तुम जरूरत हो मेरे लिए - मनोज कुमार जी,उत्तर प्रदेश
तुम जरूरत हो मेरे लिए - मनोज कुमार जी,उत्तर प्रदेश
तुम जरूरत हो मेरे लिए
मैं तुम्हें दिल में रख लूँ
और दिमाग़ में भी रख लूँ
मगर मन में नहीं...
मन एक परेशान परिंदा है
यहाँ वहाँ भटकता रहता है
मैं ये नहीं सोचता हूँ
कि तुम भी उसके साथ
बहक जाओ...
तोड़ दो दिल की हर सलाखें
रुख मोड़ के चले जाओ...
मैं तुम्हें पाया हूँ
एक मजबूत इरादों से
पक्की मिट्टी की बोल हो
टूट भी नहीं सकते हो,
तुम्हारा कोई मोल नहीं,
तुम बेमोल हो...
मैं तुम्हें ख्वाबों से उतारा हूँ
दिल और दिमाग़ में लाया हूँ
तुम मेरे लिए बेशकीमती हो,
मैं बिखरा हूँ.. मगर तुम ठहरे हो
मैं तुम्हारी सोच में
नाव बनकर बहना चाहता हूँ
तुम्हारे ख़्वाब के दहलीज तक
आना चाहता हूँ...
बहुत कम है वक्त,
तुम्हें छोड़ना नहीं चाहता ..
मैं तुम्हें दिल में रख लूँ
और दिमाग़ में भी रख लूँ
मगर मन में नहीं...
मनोज कुमार
गोण्डा ,उत्तर प्रदेश
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