप चौधरी ने जब 3 जागरूकता रथ और सेविकाओं की स्कूटी रैली को हरी झंडी दिखाई, तो यह सिर्फ एक औपचारिकता नहीं थी — बल्कि एक संदेश था कि अब हर गांव, हर घर तक सही पोषण की रौशनी पहुंचेगी।
क्या है पोषण पखवाड़ा?
8 से 22 अप्रैल तक चलने वाला यह अभियान, केंद्र सरकार के पोषण अभियान का हिस्सा है, जिसका लक्ष्य है – हर व्यक्ति को सही पोषण, हर परिवार को स्वस्थ जीवन। इसका फोकस बच्चों, किशोर-किशोरियों और महिलाओं के लिए कुपोषण मुक्त भारत का निर्माण करना है।
इस साल की थीम — "हर घर तक सही पोषण, देश रोशन" — सिर्फ एक नारा नहीं, बल्कि एक ज़िम्मेदारी है।
स्कूटी रैली और पोषण रथ का मिशन
इस बार कुछ अलग हुआ। सेविकाएं स्कूटी पर सवार होकर गांव-गांव तक जाएंगी, जहां वे पोषण जागरूकता फैलाएंगी। इसके साथ ही 3 जागरूकता रथ जिले के दूरदराज़ क्षेत्रों में पोषण से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियाँ लेकर निकलेंगे।
इन रथों में लगे पोस्टर, ऑडियो संदेश और इंटरैक्टिव प्रचार सामग्री के ज़रिए ग्रामीणों को सिखाया जाएगा कि बच्चों के जीवन के पहले 1000 दिन कितने महत्वपूर्ण हैं, क्या है पोषण ट्रैकर, और क्यों ज़रूरी है संतुलित आहार।
इतिहास से सबक: क्यों है ज़रूरी ऐसा अभियान?
भारत में कुपोषण कोई नई समस्या नहीं है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS) की रिपोर्ट बताती है कि आज भी झारखंड जैसे राज्यों में 30% से अधिक बच्चे कुपोषित हैं। ऐसे में पोषण पखवाड़ा जैसे जागरूकता अभियान केवल सरकारी कार्यक्रम नहीं, बल्कि जीवन रक्षक पहल बन जाते हैं।
झारखंड के इतिहास में, ग्रामीण और जनजातीय समुदायों में पोषण की कमी एक प्रमुख कारण रही है – कम आय, जागरूकता की कमी और सीमित संसाधनों के चलते कई बार बच्चे सही पोषण नहीं पा पाते।
कार्यक्रम में कौन-कौन रहा शामिल?
इस मौके पर उपस्थित थे —
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अपर उपायुक्त प्रवीण केरकेट्टा
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नजारत उप समाहर्ता देवेंद्र कुमार
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जिला समाज कल्याण पदाधिकारी श्रीमती श्वेता भारती
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जिला योजना पदाधिकारी फ्रांसिस कुजूर
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सहायक निदेशक सामाजिक सुरक्षा खुशेंद्र सोनकेशरी
और समाज कल्याण कार्यालय की कई सेविकाएं।
इन सभी ने उपायुक्त के नेतृत्व में पोषण शपथ ली और हस्ताक्षर पट्टिका पर हस्ताक्षर किए।
क्या होगा रथ के ज़रिए?
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हरी पत्तेदार सब्ज़ियों, दूध, अंडा, फल आदि के महत्व को समझाया जाएगा
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कुपोषण प्रबंधन पर सामुदायिक समर कार्यक्रम की जानकारी दी जाएगी
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बच्चों में मोटापा और कुपोषण दोनों के समाधान बताए जाएंगे
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पोषण ट्रैकर और लाभार्थी मॉड्यूल का प्रचार-प्रसार किया जाएगा
उपायुक्त ने क्या कहा?
उपायुक्त चौधरी ने कहा, "पोषण पखवाड़ा सिर्फ जागरूकता नहीं, बल्कि जन आंदोलन है। यदि हर घर में सही पोषण पहुंचे, तो हर बच्चा स्वस्थ होगा, हर महिला सशक्त और देश मजबूत।"
उन्होंने ग्रामीणों से अपील की कि वे इन रथों और सेविकाओं की बातों को गंभीरता से लें और अपने दैनिक आहार में संतुलन लाएं।
Chaibasa का यह पोषण पखवाड़ा न सिर्फ एक स्वास्थ्य मिशन है, बल्कि यह इस बात का उदाहरण है कि जब सरकारी योजनाएं ज़मीन पर उतरती हैं और लोग उससे जुड़ते हैं, तो बदलाव सच में संभव होता है।
अब देखना है कि यह जागरूकता रथ और स्कूटी रैली झारखंड को कुपोषण मुक्त बनाने में कितनी दूर तक जाती है।
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